देश- दिल्ली में शुरू हुई ‘आतिशी’ पारी, अब क्या करेंगे केजरीवाल और सिसोदिया?- #NA
अरविंद केजरीवाल, आतिशी और मनीष सिसोदिया
दिल्ली के मुख्यमंत्री का ताज आतिशी के सिर सजने जा रहा है. आतिशी ने अपने कई समकक्ष और वरिष्ठ नेताओं को मुख्यमंत्री की रेस में पीछे छोड़ दिया है. इसके पीछे की बड़ी वजह काम के साथ अरविंद केजरीवाल का भरोसेमंद होना है, जिसका उन्हें इनाम मिला है. अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. इसके साथ ही अब दिल्ली में केजरीवाल सरकार के बजाय आतिशी सरकार कहलाएगी. ऐसे में सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री पद छोड़ने वाले अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया क्या रोल प्ले करेंगे?
दिल्ली आबकारी नीति मामले में अरविंद केजरीवाल से लेकर मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जैसे आम आदमी पार्टी के नेताओं को जेल जाना पड़ा है. ऐसे में बीजेपी लगातार आम आदमी पार्टी और केजरीवाल की छवि पर सवालिया निशान खड़े कर रही थी. जेल से जमानत पर बाहर आए अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है तो मनीष सिसोदिया ने भी सरकार में कोई जिम्मेदारी नहीं ली है. आतिशी को दिल्ली की सत्ता की कमान सौंपने के बाद केजरीवाल और सिसोदिया खुलकर सियासी पिच पर उतरने का प्लान बनाया है.
मनीष सिसोदिया ने भी किया फैसला
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव फरवरी 2025 के बजाय नवंबर 2024 में कराने की मांग उठाई है. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली का विधानसभा चुनाव अगले साल फरवरी में कराने के बजाय इसी साल नवंबर में महाराष्ट्र के चुनाव के साथ ही कराया जाए. केजरीवाल के साथ-साथ मनीष सिसोदिया ने भी विधानसभा चुनाव तक कोई पद ना लेने का निर्णय लिया है. ऐसे में केजरीवाल-सिसोदिया की जोड़ी दिल्ली के सियासी मिजाज को आम आदमी पार्टी के पक्ष में करने का बीड़ा उठाएंगे, जिसके लिए पार्टी ने खास रणनीति तैयार कर रखी है.
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केजरीवाल और मनीष सिसोदिया
भ्रष्टाचार के आरोपों में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी और लंबे समय तक जेल में रहने के चलते आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता का मनोबल कमजोर हुआ है. केजरीवाल और मनीष सिसोदिया अब किसी संवैधानिक पद पर नहीं हैं. ऐसे में आम आदमी संगठन को मजबूती करने के साथ-साथ चुनावी राज्यों पर खास फोकस रखेंगे. इसके अलावा दिल्ली विधानसभा चुनाव को अपने ध्यान में रखकर कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने और जनता के बीच विश्वास बहाल करने पर पूरा जोर लगाएंगे.
पांच महीने बाद दिल्ली के चुनाव
दिल्ली विधानसभा चुनाव पांच महीने बाद हैं, लिहाजा मतदाताओं के बीच फिर से विश्वास बनाना केजरीवाल के लिए अहम है. दिल्ली की 90 विधानसभा सीटों पर केजरीवाल के कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई जा रही है और सिसोदिया पहले से इस मिशन में जुटे हैं. मनीष सिसोदिया ने जेल से बाहर आने के बाद विधानसभा सीट पर यात्रा और संवाद कार्यक्रम की शुरुआत की थी, जिसका आगाज उन्होंने ग्रेटर कैलाश क्षेत्र से शुरू किया था. अब केजरीवाल भी बाहर आ गए हैं और मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ चुके हैं. ऐसे में दोनों ही नेताओं का पूरा फोकस दिल्ली की सियासी जंग को फतह करने पर है.
घर-घर जाकर प्रचार करने की योजना
माना जा रहा है कि केजरीवाल और सिसोदिया ने विधानसभा सीट पर ही नहीं बल्कि वार्ड स्तर पर योजना बनाकर घर-घर जाकर प्रचार करने की योजना बनाई है. वह न केवल पार्टी के वरिष्ठ नेता, बल्कि जमीनी कार्यकर्ताओं का विश्वास भी जीतने की कोशिश करेंगे. करीब एक दशक से सियासी पारी खेल रहे अरविंद केजरीवाल ने सधी रणनीति के तहत आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर एक तीर से कई निशाने साधने का दांव चला है. एक तरफ केजरीवाल ने कुर्सी छोड़कर यह संदेश दिया है कि उन्हें पद और कुर्सी से कोई लालसा नहीं है और दूसरी तरफ आतिशी को कमान देकर महिला वोटों को साधने की स्ट्रैटेजी बनाई है.
पार्टी का राष्ट्रीय स्तर पर सियासी विस्तार
आम आदमी पार्टी अपना राष्ट्रीय स्तर पर सियासी विस्तार करने में जुटी है. दिल्ली और पंजाब की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी की नजर महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड पर है. हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी सभी सीटों पर अकेले किस्मत आजमा रही है. हरियाणा केजरीवाल का गृह राज्य है, जहां पर आम आदमी पार्टी को हर हाल में उभरते हुए देखना चाहते हैं. 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी 46 सीट पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन एक भी जीत नहीं सकी. इस बार आम आदमी पार्टी लंबे समय से जुटी हुई है, जिसके चलते माना जा रहा है कि केजरीवाल हरियाणा में चुनाव प्रचार करने के लिए उतर सकते हैं. इसके अलावा झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी केजरीवाल और सिसोदिया प्रचार की कमान संभाल सकते हैं.
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