देश- महाराष्ट्र: देसी गाय अब ‘राज्यमाता’, शिंदे सरकार का मास्टरस्ट्रोक, गेम के पीछे क्या है वजह?- #NA
शिंदे सरकार ने गाय को घोषित किया राज्यमाता. (फाइल फोटो)
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में गाय को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया. कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने यह बड़ा मास्टरस्ट्रोक चला है. बता दें कि राज्य सरकार ने देसी गायों को ‘राज्यमाता-गोमाता’ घोषित कर दिया है. कई हिंदू संगठनों की मांग थी कि गायों को राज्य माता का दर्जा दिया जाना चाहिए.
ऐसा माना जा रहा है कि हिंदू संगठनों की इस मांग को स्वीकार कर शिंदे सरकार ने हिंदू वोटों को एकजुट करने की कोशिश की है. इसलिए कहा जा रहा है कि चुनाव में इसकी काट तलाशना महाविकास अघाड़ी के लिए बड़ी चुनौती होगी.
क्या है शिंदे सरकार का फैसला?
सरकार ने देसी गायों को ‘राज्यमाता-गोमाता’ घोषित किया है. इस निर्णय के अनुसार देसी गाय के पालन-पोषण के लिए प्रत्येक गाय पर प्रतिदिन 50 रुपये की सब्सिडी देने का निर्णय लिया गया है. गौशालाओं की आय बहुत कम है. इसलिए गौशालाओं को मजबूत करने के लिए यह निर्णय लिया गया है. जानकारी के मुताबिक यह योजना महाराष्ट्र गोसेवा आयोग द्वारा ऑनलाइन लागू की जाएगी. वहीं प्रत्येक जिले में गौशाला सत्यापन समिति का गठन किया जाएगा.
राज्य में कितनी देसी गायें?
साल 2019 में 20वीं पशु जनगणना आयोजित की गई थी. इसके मुताबिक इस समय गायों की संख्या 46 लाख 13 हजार 632 है. यह संख्या 19वीं जनगणना की तुलना में 20.69 प्रतिशत कम है. आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में गायों की संख्या और उनके रख-रखाव में कमी आई है. सरकार ने यह फैसला देसी गायों की संख्या बढ़ाने और इन गायों के रख-रखाव के लिए लिया है.
राज्य में गोहत्या पर प्रतिबंध है. ऐसे में कई लोग गायों को चारा नहीं खिला पा रहे हैं. इसलिए इन गायों को सड़कों पर छोड़ दिया जाता है. गौशालाएं इन गायों का पालन-पोषण करती हैं. लेकिन आर्थिक कारणों से गौशालाएं भी खरगोश का बिल बन जाती हैं. हालांकि, अब सरकार ने गौशालाओं को सब्सिडी देने का फैसला किया है. जिससे गाय के पोषण और चारे की समस्या का समाधान हो जाएगा. साथ ही ये गायें अब सड़कों पर घूमती नजर नहीं आएंगी.
हिंदू वोट पर नजर
राज्य में हिंदू वोट निर्णायक हैं. इसलिए एकनाथ शिंदे सरकार ने हिंदू वोटों को आकर्षित करने के लिए जोरदार प्रयास शुरू कर दिए हैं. सूत्रों ने बताया कि इसके तहत शिंदे सरकार हिंदुओं की मांगें मानकर उन्हें करीब लाने की कोशिश कर रही है. लोकसभा चुनाव में मुस्लिम और हिंदू मतदाताओं ने महाविकास अघाड़ी को वोट दिया. इसलिए महाविकास अघाड़ी ने 31 सीटें जीतीं.
लेकिन केंद्र और राज्य में तीन शक्तिशाली दलों और सत्ता के बावजूद, ग्रैंड अलायंस सफल नहीं हुआ. इसलिए, महायुति ने हिंदू वोट बैंक को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है. इसके तहत सरकार ने गाय को राज्य गाय घोषित करने की हिंदुओं की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार कर लिया है. राज्य में कभी भी चुनाव हो सकते हैं. इससे पहले यह कहा जा रहा है कि महाविकास अघाड़ी ने यह चाल चलकर सरकार की आशंकाओं को हिला दिया है. लेकिन महायुति की ये चाल चुनाव में कितना लाभ पहुंचाएगी ये तो नतीजों के बाद ही पता चलेगा.
राज्य में हिंदुओं की संख्या?
2023 में महाराष्ट्र की जनसंख्या बढ़कर 11.24 करोड़ हो गई है. महाराष्ट्र में मुसलमानों की आबादी 1.30 करोड़ है. यानी राज्य में मुस्लिम 11.54 फीसदी हैं. वहीं ईसाइयों की आबादी 10.80 लाख है. यानी राज्य में ईसाई 0.96 फीसदी हैं. इसके अलावा राज्य में सबसे बड़ी हिंदुओं की आबादी 79.83 प्रतिशत है.
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