Indian Railways: Train का Ticket खोने या फटने पर न हो परेशान, ऐसे हो जाएगा चुटकियों में काम #INA
Indian Railways: इंडियन रेलवे प्रतिदिन हजारों ट्रेन चलाती है, जिसमें करोड़ों लोग बैठकर अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं और अभी तो त्यौहारों का सीजन है. सभी के लिए दिवाली और हमारे बिहारी भाइयों के लिए छठ का महापर्व है. इस दौरान ट्रेन में आम दिनों से काफी ज्यादा भीड़ होती है. तो इस खबर में जानते हैं अगर आपका ट्रेन का टिकट फट जाए या कहीं खो जाए तो उसके मिलने के कितने चांसेस हैं और अगर है तो टिकट पाने के लिए आपको क्या कीमत चुकानी होगी. ट्रेन में यात्रा के दौरान अगर आपका टिकट खो जाता है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है. टिकट गुम होने पर आप डुप्लीकेट टिकट बनवाकर यात्रा कर सकते हैं. अलग-अलग कैटेगरी के लिए डुप्लीकेट टिकट बनवाने के नियम और फीस अलग-अलग है.
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यात्री ट्रेन में टीटी के पास जाकर डुप्लीकेट टिकट बनवा सकता है
यात्री ट्रेन में टीटी के पास जाकर डुप्लीकेट टिकट बनवा सकता है. यही नहीं यात्री टिकट काउंटर पर जाकर भी डुप्लीकेट टिकट बनवा सकता है. यह टिकट ओरिजिनल टिकट जैसा ही होता है, लेकिन दोनों टिकट में आसानी से अंतर किया जा सकता है. सेकंड और स्लीपर क्लास की डुप्लीकेट टिकट बनवाने के लिए 50 देने होते हैं. इनसे ऊपर की कैटेगरी की डुप्लीकेट टिकट बनवाने के लिए आपको ₹100 फीस देनी होगी. अगर रिजर्वेशन चार्ट बनने के बाद कंफर्म टिकट गुम हो जाता है तो किराए का 50 फीदी भुगतान डुप्लीकेट टिकट बनवाने के लिए आपको करना पड़ेगा. अगर किसी यात्री का टिकट कंफर्म होने के बाद फट गया है तो आप अपनी यात्रा के किराए का 75 या 50 फी नहीं बल्कि 25 फीसदी भुगतान कर डुप्लीकेट टिकट पा सकते हैं. लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि वेटिंग लिस्ट वाली फटी हुई टिकट गुम होने पर आप डुप्लीकेट टिकट नहीं बनवा सकते हैं. वर्तमान में भारतीय रेलवे का नेटवर्क 68000 किमी से अधिक है और 8000 से अधिक रेलवे स्टेशन मौजूद है, जिसकी संख्या लगातार बढ़ रही है. इसके अतिरिक्त रेलवे में 300 रेलवे यार्ड 2300 माल ढुलाई और 700 मरम्मत केंद्र है.
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भारतीय रेलवे कुल 18 जोन में विभाजित है
भारतीय रेलवे 12 लाख से अधिक कर्मचारियों की संख्या के साथ दुनिया की आठवी सबसे बड़ी व्यवसायिक इकाई है. वर्तमान में भारतीय रेलवे कुल 18 जोन में विभाजित है. इनमें देश की राजधानी नई दिल्ली में रेलवे के उत्तरी जोन का मुख्यालय है. दक्षिणी जोन का मुख्यालय चेन्नई पूर्वी कोलकाता और पश्चिमी जोन का मुख्यालय मुंबई है. इसके अलावा अलग-अलग राज्य में हमें अलग-अलग मुख्यालय देखने को मिलते हैं. भारत में पहली बार ट्रेन के संचालन के लिए 1832 में प्रस्ताव दिया गया था बहुत ही कम लोगों को पता है कि 1837 में मद्रास की लाल पहाड़ियों में पत्थरों के लिए ट्रेन का संचालन किया गया था. इसे ग्रेनाइट परिवहन के लिए चलाया गया था इसके बाद बीच यात्री ट्रेन का संचालन हुआ था.
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