देश- रेप की सजा मौत… ममता बनर्जी विधानसभा में लाएंगी बिल, जानें क्यों उठ रहे हैं सवाल – Hindi News | Kolkata Doctor Murder case anti Rape Bill Mamata Banerjee West Bengal Assembly Bill Capital Punishment Protest TMC BJP- #NA

एंटी रेप बिल विधानसभा में पेश करेंगी ममता.

पश्चिम बंगाल विधानसभा का दो दिवसीय विशेष अधिवेशन सोमवार से शुरू हो रहा है. सोमवार को विधानसभा की कार्यवाहीमृतकों को श्रद्धांजलि देने के बाद स्थगित कर दी जाएगी. वहीं, मंगलवार को ममता बनर्जी की सरकार की ओर से रेप के आरोपी को 10 दिनों में मौत की सजा के प्रावधान का बिल लाया जाएगा. ममता बनर्जी की सरकार द्वारा विधानसभा में रेप के आरोपियों को मौत की सजा के बाबत बिल लाये जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं. बीजेपी इसे लेकर ममता बनर्जी की सरकार पर हमला बोल रही है. बीजेपी ने विधासनभा में जिन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी, उनमें मृतका को भी शामिल करने की मांग की है और विधासनभा में एंटी रेप बिल को राजनीति करार दिया है.

कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप-मर्डर मामले की जांच सीबीआई कर रही है. ममता बनर्जी ने पहले ही मांग कर चुकी है कि आरोपी को मौत की सजा दी जाए. सीएम ममता बनर्जी ने रेप जैसे मामलों में मौत की सजा के प्रावधान और जल्द सुनवाई किये जाने का मुद्दा उठाते हुए दो बार प्रधानमंत्री को पत्र लिख चुकी हैं.

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केंद्रीय एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने ममता के पत्र का जवाब दिया. वहां उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता एक जुलाई से लागू हो गयी है. भारतीय दंड संहिता में महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है. साथ ही उन्होंने राज्य में फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना को लेकर राज्य सरकार की उदासीनता को भी दर्शाया. पत्र में केंद्रीय मंत्री ने लिखा कि इस साल 30 जून तक पश्चिम बंगाल में 48,600 बलात्कार और POCSO मामले लंबित हैं. इसके बावजूद, पश्चिम बंगाल सरकार ने 11 और फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने के लिए कोई पहल नहीं की है.

टीएमसी महिला मोर्चा ने फांसी की सजा की मांग की

रविवार को तृणमूल कांग्रेस महिला मोर्चा की ओर से आरोपी को मौत की सजा देने की मांग पर जुलूस निकाला गया. पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा ने कहा कि ममता बनर्जी ने ऐलान किया है कि रेप के आरोपी को फांसी की सजा देने की मांग को लेकर विधेयक पेश किया जाएगा. 2-3 सितंबर को विशेष सत्र के दौरान यह विधेयक पेश किया जाएगा और उसे राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह बिल कानून बन जाएगा.

बता दें कि बुधवार (28 अगस्त) को कैबिनेट की बैठक हुई. यहीं पर बलात्कार विरोधी विधेयक को विधानसभा में पेश करने के लिए मंजूरी दी गई थी. 3 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर बिल पेश किया जाएगा.

ममता पेश करेंगी बिल तो जानें क्यों उठ रहे हैं सवाल

ऐसे में कई सवाल खड़े हो गए हैं. रेप जैसे मामलों में सजा के लिए केंद्रीय कानून हैं. क्या कोई राज्य अब भी अलग बलात्कार विरोधी कानून लागू कर सकता है? वह कानून राज्य में किस तरह से प्रभावी हो सकता है? इस बारे में जानिए कानूनविद् क्या कहते हैं-

Kolkata Rape Case Mamata

कोलकाता मर्डर केस ममता बनर्जी

सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशोक कुमार गंगोपाध्याय का कहना है कि राज्य चाहे तो कानून ला सकता है. भारत के संविधान की समवर्ती सूची के आइटम-I में आपराधिक कानून का उल्लेख है. ऐसे में अगर राज्य चाहे तो कानून लाने में कोई बाधा नहीं है. रिटायर जज ने कहा कि विधानसभा में बिल पास होने के बाद इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाना चाहिए. फिर यह राष्ट्रपति के पास जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही यह कानून राज्य में लागू होगा. सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशोक कुमार गंगोपाध्याय ने कहा कि भले ही कानून प्रभावी हो, लेकिन आरजी कर मामले या इससे पहले हुई किसी घटना में यह प्रभावी नहीं होगा. अधिनियम पारित होने के बाद यह अधिनियमबाद के मामले में लागू होता है.

बिल को लेकर जानें क्या बोले कानूनविद्

कलकत्ता हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश देबाशीष करगुप्ता कहना है कि कोई भी कानून ऐसा नहीं बनाया जा सकता जो केंद्रीय अधिनियम की किसी भी धारा के विपरीत हो. इसके अलावा, ऐसे विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी के अधीन है. इसका मतलब है कि राज्य को पहले बिल राष्ट्रपति को भेजना होगा. अगर उन्हें कोई संदेह हो तो वह संविधान के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट से सलाह ले सकते हैं. अगर राष्ट्रपति सलाह मांगेंगे तो सुप्रीम कोर्ट में पूर्ण सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट सब कुछ सुनने के बाद राष्ट्रपति को सलाह दे सकता है. कानून तभी बनाया जा सकता है जब सभी संदेह खत्म हो जाएं.

Kolkata Rape And Murder Case

विरोध प्रदर्शन की तस्वीर.

वरिष्ठ वकील अरुणाभ घोष का कहना है कि इस तरह का कानून लागू करना व्यावहारिक रूप से असंभव है. बलात्कार के एक मामले में बंगाल में मौत की सजा और दूसरे राज्य में यह संभव नहीं है. केंद्रीय अधिनियम और राज्य अधिनियम के बीच टकराव की स्थिति में, केंद्रीय अधिनियम प्रभावी होगा. राज्य का कोई कानून नहीं होगा. भारतीय संविधान में कहा गया है कि भले ही राज्य कानून बनाए जाएं, लेकिन यदि केंद्रीय कानून के साथ कोई टकराव होता है, तो केंद्रीय कानून ही मान्य होगा.

बंगाल से पहले इन राज्यों ने पारित किया है बिल

पश्चिम बंगाल से पहले, दो अन्य राज्यों ने राज्य में आपराधिक अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए अपने स्वयं के कानून लाने की पहल की है. आंध्र प्रदेश विधानसभा ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए दिसंबर 2019 मेंविधेयक पारित किया. उसी साल नवंबर में हैदराबाद में 26 साल की पशुचिकित्सक के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या पर हंगामा मच गया था. तभी आंध्र प्रदेश विधानसभा में दोषियों को शीघ्र सजा देने के लिए दिशा विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. वह बिल अब राष्ट्रपति के पास अटका हुआ है.

Kolkata Doctor Rape Case

कोलकाता में डॉक्टर से हैवानियत के खिलाफ प्रदर्शन.

आंध्र प्रदेश के कुछ साल बाद, महाराष्ट्र ने आपराधिक अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए अपना कानून लाने की कोशिश की. दिसंबर 2021 में, महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से शक्ति विधेयक पारित किया. बिल राष्ट्रपति के पास भेजा गया. बिल में बच्चों और महिलाओं पर अत्याचार के लिए मौत की सजा का जिक्र किया गया है. वह बिल अभी भी राष्ट्रपति के पास लंबित है. सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति ने कहा कि आपराधिक अपराधों के क्षेत्र में राज्य के अपने कानूनों को केंद्रीय कानून के अनुरूप बनाया जाना चाहिए. महाराष्ट्र के बदलापुर स्कूल हादसे के बाद से इस बिल को पास करने की मांग उठ रही है.

फांसी की सजा की मांग कर रही हैं ममता

राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, सत्तारूढ़ दल ने राज्य के लोगों को संदेश दिया कि वे दोषियों को दंडित करने के इच्छुक हैं. इसीलिए ये बिल लाया जा रहा है. अगर बिल विधानसभा से पास हो गया तो राज्यपाल, राष्ट्रपति के पास जाएगा.राज्य के नागरिकों को संदेश भेजा जा सकता है. कानून पारित नहीं करने के लिए केंद्र पर उंगलियां उठाई जाएंगी. इससे पहले तृणमूल ने विधानसभा में सीएए के विरोध में प्रस्ताव पारित किया था. आम लोगों तक यह संदेश गया कि राज्य केंद्र के सीएए लागू करने का समर्थन नहीं कर रहा है.

Mamata Modi Kolkata Rape Case

ममता ने पीएम मोदी को लिखा पत्र.

3 सितंबर को पश्चिम बंगाल विधानसभा में बलात्कार विरोधी विधेयक पारित होने के बाद क्या होगा? क्या राज्यपाल और राष्ट्रपति देंगे मंजूरी? या फिर बाकी दो राज्यों की तरह ही बंगाल का बिल भी अटक जाएगा? विपक्ष इस विधेयक को लाने के पीछे राज्य में सत्तारूढ़ दल की राजनीतिक मंशा पर सवाल उठा रहा है. नतीजतन, इस बिल का भविष्य क्या है, इस सवाल का जवाब तो भविष्य के गर्भ में ही है.

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