देश- बाघों की मौत के बाद जलाया क्यों जाता है, दफनाया क्यों नहीं जाता?- #NA

टाइगर का अंतिम संस्कार

राजस्थान में सवाईमाधोपुर में बाघ T-86 की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार किया गया है. इसके लिए विधिवत चिता सजाई गई और मुखाग्नि दी गई. इस मौके पर रणथंभौर बाघ अभ्यारण्य के अधिकारियों के साथ जिला प्रशासन और पुलिस के भी कई अधिकारी पहुंचे. इसका वीडियो सोशल मीडिया में भी वायरल हुआ है. कई लोगों ने इस वीडियो पर सवाल उठए हैं. पूछा जा रहा है कि बाघ को दफनाया क्यों नहीं गया? आरोप लग रहे हैं कि बाघ को भी हिन्दू-मुस्लिम में बांटा जा रहा है.

इन्हीं सवालों के मद्देनजर TV9 भारतवर्ष ने मामले को खंगालने की कोशिश की. इस संबंध में देश के कई टाइगर सेंचुरीज से जानकारी ली गई. इसमें पता चला कि साल 2004 से पहले तक बाघ की मौत होने पर गड्ढा खोद कर शव को दफन कर दिया जाता था. इस दौरान कोई औपचारिकता भी नहीं होती थी. अब साल 2004 के बाद देश के किसी भी टाइगर सेंचुरी में बाघों के शव को दफन नहीं किया जाता. इसकी वजह जानने के लिए हमने सरिस्का टाइगर सेंचुरी अलवर में सीएफओ रहे पूर्व वन अधिकारी सुनैन शर्मा से बात की.

साल 2004 में बनी व्यवस्था

उन्होंने बताया कि साल 2004 में ही सरिस्का में इसी मुद्दे को लेकर बड़ा बवाल हुआ था. उस समय सरिस्का में एक टाइगर की हत्या हुई थी. मामले की जांच के दौरान वन विभाग और पुलिस ने कुछ लोगों को पकड़ा भी था. इन लोगों के पास से टाइगर के अंग मिले थे. पता चला कि इनमें से कुछ लोगों ने दफन किए गए टाइगर के शव को गड्ढे से निकालकर उनके अंग अपने साथ ले आए थे. इस प्रकरण के सामने आने के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने देश भर में टाइगर की मौत पर उसके अंतिम संस्कार के लिए गाइड लाइन तय कर दी थी.

कमेटी की मौजूदगी में होता है दाह संस्कार

इस गाइडलाइन के मुताबिक किसी भी बाघ की मौत होने पर उसके बॉडी को फुल डिस्ट्राय किया जाएगा. एनटीसीए ने इसके लिए भी एक कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी में संबंधित सेंचुरी का प्रतिनिधि, संबंधित जिले के कलेक्टर का प्रतिनिधि, संबंधित थाने का पुलिस प्रतिनिधि के अलावा एनटीसीए के एक प्रतिनिधि को शामिल किया गया है. बाघ के अंतिम संस्कार के वक्त इस कमेटी के सभी सदस्यों का मौजूद होना जरूरी है. यह सभी लोग बाघ की चिता के पास तबतक मौजूद रहेंगे, जबतक कि बाघ का शव पूरी तरह से जल ना जाए. उन्होंने बताया कि उसी समय से बाघों के अंतिम संस्कार के लिए इसी नियम को फॉलो किया जाता है.

इसलिए बनाने पड़े ये नियम

पूर्व सीएफओ सुनैन शर्मा के मुताबिक हालतक बाघ की हड्डियों की तस्करी खूब होती थी. इसके लिए बाघों की खूब हत्याएं भी होती थीं. ऐसे हालात में एनटीसीए का गठन किया गया और बड़े प्रयासों के बाद एनटीसीए ने बाघ के अंगों की तस्करी पर लगाम कसी है. इसी तस्करी को रोकरने के लिए एनटीसीए ने बाघ की मौत पर दाह संस्कार कराने का नियम बनाया था. उन्होंने बताया कि यह तरीका ठीक भी है. इस तरह से बाघ की बॉडी को डिस्ट्राय कर देने से बाघ का कोई भी अंग साबूत नहीं बचता.

Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link

Back to top button