देश – नतीजों से पहले ही क्यों जम्मू-कश्मीर में 5 विधायकों पर बवाल, कैसे विपक्ष को गेम पलटने का डर – #INA
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के आज नतीजे आने हैं। उससे पहले ही केंद्र शासित प्रदेश में 5 नामित विधायकों को लेकर हलचल तेज है। इसे लेकर विपक्षी दलों ने ऐतराज जताना भी शुरू कर दिया है और नतीजों से पहले इस पर ही विवाद हो गया है। पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस का कहना है कि इससे एलजी को गैर-जरूरी ताकत मिलेगी और उसका फायदा वे भाजपा को पहुंचाएंगे। जम्मू-कश्मीर के चुनाव नतीजों को लेकर अब तक एग्जिट पोल्स के अनुमान में यही जाहिर किया गया है कि किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा। ऐसी स्थिति में 5 नामित विधायक सारे समीकरण बदल सकते हैं। इसलिए इस मसले पर विवाद तेज है।
इस चुनाव में अकेले ही उतरने वाली भाजपा कभी भी जम्मू-कश्मीर में अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई है। 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद उसने पीडीपी के साथ सरकार का गठन किया था, लेकिन 2018 में दोनों अलग हो गए थे। फिर 2019 में तो पूरी तस्वीर ही बदल गई। आर्टिकल 370 और 35ए को हटा दिया गया। राज्य का पुनर्गठन करते हुए लद्दाख को अलग किया गया और बचे हुए जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। इस तरह 6 साल के लंबे इंतजार के बाद जम्मू-कश्मीर को सरकार मिलने वाली है। ऐसे में इस सरकार गठन में नामित विधायकों का क्या रोल होगा, इसे लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
यही नहीं भाजपा सूत्रों की ओर से तो 5 नामों की चर्चा भी होने लगी है, जिन्हें विधायक के तौर पर नामित किया जा सकता है। इनमें से 4 नेता जम्मू के हो सकते हैं और एक नाम कश्मीर का होगा। भाजपा सूत्रों के अनुसार कश्मीर से पार्टी की नेता डॉ. फरीदा खान को मनोनीत किया जाएगा। इसके लिए उनसे संपर्क भी किया गया है। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के अनुसार 5 विधायकों को नामित किया जा सकता है, जिनमें से 3 महिलाएं होंगी। ऐसे में दो और विधायक महिला हो सकती हैं।
अब इन मनोनीत विधायकों को लेकर विपक्ष कह रहा है कि यह पीछे के रास्ते से भाजपा को सत्ता में लाने की साजिश है। विपक्ष का कहना है कि एलजी मनोज सिन्हा मनोनीत विधायकों के जरिए भाजपा को सत्ता में लाने की कोशिश करेंगे, जो अपने दम पर बहुमत से दूर ही रहेगी। नियम के अनुसार 5 नामित विधायकों में तीन महिला होनी चाहिए। यही नहीं इनमें से भी दो कश्मीरी पंडित, एक पीओके से आए विस्थापित को मौका देने की बात है। इन विधायकों को भी जोड़ लें तो जम्मू-कश्मीर विधानसभा का संख्याबल 95 हो जाएगा और ऐसी स्थिति में सरकार गठन के लिए जादुई आंकड़ा 48 का होगा।
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