देश – बीजेपी कौरवों की तरह, अहंकार की आती है बू; दशहरा रैली में खूब बरसे उद्धव ठाकरे – #INA
महाराष्ट्र की सियासत में दशहरा रैली हर साल राजनीतिक हलचल का केंद्र बनती है। इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। महाराष्ट्र की सियासत के दो प्रमुख चेहरे आज दो अलग-अलग जगहों पर रैलियों में शक्ति प्रदर्शन करते दिखे। एक तरफ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आजाद मैदान में जोरदार हुंकार भरते नजर आए, तो दूसरी तरफ शिवसेना यूबीटी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिवाजी पार्क में अपने कार्यकर्ताओं में जोश से भरे हुए दिखाई दिए।
सरकार बनने पर हर जिले में होगा शिवाजी महाराज का मंदिर: उद्धव
मुंबई के शिवाजी पार्क में पार्टी की दशहरा रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, “महायुति सरकार केवल वोटों के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति बनवाई और वह मूर्ति ढह गई, लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं और आपसे वादा करता हूं कि जब हम सत्ता में आएंगे तो महाराष्ट्र के हर जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज का मंदिर बनाएंगे। छत्रपति शिवाजी महाराज उनके लिए वोट बैंक हैं, लेकिन हमारे लिए वह भगवान हैं। वह (महायुति) कह रहे हैं कि हिंदुत्व को बचाने के लिए एक साथ आओ, आपने या मोदी ने पिछले 10 वर्षों में हिंदुत्व को क्यों नहीं बचाया?”
भाजपा पर खूब बसरे उद्धव ठाकरे
दशहरा रैली के मंच से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर सीधा निशाना साधा। उद्धव ने अपने आक्रामक भाषण के दौरान कहा कि आरएसएस को आज की ‘हाइब्रिड’ बीजेपी पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और आत्ममंथन करना चाहिए कि क्या वह अब भी इसके साथ सहमत है। उन्होंने कहा, “भाजपा कौरवों की तरह है, जिससे अहंकार की बू आती है। मैंने भाजपा से इसलिए नाता तोड़ लिया क्योंकि मैं हिंदुत्व के उसके स्वरूप में विश्वास नहीं करता।”
दो साल से चल रहे सरकार, हल्के में नहीं लीजिए: एकनाथ शिंदे
वहीं शिवाजी पार्क में दशहरा रैली को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने महाविकास अघाड़ी (एमवीए) पर जमकर निशाना साधा। शिंदे ने कहा, “पहले सबको लग रहा था कि हमारी सरकार 2-3 महीने में गिर जाएगी लेकिन सरकार ने 2 साल पूरे कर लिए। अगर (महा विकास अघाड़ी) सरकार नहीं हटाई होती तो महाराष्ट्र बहुत पीछे रह जाता। मैंने बिना रगड़े 2 साल पूरे कर लिए। मुझे हल्के में नहीं लीजिए, मैं भगोड़ा नहीं हूं, कट्टर शिवसैनिक हूं और कट्टर शिवसैनिक मैदान नहीं छोड़ता।”
शिंदे ने कहा, “पहले लोग बाला साहब से मिलने आते थे, कहते थे कि मुझे मुख्यमंत्री बना दो लेकिन अब आपके (उद्धव ठाकरे) साथियों को आपकी शक्ल पसंद नहीं है, तो फिर ये महाराष्ट्र कैसे चलेगा। हम जो फैसला ले रहे हैं उससे उनके काले धंधे बंद हो गए हैं। हम फेसबुक लाइव नहीं बल्कि आमने-सामने काम कर रहे हैं।”
1960 से शिवसेना हर साल दशहरे पर अपनी दशहरा रैली का आयोजन करती आई है, जिसकी शुरुआत शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने की थी। यह रैली शिवसेना की राजनीतिक रणनीति का अहम हिस्सा रही है। चूंकि कुछ दिनों में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में यह रैली काफी अहम हो जाती है। यही वजह है कि शिवसेना के दोनों गुट इस मौके का उपयोग कर चुनाव से पहले अपनी स्थिति को और मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
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