देश- Adi Kailash Yatra: MI-17 हेलिकॉप्टर से कर सकेंगे आदि कैलाश के दर्शन, कब से भरेगा उड़ान?- #NA
आदि कैलाश के लिए शुरू होगी हेलीकॉप्टर सेवा.
आदि कैलाश पर्वत के दर्शन करने की इच्छा रखने वालों के लिए एक अच्छी खबर है. जी हां अब आदि कैलाश पर्वत के दर्शन करने के लिए खड़ी पहाड़ी और कठिन रास्तों से होकर नहीं गुजरना पड़ेगा, क्योंकि पर्यटन विभाग के द्वारा MI-17 हेलिकॉप्टर की मदद से श्रद्धालुओं को आदि कैलाश के दर्शन करवाने के लिए हवाई सेवा शुरू की जा रही है. इस सेवा के शुरू हो जाने यात्रियों का काफी समय बचेगा.
अभी तक आदि कैलाश के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को कठिन रास्तों को पार कर पहुंचना पड़ता था, जिससे समय के साथ खतरा भी बढ़ जाता था, लेकिन MI-17 हेलिकॉप्टर की मदद से आदि कैलाश की यात्रा काफी सुगम हो जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदि कैलाश दौरे के बाद से ही आदि कैलाश दर्शन करने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है. वहीं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि MI-17 हेलिकॉप्टर से हवाई दर्शन करवाने की सेवा नवंबर महीने से शुरू हो जाएगी.
आदि कैलाश के लिए हेलीकॉप्टर सेवा
इस सेवा में न केवल आदि कैलाश के दर्शन की व्यवस्था होगी, बल्कि ओम पर्वत, कैलाश व्यू पॉइंट के भी श्रद्धालुओं को दर्शन कराए जाएंगे. हालांकि दर्शन स्थल की ऊंचाई 14 हजार फीट से ज्यादा होने की वजह से ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए 55 वर्ष तक की आयु सीमा तय की गई है. यात्रा शुरू करने से पहले हेल्थ चेकअप भी करवाया जाएगा. उसके बाद ही आगे की यात्रा शुरू हो सकेगी.
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क्या होगा आदि कैलाश जाने का रूट?
आदि कैलाश के दर्शन के लिए यात्रा पिथौरागड़ से शुरू होगी, जहां से सेना का MI-17 हेलिकॉप्टर एक बार में 15 यात्रियों को लेकर उड़ान भरेगा और गूंजी गांव तक पहुंचाएगा. गूंजी गांव से हाई पावर फोर व्हीलर गाड़ियों से 21 किलोमीटर आगे नाभीढांग पहुंचेंगे, जहां से पहले श्रद्धालु ओम पर्वत के दर्शन कर पाएंगे. फिर सेना और ITBP के जवानों की सुरक्षा में श्रद्धालु 9 किलोमीटर आगे ओल्ड लिपुलेख पास पहुंचेंगे.
व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में जुटा विभाग
लिपुलेख के पास चोटी पर बने व्यू पॉइंट से श्रद्धालु कैलाश पर्वत दर्शन कर सकेंगे, जिसको लेकर पर्यटन विभाग के अधीन कुमाऊं मंडल विकास निगम तैयारियों और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में जुटा हुआ है. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के मुताबिक, यात्रियों की सुगम यात्रा के लिए बीच में 200 मीटर का पैदल मार्ग है, जिसे ठीक करवाया जा रहा है, ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न आए.
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