देश- कटे-फटे नोट, कोड वर्ड से डिलीवरी और दुबई में बैठा आका… दिल्ली में ऐसे फल-फूल रहा था नशे का कारोबार?- #NA
नशे के कारोबार में शामिल सात आरोपियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार.
दिलवालों की दिल्ली अब नशे के कारोबारियों का अड्डा बनती जा रही है. नशे की बड़ी-बड़ी खेप यहां बड़ी ही आसानी से पहुंचती हैं और यहीं से देश के अन्य राज्यों में सप्लाई हो रही हैं. ऐसे में लग रहा है कि नशे के कारोबारी दिल्ली को ड्रग्स का हब बनाना चाहते हैं. बीते 10 दिनों में दिल्ली में सात हजार करोड़ की ड्रग्स पकड़ी जा चुकी है. ड्रग्स तस्करी गैंग के मास्टरमाइंड से लेकर गैंग के सदस्यों तक को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पूछताछ में इन्होंने जो खुलासे किए हैं, वो और भी चौंकाने वाले हैं.
2 अक्टूबर को दिल्ली के महिपालपुर में क्राइम ब्रांच ने एक गोदाम में छापेमारी की थी. गोदाम से 562 किलो कोकीन और 40 किलो थाईलैंड का मेरवाना ड्रग्स पकड़ा था. इंटरनेशनल मार्केट में कोकीन की कीमत 5000 करोड़ रुपए थी. वहीं थाईलैंड के मेरवाना ड्रग्स की कीमत 600 करोड रुपए थी. 10 अक्टूबर को क्राइम ब्रांच ने एक और जगह छापेमारी कर 200 किलो कोकीन बरामद की. इसकी इंटरनेशनल मार्केट में कीमत दो हजार करोड़ रुपए थी. इस तरह 10 दिनों में 7600 करोड़ रुपए की कोकीन जब्त की गई.
दो बार में दिल्ली पहुंचा था ड्रग्स
दिल्ली पुलिस ने बताया कि ड्रग्स की डिलीवरी करने के लिए ये लोग कोड वर्ड का इस्तेमाल करते थे. पुरानी फिल्मों की तरह आधे फटे नोट और उनके नंबर से कंसाइनमेंट की डिलीवरी होती थी. 560 किलो और 200 किलो कोकीन का कंसाइनमेंट विदेश से दो बार में दिल्ली पहुंचा था. ड्रग्स कार्टेल के मेंबर कंसाइनमेंट आने पर एक्टिव हो जाते थे. कार्टेल के हर सदस्य का काम और हिस्सा विदेश में बैठा आका वीरेंद्र बसोया तय करता था.
महिपालपुर के गोदाम में छिपाई कोकीन
यहां आने पर कोकीन को दोबारा पैक किया जाता था. ड्रग्स कार्टेल के लोग आपस में बात करने के लिए ‘Threema’ ऐप का इस्तेमाल करते थे. खास बात ये है कि ड्रग्स कार्टेल के ज्यादातर सदस्य आपस में एक-दूसरे से अनजान थे. कोई एक-दूसरे को नहीं जानता था. गिरफ्तार तुषार गोयल ने दो बार में दिल्ली-NCR से डिलीवरी ली थी और जान-बूझकर अपने महिपालपुर के गोदाम पर कोकीन को छिपाई थी.
बता दें कि दुबई में मौजूद भारतीय नागरिक वीरेंद्र बसोया का नाम इंटरनेशनल सिंडिकेट के मास्टरमाइंड के तौर पर सामने आया है. वीरेंद्र बसोया भारत में ड्रग्स मामले में पहले भी गिरफ्तार हो चुका है. हालांकि जमानत मिलने के बाद वह दुबई शिफ्ट हो गया और इंटरनेशनल ड्रग्स कार्टेल का बड़ा माफिया बन गया.
गैंग का आका का दोस्त था मास्टरमाइंड तुषार गोयल
5 हजार करोड़ के ड्रग्स सिंडिकेट का मास्टरमाइंड और मुख्य आरोपी तुषार गोयल और वीरेंद्र बसोया पुराने दोस्त हैं. वीरेंद्र बसोया ने ही तुषार को ड्रग्स नेक्सस में अपने साथ जोड़ा था. वीरेंद्र बोसाय के इस काम में यूके में रहने वाले भारतीय मूल के दो लोग शामिल थे. इनके नाम जितेंद्र गिल उर्फ जस्सी और सविंदर सिंह है. विदेश में बैठकर बसोया तुषार, जितेंद्र और सविंदर के जरिए ये ड्रग सिंडिकेट दिल्ली में चला रहा था.
एक कंसाइनमेंट में तीन हजार करोड़ की डील
वीरेंद्र बसोया ने कोकीन की खेप की डिलीवरी के बदले तीन करोड़ हर एक कंसाइनमेंट पर तुषार गोयल को देने की डील की थी. दुबई से वीरेंद्र बसोया ने इस सिंडिकेट से जुड़े यूके में मौजूद जितेंद्र गिल उर्फ जस्सी और सविंदर सिंह को भारत जाने को कहा था. सूत्रों के मुताबिक, तकरीबन 25 दिनों तक सविंदर सिंह दिल्ली में तीन अलग-अलग लोकेशन पर रहा और जब महिपालपुर में रेड हुई तो वह उस समय वहां पर नहीं था, जबकि उसका साथी जितेंद्र गिल उर्फ जस्सी, तुषार गोयल और दो अन्य लोग गिरफ्तार हो गए.
रमेश नगर में पकड़ी गई 2 हजार करोड़ की कोकीन
सविंदर सिंह का काम 10 अक्टूबर को रमेश नगर में जब्त की गई 2000 करोड़ की कोकीन को ठिकाने लगाना था, लेकिन जैसे ही उसे तुषार गोयल और जितेंद्र गिल के पकड़े जाने की भनक लगी, वह लंदन के लिए निकल गया. फिलहाल दिल्ली पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनमें दिल्ली में ड्रग्स कारोबार का मास्टरमाइंड तुषार गोयल, हिमांशु, भरत जैन और औरेंगजेब है. इनके अलावा यूके में रहने वाले भारतीय मूल के जितेंद्र गिल उर्फ जस्सी व दो अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है.
ड्रग्स कॉर्टेल के आका की तलाश जारी
वीरेंद्र बसोया और सविंदर सिंह की तलाश की जा रही है. दोनों विदेश में मौजूद हैं. दिल्ली पुलिस ने सरविंदर सिंह समेत छह अन्य आरोपियों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया है. इसके अलावा रमेश नगर में जिस गोदाम में सविंदर सिंह ने 204 किलो ड्रग्स रखा था, उसके मालिक और प्रॉपर्टी डीलर से भी पुलिस ने पूछताछ की है. 5000 रुपए में किराए पर ये गोदाम लिया गया था.
नमकीन के पैकेट में कोकिन छिपाकर पेटियों में पैक करके रखी गई थीं. गैंग के सिंडिकेट एक-दूसरे से बात नहीं करते थे. सोशल मीडिया पर कोड वर्ड से एक दूसरे से संपर्क करते थे. साथ ही ड्रग डील के लिए ‘Threema’ ऐप का इस्तेमाल किया जाता था. कटे-फटे नोट का इस्तेमाल डील के दौरान किया जाता था, ताकि ये कन्फर्म हो सके डिलीवरी सेफ हैंड में हो रही है. कोई ट्रैप तो नहीं है.
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