देश- हुड्डा की शक्तियां काम आएंगी या सैलजा-सुरजेवाला की सीक्रेट प्लानिंग… हरियाणा में कौन होगा नेता प्रतिपक्ष?- #NA

कुमारी सैलजा, भूपिंदर हुड्डा, राहुल गांधी

हरियाणा में करारी हार के बावजूद कांग्रेस में कलह थमने का नाम नहीं ले रही है. नेता प्रतिपक्ष को लेकर एक तरफ हुड्डा गुट शक्ति प्रदर्शन कर कांग्रेस हाईकमान को संदेश दे रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ सैलजा और सुरजेवाला गुट पर्दे के पीछे से सियासी बिसात बिछा रहे हैं. 37 सीट जीतने वाली कांग्रेस 18 अक्टूबर को हरियाणा विधानमंडल दल का नेता चुनेगी.

नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री जैसी सुविधाएं मिलती है. नेता प्रतिपक्ष को विपक्ष का चेहरा माना जाता है. हरियाणा में विधानसभा के 3 ऐसे नेता भी हुए हैं जो नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी बैठे. इनमें देवीलाल, ओम प्रकाश चौटाला और भूपिंदर सिंह हुड्डा का नाम शामिल हैं.

शक्ति प्रदर्शन क्यों कर रहे हुड्डा?

2019 से ही हुड्डा परिवार का सियासी दबदबा कांग्रेस के भीतर कायम है. इसकी वजह से किरण चौधरी, कुलदीप बिश्नोई जैसे नेता साइड लाइन हो गए. अशोक तंवर भी नेपथ्य में चले गए. ऐसे में अब हुड्डा परिवार इस दबदबे को खत्म होने नहीं देना चाहेगा.

भूपिंदर सिंह हुड्डा भले भी उम्रदराज हो गए हैं, लेकिन उनका बेटा सियासत में ठीक ढंग से स्थापित हो चुका है. दीपेंद्र सिंह हुड्डा राहुल और प्रियंका गांधी के करीबी भी हैं. ऐसे में हुड्डा परिवार की कोशिश इस दबदबे को कायम रखने की है.

हुड्डा के समर्थन में 31 विधायक हैं और हुड्डा जानते हैं कि यही उनकी ताकत है. हरियाणा में आने वाले वक्त में ये 31 विधायक राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस का खेल पलट सकते हैं. हरियाणा में पिछले 10 साल में 2 सीट विधायकों की बगावत की वजह से कांग्रेस हार चुकी है.

अभी अगर कोई नेता प्रतिपक्ष बनता है तो आने वाले वक्त में वो मुख्यमंत्री पद की दावेदारी भी करेगा. हुड्डा गुट की एक टेंशन यह भी है. अभी जितने भी नेता मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं, वो सभी केंद्र की राजनीति करते हैं.

नेता प्रतिपक्ष किसे बनाएगी कांग्रेस?

हरियाणा में कांग्रेस के भीतर नेता प्रतिपक्ष को लेकर सुगबुगाहट तेज है. हुड्डा के अलावा कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला गुट की भी नजर इस पद पर है. नेता प्रतिपक्ष को लेकर कई नाम चर्चा में हैं.

हालांकि, कहा जा रहा है कि कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष के लिए जाट और दलित समीकरण को साधेगी. दोनों समुदाय से कांग्रेस को ज्यादा वोट मिले हैं. एक पद दलित और दूसरा पद जाट को देगी. वर्तमान में दलित प्रदेश अध्यक्ष है, इसलिए जाट समुदाय से अध्यक्ष बनने की चर्चा ज्यादा है.

इसी तरह नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष को लेकर कांग्रेस सभी गुटों को साध सकती है. पिछली बार अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी हुड्डा गुट को दे दी गई थी.

सैलजा और सुरजेवाला गुट का कहना है कि इसकी वजह से जाट बनाम गैर जाट का चुनाव हो गया, जो हरियाणा में हार का कारण बना.

दीपेंद्र और भूपिंदर का क्या होगा?

दीपेंद्र हुड्डा रोहतक से सांसद हैं और भूपिंदर हुड्डा किलोई से विधायक. फिलहाल, दोनों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. कहा जा रहा है कि दीपेंद्र पहले की तरह ही दिल्ली की राजनीति कर सकते हैं. भूपिंदर हुड्डा के नेता प्रतिपक्ष बनने की संभावनाएं कम है. इसके पीछे की एक वजह उनकी उम्र भी है.

सीनियर हुड्डा 77 साल के हो चुके हैं. ऐसे में इस बात की संभावनाएं जताई जा रही है कि फिलहाल हुड्डा गुट नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी किसी समर्थक को दिलवा सकते हैं.

सैलजा-सुरजेवाला का क्या रूख है?

विधानसभा चुनाव में सैलजा गुट को बड़ी हार मिल चुकी है. सैलजा के करीबी शमशेर गोगी और प्रदीप चौधरी चुनाव हार चुके हैं. सुरजेवाला भी सिर्फ अपने बेटे को जितवा पाए. ऐसे में दोनों गुट फिलहाल निगोसिएशन की स्थिति में नहीं है.

हालांकि, कहा जा रहा है कि कांग्रेस अब नए सिरे से जो संगठन तैयार करेगी, उसमें दोनों गुट को हिस्सेदारी मिल सकती है.

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