Political – Barhi Vidhan Sabha Result 2024 Live Updates: बरही विधानसभा सीट पर किसे मिल रही जीत, थोड़ी देर में शुरू होगी मतगणना- #INA

Barhi Assembly Seat Result 2024

झारखंड में इस बार 2 चरणों में विधानसभा चुनाव कराए गए. पहले चरण में 43 सीटों (13 नवंबर) पर तो दूसरे चरण में 38 सीटों (20 नवंबर) पर वोट डाले गए. वोटों की गिनती आज शनिवार को हो रही है, जल्द ही शुरुआती रुझान मिलने लगेंगे. पहले चरण में हजारीबाग जिले में वोट डाले गए और यहां पर 62.78 प्रतिशत मतदान हुआ. यहां पर कांग्रेस के अरुण साहू और बीजेपी के मनोज यादव के बीच मुकाबला है.

हजारीबाग जिले में पड़ने वाली बरही विधानसभा सीट पर भी खासी हलचल देखी गई. यादव बाहुल्य बरही क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही कड़ा मुकाबला होता रहा है. इससे पहले 2019 के चुनाव में बरही से कांग्रेस के उमाशंकर यादव ‘अकेला’ को जीत मिली थी.

चुनावी मुकाबला बेहद खास

पूर्वी राज्य झारखंड में इस बार चुनावी मुकाबला बेहद खास रहा. राजनीतिक दलों की जगह राजनीतिक गठबंधन के बीच मुकाबला रहा. एनडीए में बीजेपी, जेडीयू, लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास पासवान) और ऑल झारखंड स्टुडेंस यूनियन ने मिलकर चुनाव लड़ा. तो इंडिया गठबंधन में कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल और तीनों वामपंथी दल साथ चुनाव मैदान में उतरे. इंडिया गठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा यहां गठबंधन की प्रमुख दल है.

साल 2019 के चुनाव में बरही से कांग्रेस के उमाशंकर यादव ने 11,371 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. उमाशंकर ने चुनाव में 84,358 वोट हासिल किया जबकि उनके करीबी प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के मनोज यादव को 72,987 वोट आए. तीसरे नंबर पर झारखंड विकास मोर्चा (प्रगतिशील) रहा. मनोज यादव ने पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी.

तब के चुनाव में बरही सीट पर 14 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला हुआ था. चुनाव के लिए यहां पर कुल 2,81,531 वोटर्स थे जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1,49,379 थी जबकि महिला वोटर्स की संख्या 1,32,152 थी. यहां पर 67.9% वोट पड़े. बरही सीट पर साल 2005 से ही मनोज यादव और उमाशंकर अकेला के बीच मुकाबला होता रहा है. कभी मनोज को तो कभी उमाशंकर को जीत मिलती रही है.

कैसे रहेपिछले 4 चुनाव

झारखंड 2000 तक बिहार का हिस्सा हुआ करता था. लेकिन नवंबर 2000 में इसे अलग कर दिया गया और नया राज्य बना दिया गया. हालांकि नए राज्य में अलग से विधानसभा चुनाव कराने की शुरुआत साल 2005 से हुई. 2000 से लेकर 2019 तक के चुनाव में मनोज और उमाशंकर के बीच ही संघर्ष होता रहा है.

2000 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मनोज यादव ने जीत हासिल की थी. तब निर्दलीय प्रत्याशी उमाशंकर अकेला चौथे स्थान पर रहे थे. 2005 के चुनाव में उमाशंकर अकेल समाजवादी पार्टी के टिकट से मैदान में उतरे, लेकिन वह कांग्रेस के मनोज यादव से हार गए. उमाशंकर इस बार दूसरे नंबर पर रहे. 2009 के चुनाव से पहले उमाशंकर बीजेपी में आ गए और इसका उन्हें फायदा भी मिला. वह चुनाव जीतने में कामयाब रहे. मनोज दूसरे नंबर पर रहे.

हालांकि 2014 के चुनाव में भी मनोज और उमाशंकर के बीच मुकाबला दिखा. देशभर में मोदी लहर के बीच बरही सीट पर कड़ा मुकाबला दिखा, लेकिन बीजेपी अपनी सीट नहीं बचा पाई. कांग्रेस के टिकट पर उतरे मनोज यादव ने उमाशंकर से अपनी पिछली हार का बदला ले लिया. वह 7,085 मतों के अंतर से विजयी हुए. लेकिन 2019 के चुनाव में बरही सीट का समीकरण ही बदल गया. अब तक कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मनोज बीजेपी में शामिल हो गए जबकि उमाशंकर कांग्रेस में आ गए. दोनों अपनी नई पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरे, लेकिन जीत का सेहरा कांग्रेस के उमाशंकर से सिर पर बंधा.

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