देश- Bihar: ‘इस चांडाल के कारण बड़े भाई को…,’ भतीजे चिराग पर पशुपति पारस ने निकाली भड़ास- #NA
चिराग पासवान और पशुपति पारस
बिहार की क्षेत्रीय पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का स्थापना दिवस गुरुवार को मनाया गया. इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बिहार के कई नेता मौजूद रहे. लोजपा (आर) प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि पार्टी उनके पिता के सपनों को पूरा करने के लक्ष्य की ओर मजबूती से आगे बढ़ रही है. वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने भतीजे चिराग पासवान पर भड़ास निकाली. उन्होंने कहा कि इस चांडाल की वजह से आखिरी वक्त में अपने बड़े भाई को नहीं देख पाए.
चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस ने लोजपा के स्थापना दिवस पर पैतृक गांव खगड़िया के शहरबन्नी गांव में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने बिना नाम लिए चिराग पासवान को चांडाल तक कह दिया. पशुपति पारस ने कहा कि इस चांडाल की वजह से ही वे अपने बड़े भाई, जो भगवान के समान थे, उनको अंतिम समय में देख नहीं पाए. उन्होंने दावा किया कि उन्हें और उनके परिवार को बड़े भाई से मिलने नहीं दिया गया.
मैं सत्य पर हूं, सत्य की हमेशा जीत होती है- पारस
हाजीपुर के पूर्व सांसद पशुपति पारस ने कहा कि कोरोना का हवाला देकर उन्हें और उनके परिवार के किसी भी सदस्य को बड़े भाई साहब से मिलने नहीं दिया गया. जबकि अंतिम समय में बड़े भाई रामविलास पासवान परिवार के सभी लोगों को खोज रहे थे. पशुपति पारस ने कहा कि जो जैसा कर्म करेगा, उसे वैसा ही फल मिलेगा. मैं सत्य पर हूं और सत्य की हमेशा जीत होती है.
14 जून 2021 को LJP में पड़ी थी फूट
लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान का 8 अक्टूबर 2020 को निधन हो गया था. इसके बाद चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस एक-दूसरे से अलग-अलग राय रखने लगे. अंत में 14 जून 2021 को लोक जनशक्ति पार्टी में फूट पड़ गई. पशुपति पारस ने लोजपा के पांच सांसदों को अपने पक्ष में कर लिया और चिराग को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाने का ऐलान कर दिया. यहीं से लोजपा दो हिस्सों में बंट गई. पांच सांसदों के साथ पशुपति कुमार पारस केंद्रीय मंत्री बन गए.
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इस घटना के बाद चिराग ऐसे अकेले पड़ गए मानो एक झटके में उनका सबकुछ खत्म हो गया. हालांकि, समय का पहिया घूमा और 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने चिराग पासवान को पांच सीटें दे दीं. पारस को कुछ नहीं मिला. वहीं, चिराग के सभी पांच सांसद चुनाव जीत गए. चिराग केंद्र में मंत्री बन गए. वहीं, 15 नवंबर को चिराग को पार्टी का पुराना दफ्तर भी मिल गया. इसी दफ्तर में आज पार्टी का स्थापना दिवस मनाया गया.
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