देश- झारखंडः हेमंत CM और चेहरा कल्पना, लेकिन पर्दे के पीछे JMM की जीत की स्क्रिप्ट लिख रहे ये 3 किरदार- #NA

हेमंत CM और चेहरा कल्पना, लेकिन पर्दे के पीछे ये 3 अहम किरदार

झारखंड में सत्ता वापसी की कवायद में जुटी हेमंत सोरेन की पार्टी ने पूरी ताकत झोंक रखी है. एक तरफ खुद हेमंत जहां सीएम पद के दावेदार हैं, वहीं उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की रैलियों में भारी भीड़ उमड़ रही है. दोनों के फेस पर चुनाव लड़ रही झारखंड मुक्ति मोर्चा के 3 और भी किरदार हैं. रांची के सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि ये तीनों ही पर्दे के पीछे से लगातार दूसरी बार हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की पटकथा लिख रहे हैं.

ये तीन नाम हैं- सुप्रियो भट्टाचार्य, विनोद पांडे और अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू. तीनों ही नेताओं को हेमंत सोरेन का करीबी माना जाता है. तीनों मुख्यधारा की बजाय लंबे वक्त से संगठन की ही राजनीति करते हैं.

हेमंत-कल्पना के फेस पर चुनाव लड़ रही JMM

विधानसभा का चुनाव इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन के फेस पर ही लड़ रही है. एक तरफ जहां हेमंत अभी शुरुआत में रोजाना 2 रैली कर रहे हैं, वहीं कल्पना 3 बड़ी रैली के साथ-साथ छोटी-छोटी सभाएं भी कर रही हैं.

पहली बार झारखंड मुक्ति मोर्चा के सियासी केंद्र में कोई महिला नेता है. कल्पना के जरिए हेमंत आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग के महिलाओं को साधने की कवायद में जुटे हैं. कल्पना अपनी रैली में झारखंड की अस्मिता और महिला सम्मान को बड़ा मुद्दा बना रही है.

अब उन 3 नेताओं की कहानी

1. अभिषेक प्रसाद पिंटू- कायस्थ समुदाय से आने वाले अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू को हेमंत सोरेन का आंख-कान माना जाता है. सियासी गलियारों में तो यहां तक कहा जाता है कि पिंटू हेमंत के सबसे करीबी हैं. 2019 में जब हेमंत मुख्यमंत्री बने तो पिंटू को मीडिया सलाहकार बनाया गया.

2024 में जब प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत पर शिकंजा कसा, तो लपेटे में पिंटू भी आए. हालांकि, अब हेमंत के साथ-साथ पिंटू भी चुनाव के मैदान में हैं. पिंटू को झामुमो ने स्टार प्रचारक नियुक्त कर रखा है.

जेएमएम सूत्रों के मुताबिक पिंटू मुख्य रूप से हेमंत के सारे प्लानिंग को अमल में लाने का काम कर रहे हैं. हाल ही में झामुमो ने एक ही दिन में बीजेपी के 6 बड़े नेताओं को तोड़ लिया. झारखंड के इतिहास में यह जेएमएम का सबसे बड़ा सियासी ऑपरेशन था.

हेमंत के इस काम में पिंटू ने बड़ी भूमिका निभाई. कहा जाता है कि रात में ही सबको एक-एक कर हेमंत के निवास पर बुलाया गया और पार्टी ज्वॉइनिंग कराई गई. पिंटू इसके अलावा चुनावी रणनीति का भी काम देखते हैं.

हेमंत के मंच और मुद्दा तय करने में भी पिंटू अहम भूमिका निभा रहे हैं.

2. सुप्रियो भट्टाचार्य- बंगाली ब्राह्मण सुप्रियो भट्टाचार्य झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता हैं. सुप्रियो जेएमएम के सबसे बड़े टीवी फेस भी हैं. हालांकि, इस बार सुप्रियो चुनावी रणनीति बनाने में पर्दे के पीछे से बड़ी भूमिका निभा रहे हैं.

सुप्रियो जेएमएम के चुनाव से जुड़े मुद्दे देखते हैं. किन मुद्दों पर आयोग और बीजेपी को बैकफुट पर लाया जाए, इसकी रणनीति सुप्रियो ही तैयार करते हैं. हाल ही में उनके उठाए दो बड़े मुद्दे झारखंड की सियासत में खूब सुर्खियां बटोरी.

सुप्रियो ने आरोप लगाया कि ग्रामीण इलाकों में वोटिंग का समय आयोग ने कम कर दिया है, जिस पर आयोग को सफाई देनी पड़ गई. इसी तरह सुप्रियो ने बरहेट में हेमंत के प्रस्तावक के अपहरण का मुद्दा उठाया था.

कहा जाता है कि हेमंत के प्रस्तावक को अपने पाले में लाकर बीजेपी बरहेट में खेल करना चाहती थी, लेकिन सुप्रियो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुद्दे को ही डायवर्ट कर दिया.

सुप्रियो मीडिया मैनेजमेंट का भी काम देख रहे हैं. हालिया लोकसभा चुनाव में उनके जमशेदपुर से लड़ने की चर्चा थी, लेकिन हेमंत ने उन्हें संगठन में ही बनाए रखा. सुप्रियो ने हेमंत के पिता शिबू सोरेन की देखरेख में राजनीति शुरू की थी.

3. विनोद कुमार पांडे- झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव विनोद कुमार पांडे भी पर्दे के पीछे जीत की स्क्रिप्ट लिख रहे हैं. पांडे कैंडिडेट सिलेक्शन से लेकर सहयोगियों तक से बातचीत और बगवात को रोकने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं.

पांडे को झामुमो के भीतर संगठन के नेता के तौर पर जाना जाता है. पार्टी के बड़े फैसले में उनका सीधा हस्तक्षेप रहता है. पांडे शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन के जरिए सोरेन परिवार के करीब आए.

उन्हें हेमंत सोरेन का करीबी माना जाता है. कहा जाता है कि जेएमएम जब राजनीतिक संकट से गुजर रही थी, तब विनोद कुमार पांडेय ने कल्पना सोरेन की सियासी लॉन्चिंग में अहम भूमिका निभाई.

हेमंत जब जेल से आए, तब कल्पना के साथ-साथ विनोद पांडे ही उनके मंच पर थे.

Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link

Back to top button