देश- फूट रहे थे बम, चल रही थीं गोलियां, किसी ने नहीं की मदद… फिर ऐसे बचकर भारत में घुसे बांग्लादेश से लौटे छात्र की आपबीती | Bangladesh student returned safely to India narrated ordeal of bombs and bullets-stwam- #NA

बांग्लादेश से भारत आया छात्र

बिहार के मोतिहारी में बांग्लादेश में हिंसा और उपद्रव के बीच बांग्लादेश में फंसे भारतीय छात्र को कोई पूछने वाला नहीं मिला. वहां मेडिकल की पढ़ाई करने जो छात्र गए थे. वह हिंसा के बाद अपनी जान बचाकर घर वापस आ रहे हैं. हिंसा और राजनीति के बीच मेडिकल की पढ़ाई करने गया मोतिहारी का ही एक छात्र अपने घर वापस लौटा है, जिसके बाद उसके घर पर खुशियों का माहौल छाया हुआ है. बांग्लादेश से लौटा छात्र शहर के खुदानगर के रहने वाले मोहम्मद नसीम अख्तर का पुत्र आसिफ अमान है.

वह बांग्लादेश के सिलहट स्थित जलालाबाद रकीब राबिया मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एमबीबीएस फाइनल ईयर का छात्र है. यह एक प्राइवेट कॉलेज है. वह बांग्लादेश से भारत के लगभग 60 छात्रों के साथ किसी तरह बचते बचाते हुए निकला और भारत के बॉर्डर पर आकर ही वह अपने को सुरक्षित महसूस करते हुए मोतिहारी अपने घर पहुंचा. बांग्लादेश के हालात के बारे में बताते हुए आसिफ ने कहा कि हम लोगों के वह चार दिन कैसे कटे इन सब को याद करते हुए वह थोड़ा खौफजदा भी दिखा.

वो रात डरावनी थी

छात्र का कहना था कि अंतिम रात हम लोगों के लिए बहुत ही भारी थी, क्योंकि कर्फ्यू के बीच किसी तरह निकल कर अपने देश में आना किसी मुश्किल घड़ी से कम नहीं थी. आसिफ के मुताबिक, पहले तो वहां इंटरनेट और फोन को बंद कर दिया गया था, जिसके बाद उसका कम्युनिकेशन अपने घर से टूट चुका था. उसने कहा कि जुलाई महीने में शुरू हुआ है यह छात्र आंदोलन अगस्त महीने में बहुत ही ज्यादा हिंसक हो गया. जिस कारण वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा और भारत आकर शरण लेनी पड़ी.

वहीं कुछ हिस्सों में शेख हसीना के भारत में शरण लेने के कारण वहां एंटी इंडिया सेंटीमेंट काफी बढ़ गया है. बांग्लादेश से लौटे आशिफ वहां शुरू हुए आंदोलन और भारत लौटने के बारे में बताया कि शुरुआत में दो-तीन दिन वहां नार्मल प्रोस्टेट चल रहा था. बाद में अचानक बहुत ज्यादा गोलीबारी हवाई फायरिंग टियर गैस और रबर बुलेट चलने लगे, जिसे देखकर हॉस्टल एरिया में जितने भी स्टूडेंट थे सभी लोग काफी डर गए थे.

एक अगस्त से होनी थी फाइनल परीक्षा

हम लोगों ने वहां से निकलने का फैसला लिया और हमारे कॉलेज से ही कुछ दूरी पर स्थित एंबेसी से संपर्क किया. एंबेसी ने सांत्वना दिया कि घबराने की जरूरत नहीं है. आप लोगों को कल सुबह 9:00 बजे यहां से बस के द्वारा आपके भारत के बॉर्डर पर भेज दिया जाएगा. लेकिन, सुबह में हालात इतने बेकाबू हो गए कि हम लोग किसी तरह अपने सहपाठियों द्वारा पैसा इकट्ठा कर एक बस को बुक किया और बॉर्डर तक पहुंचे. पहुंचने के बाद बीच रास्ते में भी कई जगह सेना के जवानों ने हमें रोका लेकिन हमारे वीजा और पासपोर्ट को देखने के बाद और भारतीय स्टूडेंट कहने के बाद उन्होंने भारत की ओर रवाना कर दिया. आज मैं अपने घर पर आकर काफी खुशी महसूस कर रहा हूं, लेकिन साथ ही साथ हमारी 1 अगस्त से जो मेडिकल फाइनल ईयर की परीक्षा होनी थी वह मैं नहीं दे पाया. अब बांग्लादेश में हालात कब सामान्य होंगे और कब मेरी फाइनल ईयर की परीक्षा होगी यह सोच-सोच के मैं थोड़ा ज्यादा उदास रहने लगा हूं.

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