अररिया में नए ओपी या टीओपी थाना की आवश्यकता, अपराध और सुरक्षा पर मंडरा रहा संकट

आरक्षी अधीक्षक का कहना है कि जल्द ही संवेदनशील क्षेत्रों की सूची बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी।

अररिया(मंटू राय) ;- जिले के विभिन्न हिस्सों में अपराध का बढ़ता ग्राफ और सुरक्षा चुनौतियां स्थानीय प्रशासन के लिए बड़ी चिंता बन गई हैं। खासकर अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत कई संवेदनशील क्षेत्रों में नए ओपी थाना खोलने की मांग जोर पकड़ रही है। बनगामा और मटियारी जैसे इलाकों में अपराध की घटनाएं बढ़ रही हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि पुलिस गश्त की कमी और अपर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के कारण अपराधियों के हौसले बुलंद हैं।

सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र
अररिया थाना क्षेत्र में बनगामा और मटियारी के अलावा, रानीगंज थाना क्षेत्र में गिदवास और काला बलुआ, पलासी थाना क्षेत्र में कालियागंज, और ताराबाड़ी थाना क्षेत्र में बीड़ी भोजपुर अपराध के संवेदनशील केंद्र बने हुए हैं। इन क्षेत्रों में अक्सर चोरी, छेड़छाड़, मारपीट, और अन्य आपराधिक घटनाएं सामने आती हैं। लोग अपनी सुरक्षा को लेकर भयभीत हैं और प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

फारबिसगंज अनुमंडल क्षेत्र की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है। बिसहरिया और जयनगर (भरगामा थाना क्षेत्र), किसान चौक और परवाहा (फारबिसगंज थाना क्षेत्र), खवासपुर (सिमराहा थाना क्षेत्र), चकरदाहा और पिठौरा (नरपतगंज थाना क्षेत्र), और पिपरा (जोगबनी थाना क्षेत्र) में भी सुरक्षा की स्थिति गंभीर बनी हुई है। यहाँ के निवासियों का कहना है कि फारबिसगंज अनुमंडल में गश्त बढ़ाने और नए ओपी या टीओपी थानों की स्थापना से ही अपराध पर लगाम लग सकती है।

आरक्षी अधीक्षक का बयान
जब नए ओपी या टीओपी थाना खोलने के संबंध में अररिया के आरक्षी अधीक्षक से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि सभी थानों से संवेदनशील क्षेत्रों की जानकारी मांगी गई है। अब तक सात से आठ क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि सदर अस्पताल अररिया में भी एक टीओपी (emporary Out Post) खोलने का प्रयास चल रहा है, ताकि आपातकालीन स्थितियों में तुरंत कार्रवाई हो सके। सभी थानों से पूरी जानकारी मिलते ही विभाग द्वारा एक लिस्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी।
आरक्षी अधीक्षक के अनुसार, “सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और अपराध पर लगाम लगाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।” हालांकि, स्थानीय निवासियों का मानना है कि इस प्रक्रिया में तेजी लाने की जरूरत है। उन्हें डर है कि विलंब से अपराधियों का मनोबल और बढ़ सकता है। प्रशासनिक स्तर पर जल्दी निर्णय लेना ही उनकी चिंता का समाधान कर सकता है।

प्रशासन की पहल और लोगों की उम्मीदें
प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पहल जरूर शुरू की है, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि अपराधों को रोकने के लिए पुलिस की सक्रियता में सुधार आवश्यक है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नागरिक संगठनों का भी यही कहना है कि यदि पुलिस चौकियों की संख्या नहीं बढ़ाई गई तो सुरक्षा हालात बिगड़ सकते हैं।

सरकार और पुलिस प्रशासन से अपेक्षा है कि इन संवेदनशील क्षेत्रों में नई चौकियां खोलने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। स्थानीय लोग चाहते हैं कि प्रशासन उनकी सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार बने और ठोस कदम उठाए। अगर ऐसा नहीं होता है, तो अपराध का जाल फैलने में देर नहीं लगेगी।

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