देश- जात और भात के नाम पर वोट ना दें, प्रशांत किशोर की बिहार के लोगों से अपील- #NA

प्रशांत किशोर जनसुराज के संस्थापक हैं

बिहार में राजनीतिक पार्टी बनाने के बाद पहली बार चुनाव लड़ने जा रहे जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर राज्य में चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं .इसी कड़ी में वह बुधवार को बिहार के रामगढ़ में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों को जाति और मुफ्त राशन के नाम पर राजनीतिक दलों का समर्थन नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसी राजनीति के कारण राज्य लंबे समय से पिछड़ा हुआ है.

राजनीति में युवा पेशेवरों को शामिल करने के लिए स्थापित मंच इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी के संस्थापक किशोर ने दावा किया, बिहार में अब तक सत्ता में रही सरकारों के साथ ही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने उनके गृह राज्य बिहार की अनदेखी की है.

जात-पात पर वोट देना बंद करें

किशोर ने आरोप लगाया कि लालू और नीतीश ने पूरे बिहार को 35 साल तक जाति में फंसाए रखा. पिछले 10 साल से मोदी आपको मुफ्त राशन के बदले में धोखा दे रहे हैं. अगर आप अपने और अपने बच्चों के लिए बेहतर भविष्य चाहते हैं, तो जाति और मुफ्त राशन के लिए वोट देना बंद कर दें.

किशोर ने लोगों से भाजपा को वोट नहीं देने की अपील करते हुए कहा कि यदि आप भाजपा को वोट देंगे, तो इसका मतलब होगा कि आप नीतीश कुमार का समर्थन कर रहे हैं. क्योंकि अगर भाजपा जीतती है, तो वह भी नीतीश कुमार को समर्थन देगी.

लालू में अपराधी, नीतीश में अधिकारी बेलगाम

किशोर ने पिछली सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि लालू युग के दौरान अपराधियों के आतंक की जगह नीतीश कुमार के कार्यकाल में अब बेलगाम नौकरशाही का आतंक है. राज्य में जारी भूमि सर्वेक्षण के कारण उथल-पुथल मची हुई है.

स्मार्ट प्री-पेड मीटर अनिवार्य किए जाने के बाद लोगों को बिजली के अत्यधिक बिल मिल रहे हैं और बिना किसी चेतावनी के उनके कनेक्शन काटे जा रहे हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यदि आप भाजपा का समर्थन करते हैं, तो इससे नीतीश कुमार के हाथ मजबूत होंगे और आपकी परेशानियां जारी रहेंगी.

राज्य में चार सीटों पर उपचुनाव

जन सुराज बिहार की चार विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जहां 13 नवंबर को उपचुनाव होंगे. बिहार में रामगढ़ के अलावा इमामगंज, बेलागंज और तरारी विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हो रहे हैं. ये सभी सीटें इस साल की शुरुआत में लोकसभा चुनाव में संबंधित क्षेत्रों के विधायकों के सांसद बनने के बाद इस्तीफा देने के कारण खाली हुई थीं.

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