देश – चीन ने उठाया ऐसा कदम, जापान से ऑस्ट्रेलिया तक मच गई खलबली; भारत के लिए भी क्यों खतरे की घंटी – #INA

चीन ने अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र यानी प्रशांत महासागर में बुधवार को डमी वारहेड के साथ एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का सफल परीक्षण किया है। इससे पड़ोसी देश भड़क उठे हैं। जापान से लेकर ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड तक ने इस पर आपत्ति जताई है। हालांकि, चीनी रक्षा मंत्रालय के अनुसार यह परीक्षण वार्षिक अभ्यास का एक हिस्सा है। इसे स्थानीय समयनुसार सुबह 8.44 बजे पीपल्स लिबरेशन आर्मी की रॉकेट बल द्वारा प्रक्षेपित किया गया।

चीनी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, बुधवार को किया गया प्रक्षेपण 1980 के बाद किया गया इस तरह का पहला परीक्षण है, जो नियमित अभ्यास का हिस्सा है। बीजिंग ने कहा है कि इसका उद्देश्य किसी देश या लक्ष्य को निशाना बनाना नहीं था। चीनी मीडिया ने कहा है कि बीजिंग ने संबंधित देशों को भी इसकी सूचना दी थी लेकिन जापान ने इसका विरोध किया है और कहा है कि उसे कोई सूचना या चेतावनी नहीं मिली थी। प्रशांत महासागर के अन्य पड़ोसी देशों ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने भी चीन के इस कदम पर चिंता जाहिर की है।

चीन के ICBM प्रक्षेपण से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है, विश्लेषकों का कहना है कि यह चीन की लंबी दूरी की परमाणु क्षमताओं में वृद्धि को दर्शाता है। हालांकि चीन का दावा है कि यह प्रक्षेपण अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय अभ्यास के अनुसार है। यह प्रक्षेपण किसी विशेष देश या लक्ष्य के खिलाफ लक्ष्य करके नहीं किया गया। चीन सेंट्रल टेलीविजन (सीसीटीवी) के अनुसार, मिसाइल अपने अपेक्षित जगह पर समुद्री क्षेत्र में गिरी है और इससे किसी को कोई हानि नहीं हुई है।।

44 वर्षों में ऐसा पहली बार है कि जब चीन ने खुले समुद्र में ICBM का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, मई 1980 में चीन के पहले ICBM DF-5 ने 9,000 किलोमीटर से अधिक उड़ान भरी थी। माना जा रहा है कि तब से अब तक चीन ने कई ICBM का परीक्षण किया है लेकिन वे सभी अपनी सीमा में थे। नया बैलिस्टिक मिसाइल अमेरिका की मुख्य भूमि तक पहुंचने में सक्षम है।

क्या है ICBM DF-41

चीन के सरकारी मीडिया ने इस परीक्षण के बारे में बहुत कम जानकारी साझा की है लेकिन कहा गया है कि देश का नवीनतम ICBM DF-41 के रूप में जाना जाता है। इसकी रेंज 12,000 से 15,000 किलोमीटर (7,400 से 9,300 मील) होने का अनुमान है और यह अमेरिका की मुख्य भूमि तक पहुँचने में सक्षम है।

परमाणु क्षमता से संपन्न DF-41 अपने साथ 2500 किलो तक पेलोड ले जा सकता है। यह अपने साथ 10 वारहेड ले जाने में सक्षम है। कई स्वतंत्र रूप से लक्षित किए जा सकने वाले रीएंट्री वाहनों (MIRV) को भी ये मिसाइल ले जा सकती है। यह सड़क के साथ-साथ रेल पथ पर भी चलने में सक्षम है। यह दुर्गम इलाकों में भी जा सकता है।

दुनिया को क्या संदेश

चीन ने ऐसे समय में यह परीक्षण किया है, जब यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस, चीन और उत्तर कोरिया नजदीक आ चुके हैं। विश्लेषकों का कहना है कि चीन द्वारा इस परीक्षण का उद्देश्य पूर्वी चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य से लेकर दक्षिण चीन सागर तक के आसपास के जलक्षेत्रों में बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका और उसके सहयोगियों को चेतावनी देना है। सियोल में इवा यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के प्रोफेसर लीफ-एरिक इस्ले ने CNN से कहा कि बीजिंग का परीक्षण वाशिंगटन के लिए एक संदेश है कि ताइवान जलडमरूमध्य में संघर्ष में सीधे दखल देने पर अमेरिकी जमीन पर हमला होने की आशंका है।

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इस बीच ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि चीन की कार्रवाई अस्थिर करने वाली है और इससे क्षेत्र में गलत अनुमान लगाने का जोखिम बढ़ गया है। ऑस्ट्रेलिया ने इस कदम पर बीजिंग से स्पष्टीकरण की मांग की है। न्यूजीलैंड ने भी इसे गैर जरूरी और चिंताजनक कदम बताया है। विशेषज्ञों ने कहा है कि चीन का यह कदम एशिया में अमेरिका के सहयोगियों के लिए उकसावे वाला है क्योंकि चीन एक से अधिक कई मोर्चों पर लड़ने में सक्षम है।

भारत को क्या खतरा

भारत और चीन के बीच संबंधों में तनातनी जारी है। ऐसे में चीन का नया ICBM परीक्षण भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता पैदा करने वाला है क्योंकि उसकी मारक क्षमता 12 हजार से 15 हजार किमी तक है। भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, जो सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। इसके अलावा चीन ने पश्चिम में पाकिस्तान और पूर्व में म्यांमार तक अपना सैन्य बेस बना रखा है। इस तरह भारत का पूरा भौगोलिक क्षेत्र चीनी ICBM की जद में आ सकता है।

हालांकि, यह इतना आसान नहीं है, इसकी भनक चीन और पाकिस्तान को भी है लेकिन पश्चिमी देशों खासकर अमेरिका से मित्रता के कारण चीन भारत से हड़कता रहा है। चीन भारत को एक तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था और परमाणु हथियार शक्ति के रूप में चुनौती के रूप में देखता रहा है।

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