देश – मुस्लिम महिला के हाथ मिलाने पर मचा था बवाल, मामला पहुंचा हाई कोर्ट; क्या आया फैसला – #INA
केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि देश में कोई भी धार्मिक विश्वास संविधान से ऊपर नहीं है। कोर्ट ने यह टिप्पणी केरल मल्लपुरम जिले के कोट्टक्कल निवासी और धार्मिक उपदेशक नौशाद अहसनी द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए की। नौशाद ने एक लॉ की स्टूडेंट द्वारा दर्ज मानहानि के मामले को रद्द करने की मांग की थी। यह मामला तब शुरू हुआ जब नौशाद अहसनी ने सोशल मीडिया पर यह दावा किया कि एक युवा महिला का दूसरे पुरुष से स्पर्श करना शरीयत के खिलाफ है और इससे समाज में गलत संदेश फैलता है। इस दावे के बाद महिला ने नौशाद के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें कहा गया कि इस बयान से उनकी और उनके परिवार की मानहानि हुई है। इसके बाद पुलिस ने नौशाद के खिलाफ मामला दर्ज किया।
यह घटना 18 अगस्त 2016 की है जब कोझीकोड के मार्कस नॉलेज सिटी में एक कार्यक्रम के दौरान लॉ की स्टूडेंट ने केरल के तत्कालीन वित्त मंत्री थॉमस आइजैक से हाथ मिलाया था। नौशाद ने इस घटना को शरीयत कानून का उल्लंघन बताते हुए सार्वजनिक रूप से विरोध किया। इस मामले पर सुनवाई करते हुए, जस्टिस पीवी कुंजिकृष्णन ने कहा कि भारत में संविधान सबसे बड़ा है और हर नागरिक को अपने धार्मिक विश्वास का पालन करने का अधिकार है लेकिन यह एक व्यक्तिगत अधिकार है। अदालत ने स्पष्ट किया कि कोई भी धार्मिक परंपरा या आस्था किसी और पर थोपने का अधिकार नहीं देता। जज ने कहा, “हर धर्म में पुरानी परंपराएं हो सकती हैं, जिनसे कुछ लोग सहमत हो सकते हैं और कुछ असहमत। लेकिन, किसी का धार्मिक विश्वास दूसरे पर थोपा नहीं जा सकता।”
नौशाद पर लॉ की स्टूडेंट द्वारा दर्ज की गई शिकायत में समाज में अशांति फैलाने और एक महिला की निजता का उल्लंघन करने के आरोप लगाए गए थे। अदालत ने याचिकाकर्ता के इस तर्क को खारिज कर दिया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप टिकाऊ नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले का अंतिम फैसला फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट की अदालत में होगा, जहां यह मामला अभी लंबित है। अगर याचिकाकर्ता निर्दोष पाए जाते हैं, तो उन्हें वहीं से राहत मिलेगी।
हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि संबंधित अदालत को ही मामले का निपटारा करना चाहिए। लॉ की स्टूडेंट ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि नौशाद ने जानबूझकर धार्मिक संगठनों के बीच विभाजन और नफरत फैलाने की कोशिश की, जिससे उनके परिवार को मानसिक और सामाजिक हानि हुई।
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