क्या है BRICS Pay, भारत समेत इन देशों को रूस ने दिया जिसका प्रस्ताव, US के खिलाफ पुतिन का मास्टरस्ट्रोक? #INA
What is BRICS Pay: सोलहवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2024 को लेकर रूस के कजान में ग्लोबल लीडर्स का जमावड़ा लगा हुआ है. इस मौके पर रूस ने ब्रिक्स देशों को एक बड़ा ही अहम प्रस्ताव दिया. रूस ने इन देशों को अपना खुद का इंटरनेशनल पेमेंट सिस्टम बनाए को लेकर बात कही है. ऐसे में आइए जानते हैं कि ब्रिक्स पे क्या है और क्या ये अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के खिलाफ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का मास्टरस्ट्रोक है. आइए जानते हैं.
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रूस ने उठाई है ये मांग
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2024 रूस की अध्यक्षता में कजान में आयोजित हो रहा है. रूस लंबे समय से पश्चिम समर्थित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम के विकल्प की मांग कर रहा है. ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के पहले दिन रूसी वित्त मंत्री एंटोन सिलुआनोव (Anton Siluanov) ने कहा कि ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम पश्चिमी देशों के कंट्रोल में है. ब्रिक्स ग्रुप जो ग्लोबल इकोनॉमी का 37 फीसदी का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनको इसका एक विकल्प बनाने की जरूरत है.
मांग के पीछे बताई वजह
रूस ने इंटरनेशनल पेमेंट सिस्टम के प्रस्ताव को लाने के पीछे की वजह को भी बताया है. रूसी वित्त मंत्री सिलुआनोव ने कहा, ‘IMF और वर्ल्ड बैंक अपनी भूमिका नहीं निभा रहे हैं. वे ब्रिक्स देशों के हितों में काम नहीं कर रहे हैं.’ बता दें कि ब्रिक्स में मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे, लेकिन अब इस संगठन में मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को भी शामिल किया गया है.
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इस समूह का गठन दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण विकासशील देशों को एक साथ लाने के लिए हुआ ताकि उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी अमेरिका के रईसी मुल्कों की राजनीतिक और आर्थिक ताकत को चुनौती दी जा सके. हालांकि अभी हाल ही में रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात को दोहराते हुए कहा कि बिक्स पश्चिमी विरोधी नही हैं, बल्कि ‘गैर पश्चिमी’ है.
क्या है ब्रिक्स पे (What is BRICS Pay)
- रूस ने जिस इंटरनेशनल पेमेंट सिस्टम को लाने का प्रस्ताव ब्रिक्स देशों को दिया है, उसे ही ब्रिक्स पे नाम दिया गया है.
- ये सिस्टम ब्रिक्स देशों में पहले से मौजूद भुगतान प्रणालियों (जैसे भारत में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) और रूस में मीर नेटवर्क) को यूज करेगा.
- प्रस्तावित ब्रिक्स पे के पीछे का मकसद ब्रिक्स देशों के बीच उनकी मुद्रा में ही लेन-देन के आसान बनाना है.
- ब्रिक्स पे यूरोप के सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन (SWIFT) नेटवर्क और भारत के UPI की तर्ज पर होगा.
- यह ब्रिक्स के सदस्यों को रूसी रूबल, चीनी युआन, भारतीय रुपया, ब्राजीलियाई रियल और दक्षिण अफ्रीकी रैंड सहित अपनी मूल मुद्राओं में भुगतान करने और प्राप्त करने की अनुमति देगा.
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US के खिलाफ पुतिन का मास्टरस्ट्रोक?
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण करने बाद पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण रूस के डॉलर और यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार को फ्रीज कर दिया गया. इससे रूस को काफी वित्तीय नुकसान हुआ.
इतना ही नहीं रूस अभी भी अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजारों में कटा हुआ है. कुछ एक्सपर्ट रूस की ओर प्रस्तावित ब्रिक्स पे को अमेरिका के खिलाफ मास्टरट्रोक बता रहे हैं, क्योंकि ये पश्चिमी देशों से नियंत्रित ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम के खिलाफ एक ऑप्शन के रूप में उभर सकता है.
वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार, यह रूस और चीन की डी-डॉलरीकरण रणनीति का हिस्सा है.
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