देश- महिला डॉक्टर के हॉस्पिटल में काम करने वालों ने रजी राजिश, लूट लिए डेढ़ करोड़ रुपये- #NA
कानपुर में ठगी का शिकार हुई डॉक्टर
उत्तर प्रदेश के कानपुर के एक प्रतिष्ठित नर्सिंग होम की डॉक्टर मालकिन के साथ उसके स्टाफ ने डेढ़ करोड़ रुपए की ठगी कर ली. यह ठगी मालकिन के साथ उसके ही तीन कर्मचारियों ने षडयंत्र और धोखाधड़ी के जरिए की. फिलहाल, डॉक्टर मालकिन की तहरीर पर थाना ग्वालटोली पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई शुरू कर दी. इनमें से एक कर्मचारी राहुल को गिरफ्तार करके पुलिस ने जेल भेज दिया है. डॉक्टर मालकिन के नर्सिंग होम स्टाफ ने नर्सिंग होम की पावर ऑफ अटॉर्नी लिए उनकी बहन और उनके बीच के पैसों के लेनदेन में फर्जी दस्तावेजों से अकाउंट बनाकर यह रकम उसमें ट्रांसफर करा ली.
स्टाफ कर्मचारियों ने इस तरह से डॉक्टर को अपना निशाना बनाया और 1.5 करोड़ रुपये ठग लिए. बाद में रूपयों की हेरा फेरी की जानकारी मिलने पर आरोपियों के खिलाफ ग्वालटोली थाने में केस दर्ज कराया था. कानपुर शहर की एक प्रतिष्ठित नर्सिंग होम आभा की मालकिन डॉक्टर से उनके पास काम करने वाले कर्मचारियों ने षडयंत्र और धोखाधड़ी करके 1.5 करोड़ की ठगी कर ली. डॉ आभा गुप्ता ने ग्वालटोली थाने में दर्ज एफआईआर में बताया कि सुबह जेनेवा न्यूपोर्ट केलिफोर्निया यूएसए में रह रही हैं लेकिन वर्तमान में वह कानपुर एलन गंज में है.
अल्जाइमर रोग से पीड़ित हुईं डॉक्टर
आभा नर्सिंग होम की प्रमुख चिकित्सक डॉक्टर प्रतिभा उनकी सगी बहन और उनसे ली गई पावर ऑफ अटॉर्नी की धारक हैं. करीब पिछले चार-पांच सालों से डॉ. रोहतगी अल्जाइमर रोग से पीड़ित हो गई थी. उन्हें जब उनकी इस बीमारी का पता चला तो उन्होंने मेरे पक्ष में 14 अक्टूबर 2020 को एक रजिस्टर्ड सामान्य मुख्तारनामा कर दिया था. तब से सभी लेनदेन उनकी ही जानकारी में होते थे. अस्पताल के कर्मचारी राहुल कटियार नेहा व रजत सिंह ने योजनाबद्ध तरीके से धोखाधड़ी और जालसाजी करके डॉक्टर प्रतिभा को डेढ़ करोड़ रुपए का नुकसान हो गया की जानकारी दी.
ठगी करने वालों ने धोखाधड़ी से बचत बैंक खाता खोलने की साजिश रची. आरोप है, कि तीनों कर्मचारी ने डॉ रोहतगी का आधार और पैन कार्ड से उनके जाली हस्ताक्षर करें और एक महिला ने अपने नाम से खाता खुलवा लिया. तीनों ने ही मिलकर धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेजों को तैयार कर 1.5 करोड़ की बड़ी रकम ट्रांसफर कर ली.
फिलहाल, पुलिस ने भी मामले की जांच में पाया कि तीनों आरोपियों ने मिलकर कोर्ट रचित दस्तावेजों से एक फर्जी अकाउंट खुलवाकर उसमें वह रकम ट्रांसफर करी है. इसके बाद उस फर्जी अकाउंट को सीज भी करा दिया गया है.
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