लाशों का सूप! दाह संस्कार होने का करते इंतजार, चिता ठंडी होते ही राख निकालकर बनाते… #INA

Corpse soup: दुनिया में अलग-अलग जगहों पर विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, जनजातियों और रीति-रिवाजों को देखा जा सकता है. कुछ परंपराएं बेहद आकर्षक होती हैं. तो कुछ ऐसी होती हैं जिनके बारे में जानकर अचरज में पड़ जाते हैं. दक्षिण अमेरिका की यानोमामी जनजाति में लाशों का सूप बनाकर पीने की परंपरा है.  एंडोकैनिबलिज्म एक ऐसी प्रथा है जिसमें एक ही जनजति, समुदाय या समाज के मृत व्यक्ति का मांस खाया जाता है. यहां के लोगों का मानना है कि ऐसा करने से मृतकों की दिवंगत आत्मा की रक्षा होती है. इसलिए उसके शरीर को जीवित रिश्तेदारों जलाते हैं और खाते हैं. इस जनजाति को यानम या सेनेमा नाम से भी जाना जाता है. यह वेनेजुएला और ब्राजील के कुछ हिस्सों में पाई जाती है. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.

मृत्यु में विश्वास नहीं करते 

कबीलेवासियों का मानना है कि मृत्यु कोई प्रक्रिया नहीं है. किसी विरोधी समुदाय के जादूगर ने उनके परिजन पर हमला करने के लिए बुरी आत्माओं को भेजा है. इसलिए जैसै ही किसी की मौत होती है तो तुरंत उस व्यक्ति के शरीर का अंतिम संस्कार कर देना चाहिए. शव को जलाने और उसकी राख पीने से उनके प्रियजनों की आत्माएं पुनर्जीवित होती हैं. 

ऐसे तैयार करते हैं सूप

ये लोग मृतक के शरीर की राख को अपने चेहरे पर लगाते हैं. परिवार में मौत के बाद दुःख प्रगट करने के लिए गाते हैं और रोते हैं. शवों को जलाने के बाद अवशेषों को इकट्ठा करते हैं. उन्हें राख में मिलाकर पाउडर में बदल देते हैं. इसके बाद सूप तैयार किया जाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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