देश- ‘उमर अब्दुल्ला का ट्वीट भ्रामक, जरा भी सच्चाई नहीं; गृहमंत्री कार्यालय ने इस मामले में जारी किया कड़ा बयान- #NA

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (फाइल फोटो)

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को जम्मू कश्मीर के निर्वाचित सरकार की शक्तियों में कटौती करने की बात को खारिज कर दिया. मंत्रालय ने इस बात को भ्रामक बताते हुए कहा कि इसमें जरा भी सच्चाई नहीं है, क्योंकि ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं है. गृह मंत्रालय का स्पष्टीकरण जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला के एक एक्स पोस्ट पर आया है. उन्होंने बताया कि ऐसी जानकारी उन्हें सचिवालय के भीतर से मिली है.

उमर अब्दुल्ला का कहना है कि केंद्र की ओर से जम्मू कश्मीर सरकार के व्यापार संबंधी नियमों में बदलाव करने का काम सौंपा गया है. ताकी निर्वाचित मुख्यमंत्री की शक्तियों में कटौती कर एलजी को सौंपा जा सके. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कार्यालय द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री के पोस्ट पर कड़ा बयान जारी किया. शाह के कार्यालय ने पोस्ट में लिखा, ‘उमर अब्दुल्ला का ट्वीट भ्रामक और अटकलों से भरा है. इसमें एक अंश भी सच्चाई नहीं है क्योंकि ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं है.’

गृह मंत्रालय का उमर अब्दुल्ला को जवाब

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कार्यालय ने पोस्ट में लिखा कि, ‘उमर अब्दुल्ला ट्वीट भ्रामक और अटकलबाजी वाला है. इस बात में रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है, क्योंकि ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं है. भारत की संसद द्वारा पारित जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में व्यापार नियमों के लेन-देन को अधिसूचित करने का प्रावधान है. इसे वर्ष 2020 में अधिसूचित किया गया था. जम्मू-कश्मीर के लोगों ने ऐतिहासिक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से, लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार लाने के भारत सरकार के प्रयासों का पूरे दिल से समर्थन किया है, जिसमें नागरिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया.’

उमर अब्दुल्ला ने अधिकारियों को दी थी सलाह

उमर अब्दुल्ला ने अपने एक्स पोस्ट पर केंद्र शासित प्रदेश के नौकरशाहों के लिए भी सलाह जारी की थी. इसमें अधिकारियों से कहा था कि वे आगामी निर्वाचित सरकार को कमजोर करने वाले किसी भी दबाव का विरोध करें. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने जम्मू कश्मीर में स्पष्ट रूप से हार स्वीकार कर ली है, इसलिए नियमों को बदलने का काम क्यों सौंपा गया.

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उमर अब्दुल्ला ने पोस्ट में लिखा, ‘बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से हार स्वीकार कर ली है. अन्यथा मुख्य सचिव को सरकार के कार्य संचालन नियमों में परिवर्तन करने का कार्य क्यों सौंपा गया? ताकि मुख्यमंत्री/निर्वाचित सरकार की शक्तियों में कटौती की जा सके और उसे एलजी को सौंपा जा सके? यह जानकारी मुझे सचिवालय के भीतर से मिली है. अधिकारियों को सलाह दी जाती है कि वे आने वाली निर्वाचित सरकार को और अधिक कमजोर करने के किसी भी दबाव का विरोध करें.’

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