देश – इजरायल से कितनी बार जंग लड़ चुका है ईरान, किसे मिली जीत? दिलचस्प है 'पुराने दोस्तों' का इतिहास – #INA

इजरायली सेना ने कहा है कि ईरान ने इजरायल पर मंगलवार को 200 मिसाइल दागीं। ईरान के इस हमले के साथ ही इजरायल का करीब एक वर्ष पहले हिजबुल्लाह और हमास के उग्रवादियों के साथ शुरू हुआ संघर्ष भीषण रूप से उग्र हो गया है और इसके पूरे पश्चिम एशिया क्षेत्र में फैलने का खतरा मंडराने लगा है। लोगों को डर है कि ईरान और इजरायल पहली बार सीधे युद्ध में उतर सकते हैं। वैसे ईरान और इजरायल के बीच सीधा युद्ध कभी नहीं हुआ है, लेकिन दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव और संघर्ष की एक लंबी और जटिल इतिहास रहा है। इन दोनों राष्ट्रों ने सीधे तौर पर एक-दूसरे के खिलाफ युद्ध नहीं लड़ा है, लेकिन क्षेत्रीय संघर्षों और विभिन्न मिलिशिया और प्रॉक्सी समूहों के जरिए कई संघर्ष हुए हैं। आज हम ईरान और इजरायल के बीच संबंधों के इतिहास, उनके संघर्ष के प्रमुख कारणों और क्षेत्रीय प्रभाव के बारे में विस्तार से जानेंगे।

ईरान और इजरायल, पुराने दोस्तों के संबंधों की शुरुआत

1950 और 1960 के दशक में, ईरान और इजरायल के बीच रिश्ते मजबूत थे। उस समय, ईरान एक शाही राज्य था और पश्चिमी देशों के साथ घनिष्ठ संबंध रखता था। इजरायल और ईरान ने गुप्त रूप से सहयोग किया था, खासकर सैन्य और खुफिया क्षेत्रों में। ईरान इजरायल को तेल की आपूर्ति करता था और इजरायल ने बदले में ईरान की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में मदद की। ये दोस्ती कई सालों तक चली।

इस्लामी क्रांति और बदलते समीकरण

1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति के बाद, शाह को सत्ता से बेदखल कर दिया गया और अयातुल्लाह रुहोल्ला खुमैनी के नेतृत्व में एक इस्लामी गणराज्य की स्थापना हुई। इस क्रांति ने ईरान और इजरायल के संबंधों में एक निर्णायक मोड़ ला दिया। खुमैनी ने इजरायल को “शैतान” कहा और फिलिस्तीनी संघर्ष का समर्थन किया। इसके बाद से ही ईरान की विदेश नीति में इजरायल विरोधी रुख स्पष्ट हो गया।

ईरान और इजरायल के बीच अप्रत्यक्ष संघर्ष

हालांकि ईरान और इजरायल ने कभी प्रत्यक्ष रूप से युद्ध नहीं लड़ा है, लेकिन वे कई बार एक-दूसरे के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे हैं। इन संघर्षों में मुख्य रूप से प्रॉक्सी युद्ध, खुफिया गतिविधियाँ और साइबर हमले शामिल रहे हैं।

1. लेबनान और हिजबुल्लाह

1982 में इजरायल ने लेबनान पर आक्रमण किया, जिसके दौरान हिजबुल्लाह का उदय हुआ। हिजबुल्लाह एक शिया मिलिशिया समूह है जिसे ईरान द्वारा वित्तीय और सैन्य सहायता प्राप्त होती है। 2006 में इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच एक बड़ा संघर्ष हुआ, जिसे “लेबनान युद्ध” के नाम से जाना जाता है। हालांकि यह युद्ध इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच था, लेकिन इसे ईरान के प्रॉक्सी युद्ध के रूप में देखा गया, क्योंकि हिजबुल्लाह ईरान के समर्थन से संचालित होता है।

2. सीरिया का गृहयुद्ध

सीरिया में 2011 में शुरू हुए गृहयुद्ध ने इजरायल और ईरान के बीच तनाव को और बढ़ा दिया। ईरान ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद का समर्थन किया और इजरायल ने उन ईरानी और हिजबुल्लाह की सेनाओं पर हमले किए जो सीरिया में सक्रिय थीं। इजरायल ने सीरिया में कई बार ईरानी ठिकानों और हथियारों की आपूर्ति को निशाना बनाया है। इन हमलों के जरिए इजरायल ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि ईरान और हिजबुल्लाह की सैन्य ताकत सीमा पर न बढ़े।

3. गाजा और हमास

7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर भीषण हमला करने वाले सुन्नी संगठन हमास को भी ईरान से समर्थन प्राप्त है। ईरान ने फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास को भी समर्थन दिया है, जो गाजा पट्टी में सक्रिय है और इजरायल के खिलाफ कई रॉकेट हमलों में शामिल रहा है। हालांकि हमास और इजरायल के बीच प्रत्यक्ष संघर्ष हुआ है, लेकिन ईरान का समर्थन भी इन संघर्षों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

साइबर युद्ध

ईरान और इजरायल के बीच एक और प्रमुख संघर्ष का क्षेत्र साइबर स्पेस है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ कई साइबर हमले किए हैं। इजरायल पर ईरान के खिलाफ परमाणु सुविधाओं पर साइबर हमले का आरोप है, विशेष रूप से स्टक्सनेट वायरस के जरिए। वहीं, ईरान ने भी इजरायल के खिलाफ साइबर हमले किए हैं, जिनमें इजरायली जल आपूर्ति प्रणालियों और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया है।

क्षेत्रीय राजनीति और भू-रणनीति

ईरान और इजरायल का संघर्ष केवल उनके राष्ट्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यापक रूप से मध्य पूर्व की राजनीति और भू-रणनीति को प्रभावित करता है। दोनों देशों के बीच का तनाव मुख्य रूप से ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव को बढ़ाने और इजरायल की सुरक्षा को खतरे में डालने के कारण होता है। ईरान शिया इस्लाम के समर्थक के रूप में मध्य पूर्व में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जबकि इजरायल सुन्नी अरब देशों के साथ संबंध मजबूत कर रहा है ताकि वह ईरान के प्रभाव को संतुलित कर सके।

हाल के वर्षों में, इजरायल ने कुछ अरब देशों के साथ संबंध सामान्य किए हैं, जिन्हें “अब्राहम समझौते” के तहत देखा जा सकता है। हालांकि, ईरान इन समझौतों का कड़ा विरोध करता है, क्योंकि यह उसे और अधिक अलग-थलग कर सकता है।

ईरान और इजरायल में कौन सबसे ज्यादा ताकतवर और कौन रहा विजयी?

ताकत के संदर्भ में, इजरायल को अधिक मजबूत माना जा सकता है क्योंकि उसके पास उन्नत सैन्य तकनीक, परमाणु हथियार, अमेरिका और पश्चिमी देशों का मजबूत समर्थन और एक स्थिर अर्थव्यवस्था है। दूसरी ओर, ईरान की क्षेत्रीय शक्ति उसकी प्रॉक्सी सेनाओं और मिसाइल कार्यक्रम के कारण अधिक है, लेकिन आर्थिक प्रतिबंध और कमजोर अंतरराष्ट्रीय समर्थन उसकी ताकत को सीमित करते हैं। ईरान के साथ अप्रत्यक्ष जंगों में जीत हमेशा इजरायल की ही मानी गई है। क्योंकि इजरायल ने कई मौकों पर ईरान के अंदर मौजूद खतरों को निपटाया है। ताजा मामला हमास प्रमुख इस्माइल हनियेह का है जिसे इजरायल ने ईरान के अंदर बेहद शातिर प्लानिंग के साथ खत्म किया था।

ईरान और इजरायल के बीच कभी सीधा युद्ध नहीं हुआ है, लेकिन इनके बीच का संघर्ष बहुत गहरा और जटिल है। प्रॉक्सी युद्ध, साइबर हमले, क्षेत्रीय राजनीति, और वैचारिक मतभेद दोनों देशों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करते हैं। इजरायल अपने राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ईरान के प्रभाव को रोकने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठा रहा है, जबकि ईरान अपनी क्षेत्रीय और वैचारिक स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। आने वाले वर्षों में भी यह संघर्ष जारी रहने की संभावना है, खासकर तब जब ईरान का परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ने की कोशिश करेगा।

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