देश- फिर सीएम-इन वेटिंग कैसे रह गए राव इंद्रजीत? 3 सिनेरियो पर टिका सियासी भविष्य- #NA

नायब सिंह सैनी और राव इंद्रजीत सिंह

भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में नायब सिंह सैनी को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी है. सैनी के विधायक चुने जाने के बाद राव इंद्रजीत सिंह के उम्मीदों को झटका लगा है. मोदी कैबिनेट में मंत्री राव इंद्रजीत हरियाणा में मुख्यमंत्री की रेस में शामिल थे. राव को लगे इस झटके बाद 2 सवाल सियासी गलियारों में उठ रहे हैं. पहला, राव मुख्यमंत्री बनने से चूक क्यों गए और दूसरा राव का सियासी भविष्य क्या होगा?

3 बार मुख्यमंत्री बनने से चूके राव इंद्रजीत

यह पहली बार नहीं है, जब राव इंद्रजीत मुख्यमंत्री बनने से चूक गए हैं. 2009 में विधानसभा चुनाव से पहले राव इंद्रजीत सिंह भी सीएम पद के दावेदार थे, लेकिन विधानसभा के नतीजों ने उनका खेल खराब कर दिया. कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में सिर्फ 40 सीटों पर जीत मिली.

राव इंद्रजीत समर्थकों का दावा था कि अहिरवाल बेल्ट की 11 में से 7 पर कांग्रेस को जीत मिली है, इसलिए उन्हें सीएम की कुर्सी सौंपी जाए. हालांकि, कांग्रेस हाईकमान ने नो रिस्क फैक्टर के तहत भूपिंदर सिंह हुड्डा को ही सीएम की कुर्सी सौंप दी.

2013 में राव इंद्रजीत बागी होकर बीजेपी में आ गए. उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया. 2019 में राव इंद्रजीत फिर से मुख्यमंत्री की रेस में शामिल थे, लेकिन इस बार सीएम की कुर्सी मनोहर लाल खट्टर को ही मिली.

2024 में तो राव ने सीएम पद पर दावेदारी पेश की थी. हालांकि, पार्टी ने नायब सिंह सैनी को ही सीएम की कुर्सी सौंप दी.

नायब को ही मुख्यमंत्री क्यों बनाया गया?

बीजेपी ने हरियाणा में नायब सिंह सैनी को उस वक्त मुख्यमंत्री की कमान सौंपी थी, जब राज्य में बीजेपी की स्थिति ठीक नहीं थी. चुनाव से पहले एंटी इनकंबेंसी की लहर चल रही थी, लेकिन नायब मैदान में डटे रहे. विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने कह दिया कि सरकार बनने पर नायब ही सीएम होंगे.

ऐसे में पार्टी अपने वादे से मुकरना नहीं चाहती थी. यही नहीं, राव इंद्रजीत के अलावा अनिल विज और कुलदीप बिश्नोई सीएम पद के दावेदार थे. नायब के बदले किसी और को चुनने पर पार्टी के भीतर नाराजगी और ज्यादा बढ़ती.

बड़ा सवाल- अब राव इंद्रजीत क्या करेंगे?

राव इंद्रजीत का सियासी दबदबा अहीरवाल बेल्ट तक सीमित है. अहीरवाल बेल्ट की 11 में से 10 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है. इंद्रजीत इसी जीत के बूते सीएम पद पर दावेदारी ठोक रहे थे. हालांकि, उनकी दावेदारी को बीजेपी ने स्वीकार नहीं किया है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अब राव इंद्रजीत क्या करेंगे?

हाल ही में राव इंद्रजीत ने कहा था कि पार्टी का हर फैसला मैं मानूंगा. राव के इस बयान के बाद कहा जा रहा है कि फिलहाल वो बगावत करें, इसकी गुंजाइश कम है. राव के भविष्य इन 3 सिनेरियो पर तय होगा.

1. इंद्रजीत अभी मोदी कैबिनेट में स्वतंत्र प्रभार के मंत्री हैं. उनके पास जनगणना का विभाग है. राव को केंद्र में प्रमोशन मिलती है या नहीं, इससे आगे की तस्वीर साफ होगी. हरियाणा के ही मनोहर लाल खट्टर केंद्र में बड़े विभागों के मंत्री हैं.

2. हरियाणा में कैबिनेट का गठन होना है. अभी तक बीजेपी ने डिप्टी सीएम और मंत्री पद को लेकर कुछ भी साफ नहीं किया है. नई सरकार में राव के कितने लोग एडजस्ट होंगे, इससे भी उनके सियासी भविष्य का फैसला होगा.

3. राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव विधानसभा पहुंची हैं. आरती पर भी बीजेपी का फैसला राव के सियासी कदमों को तय करेगा.

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