Sports – Chanakya Niti: दूसरों की गलतियों की सजा पाते हैं ऐसे लोग, जीवन भर रहते हैं दुखी #INA
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की पुस्तकों का अध्ययन अगर आप करें तो आप जीवन को गहराई से समझ पाएंगे. अगर आप दुखी हैं तो क्यों हैं, आप सुख चाहते हैं तो आपको कैसे मिलेगा आपके ऐसे हर सवाल का जवाब आपको उनकी पुस्तकों में मिल जाएगा. चाणक्य नीति में जीवन को सफल और खुशहाल बनाने की नीतियों के बारे में भी उन्होने बताया है.चाणक्य नीति में दिए एक श्लोक से आप ये बात आसानी से समझ पाएंगे.
राजा राष्ट्रकृतं पापं राज्ञः पापं पुरोहितः। भर्ता च स्त्रीकृतं पापं शिष्यपापं गुरुस्तथा॥ राष्ट्राने (प्रजेने) केलेल्या पापाला राजा उत्तरदायी असतो तर राजाकडून झालेल्या पापाला राजाचे पुरोहित उत्तरदायी असतात.
इस श्लोक का अर्थ है कि राष्ट्र द्वारा किए गए पापों की जिम्मेदारी राजा पर होती है। वहीं, राजा द्वारा किए गए पापों की जिम्मेदारी राजा के पुरोहित या सलाहकारों पर होती है। इसी तरह, पति द्वारा किए गए पापों के लिए पत्नी को दोषी माना जाता है, और शिष्य के पापों के लिए गुरु को उत्तरदायी ठहराया जाता है।
इसका भावार्थ यह है कि समाज में उच्च पद पर बैठे व्यक्तियों का आचरण उनके नीचे के लोगों पर प्रभाव डालता है। अगर किसी समाज में गलत काम होते हैं, तो इसके लिए शासक और उनके सलाहकार जिम्मेदार माने जाते हैं। इसी तरह, परिवार और शिक्षा में जो लोग नेतृत्व करते हैं, उनके लिए यह अनिवार्य है कि वे अपने अधीनस्थों को सही दिशा में मार्गदर्शन करें और गलत कार्यों की रोकथाम करें। अब आधुनिक समय में जानते हैं कि वो 3 व्यक्ति कौन हैं जो जीवनभर दुखी रहते हैं और दूसरे की गलतियों की सजा पाते हैं.
- पति-पत्नी एक दूसरे से अलग नहीं हैं. उन्हें एक दूसरे कि गलतियों की सजा भोगनी पड़ती है. इसलिए दोनों के लिए जरुरी है कि समझदारी बढ़ाएं और अपनी गलतियों पर ध्यान देना शुरू करें. चाणक्य नीति के अनुसार, पति गलती करता है तो पत्नी को सजा मिलती है और पत्नी की गलती की सजा उसके पति को मिलती है.
- जब किसी देश की जनता कोई गलती करती है तो उसका फल हमेशा शासक को ही भोगना पड़ता है, हाल ही में हम बांग्लादेश में ये स्थिति देख चुके हैं. हालांकि शासक की जिम्मेदारी ये होती है कि जनता गलत काम ना करें और राजा या शासक अगर कोई गलती करता है तो उसकी सजा आम जनता को जरूर भोगनी पड़ती है. इसलिए कहा जाता है कि अपना राजा सूझबूझ से चुनें
- अगर कोई स्टूडेंट कुछ गलत करता है तो उसकी सजा हमेशा गुरु को ही दी जानी चाहिए क्योंकि उसका सही मार्गदर्शन करना ही गुरु का काम है. अगर गुरु गलती करता है तो उसका सजा उसके शिष्य को जीवनभर भोगनी पड़ती है.
तो आप अगर जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं को इन गलतियों से बचें. अपने और समाज के लिए मिसाल बनें और कोशिश करें कि आपकी गलती की सजा किसी दूसरे को न भोगनी पड़े. किसी दूसरे को सही करने से पहले जरूरी है कि आप पूरी तरह से सही हों, तभी एक उज्जवल समाज का निर्माण होगा.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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