देश- दार्जिलिंग लोकसभा चुनाव परिणाम 2024: राजू बिष्ट की साख दांव पर, BJP ने लगाई है हैट्रिक, क्या TMC लगा पाएगी सेंध?- #NA

दार्जिलिंग लोकसभा सीट.

कभी सीपीआईएम के प्रभुत्व वाली पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोटिंग हुई. इसमें 71.41 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. इस बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के निवर्तमान सांसद राजू बिष्ट, कांग्रेस पार्टी के मुनीश तमांग और तृणमूल कांग्रेस के गोपाल लामा के बीच इस लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होता नजर आ रहा है.

साल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान इस सीट पर 78 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. उस समय बीजेपी के टिकट पर राजू बिस्ट चुनाव जीत कर संसद भवन पहुंचे थे. साल 2009 के चुनाव से ही इस सीट पर बीजेपी का कब्जा होता आया है, लेकिन इस सीट पर जीत के लिए गोरखा पार्टियों का समर्थन बहुत जरूरी है.

गोरखाओं का समर्थन अहम

पिछले कई चुनावों से गोरखा समुदाय से जुड़ी पार्टियां बीजेपी का समर्थन करती रही है और बीजेपी के उम्मीदवार चुनाव जीतते रहे हैं. कलिम्पोंग, दार्जिलिंग, कर्सियांग, माटीगाड़ा-नक्सलबाड़ी, सिलीगुड़ी, फांसीदेवा और चोपड़ा आदि सात विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर गठित इस लोकसभा क्षेत्र पर विजय के लिए साल 2019 रोमांचक मुकाबला देखने को मिला था. उस समय 7 लाख 50 हजार वोट पाकर बीजेपी के राजू बिष्ट चुनाव जीतने में सफल रहे थे. वहीं 3 लाख 36 हजार वोट पाकर एआईटीसी के अमर सिंह राय 4 लाख 13 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे. उस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने शंकर मालाकार को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्हें महज 65 हजार वोट मिले. वहीं सीपीआईएम के समन पाठक महज 50 हजार वोट पाकर अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए.

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2014 में एसएस अहलुवालिया ने जीती थी सीट

साल 2014 के चुनाव में भी यह सीट बीजेपी के ही खाते में गई थी. उस समय एसएस अहलुवालिया 4 लाख 88 हजार वोट पाकर विजयी हुए थे. वहीं एआईटीसी के बाईचुंग भूटिया ने अहलुवालिया को टक्कर तो कड़ा दिया, लेकिन 2 लाख 91 हजार वोटों पर सिमट गए. इस चुनाव में उनकी एक लाख 97 हजार वोटों के अंतर से हार हुई थी. वहीं सीपीआईएम के समन पाठक 1 लाख 67 हजार वोट पाकर तीसरे स्थान पर और कांग्रेस पार्टी के सुजय घटक 90 हजार वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे थे.

साल 2009 में जसवंत सिंह ने हासिल की थी जीत

इस लोकसभा सीट पर पहली बार बीजेपी का खाता साल 2009 के चुनावों में खुला था. उस समय यहां से 4 लाख 97 हजार वोट पाकर बीजेपी के जसवंत सिंह विजयी हुए थे. उन्होंने सीपीआईएम के जिबेश सरकार को 2 लाख 53 हजार वोटों से पराजित किया था. जिबेश सरकार इस चुनाव में महज 2 लाख 44 हजार वोटों पर सिमट गए थे. वहीं कांग्रेस पार्टी के निवर्तमान सांसद दावा नर्बुला को महज 1 लाख 87 हजार वोट मिले थे. दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र की सीमाएं पड़ोसी देशी नेपाल से सटीं हैं. ऐसे में यहां आम बोलचाल की भाषा नेपाली है. यहां पर बड़ी संख्या में गोरखा लोगों का निवास भी है. इसलिए यहां की राजनीति भी काफी हद तक गोरखा से प्रभावित होती है. गोरखा समुदाय के लोग जिस भी पार्टी को सपोर्ट करते हैं, उनकी चुनाव में जीत पक्की होती है.

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