Sports – Dussehra 2024: दशहरा पर भारत में यहां नहीं होता रावण दहन, कोई मानता दामाद तो कोई करता तेरहवीं #INA
Dussehra 2024: आज समूचे भारत में अच्छाई की बुराई पर विजय के प्रतीक के रूप में दशहरा मनाया जा रहा है. आज की शाम को श्रीराम के हाथों रावण के वध की याद में रावण का पुतला जलाया जाएगा. लेकिन भारत में कई जगह ऐसी भी हैं जहां रावण की पूजा होती है. कहीं के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं. तो कहीं उसकी तेरहवीं की जाती है. कोई उसे देवता मानता है तो कोई उसे खुद का वंशज बताता है. वहीं उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा के पास स्थित बिसरख गांव में दशहरा की कुछ अलग ही परंपरा देखने को मिलती है. आइए जानते हैं इनके बारे में.
रावण को अपना दामाद मानते हैं यहां के लोग
मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण को लोग अपना दामाद मानते हैं, यही वजह है कि यहां लोग इसकी पूजा करते हैं. कहा जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का मंदसौर में घर था, इसीलिए यहां के लोग आज भी रावण को अपना दामाद मानते हैं. पूरे देश में दशहरा की शाम रावण का का दहन किया जाता है. मंदसौर में इस पुतले की पूजा होती है. वहीं मंदसौर के रूंडी में तो रावण की एक मूर्ती भी बनी हुई है जिसकी पूजा होती है.
ग्रेटर नोएडा के पास गांव में दिखती अलग ही परंपरा
उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा के पास स्थित बिसरख गांव में रावण का पुतला जलाना तो दूर, रावण की पूजा की जाती है. इस गांव में दशहरे के दिन न रामलीला होती है और न रावण दहन. बिसरख गांव के लोग मानते हैं कि यही वह पवित्र भूमि है, जहां रावण का जन्म हुआ था. बिसरख को रावण की जन्मस्थली माना जाता है और इसी कारण यहां रावण का सम्मान किया जाता है. गांव में स्थित एक प्राचीन मंदिर में रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा द्वारा स्थापित एक अष्टकोणीय शिवलिंग है, जिसे लेकर मान्यता है कि रावण और उनके भाई कुबेर ने इस शिवलिंग की पूजा की थी.
यहां होती रावण की तेरहवीं
उत्तर प्रदेश के जसवंतनगर में दशहरे पर रावण की आरती उतार कर पूजा की जाती है. फिर उसे मार-मारकर टुकड़े कर उसके टुकड़े किए जाते हैं. इसके बाद लोग रावण के टुकड़ों को घर ले जाते हैं और तेरहवे दिन रावण की तेरहवीं भी की जाती है.
मंदोदरी का मायका में होती पूजा
मध्यप्रदेश के मंदसौर में रावण को पूजा जाता है. कहा जाता है कि मंदसौर का असली नाम दशपुर था, और यह रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी का मायका था. इसलिए इस शहर का नाम मंदसौर पड़ा. चूंकि मंदसौर रावण का ससुराल था, और यहां की बेटी रावण से ब्याही गई थी, इसलिए यहां दामाद के सम्मान की परंपरा के कारण रावण के पुतले का दहन करने की बजाय उसे पूजा जाता है. मंदसौर के रूंडी में रावण की मूर्ति बनी हुई है, जिसकी पूजा की जाती है.
चिखली गांव में नहीं होता रावण दहन
मप्र के उज्जैन जिले के एक गांव में भी रावण का दहन नहीं किया जाता, बल्कि उसकी पूजा की जाती है. रावण का यह स्थान उज्जैन जिले का चिखली गांव है. यहां के बारे में कहा जाता है, कि रावण की पूजा नहीं करने पर गांव जलकर राख हो जाएगा. इसी डर से ग्रामीण यहां रावण दहन नहीं करते और उसकी मूर्ति की पूजा करते हैं.
रावण और उसके पुत्र को मानते देवता
महाराष्ट्र के अमरावती में भी रावण को भगवान की तरह पूजा जाता है. यहां गढ़चिरौली नामक स्थान पर आदिवासी समुदाय द्वारा रावण का पूजन होता है. दरअसल आदिवासियों का पर्व फाल्गुन, रावण की खास तौर से पूजा कर मनाया जाता है. कहा जाता है कि यह समुदाय रावण और उसके पुत्र को अपना देवता मानते हैं.
शिव भक्त होने पर नहीं जलाया जाता पुतला
बैजनाथ – हिमाचल प्रदेश में स्थित कांगड़ा जिले का यह कस्बा भी रावण की पूजा के लिए जाना जाता है. यहां के बारे में कहा जाता है, कि रावण ने यहां पर भगवान शिव की तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे मोक्ष का वरदान दिया था. इसलिए शिव के इस भक्त का इस स्थान पर पुतला नहीं जलाया जाता.
मछुआरा समुदाय करता पूजन
आंध्रप्रदेश के काकिनाड नामक स्थान पर भी रावण का मंदिर बना हुआ है, जहां भगवान शिव के साथ उसकी भी पूजा की जाती है. यहां पर विशेष रूप से मछुआरा समुदाय रावण का पूजन अर्चन करता है. यहां के लेकर उनकी कुछ और भी मान्यताएं हैं.
खुद को रावण का वंशज मानते लोग
जोधपुर – राजस्थन के जोधपुर में भी रावण का मंदिर और उसकी प्रतिमा स्थापित है. कुछ समाज विशेष के लोग यहां पर रावण का पूजन करते हैं और खुद को रावण का वंशज मानते हैं. इस स्थान को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं. कुछ लोग इसे रावण का ससुराल बताते हैं.
कर्नाटक और दक्षिण भारत में होती पूजा
कर्नाटक के मंडया जिले के मालवल्ली तालुका नामक स्थान पर रावण का मंदिर बना हुआ है, जहां लोग उसे पूजते हैं. इसके अलावा कर्नाटक के कोलार में भी लोग शिवभक्त के रूप में रावण की पूजा करते हैं. इसके अलावा दक्षिण भारत में रावण को विशेष रूप से पूजा जाता है. ऐसा माना जाता है, कि रावण परम ज्ञानी, पंडित, शिवभक्त था. दक्षिण भारत के कुछ स्थानों पर रावण के इन्हीं गुणों के कारण वह पूजा जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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