CG- Raipur: बच्चों की पाठशाला में गौ सेवा… टिफिन से करते हैं दान, रोज गौशाला भेजी जाती हैं 800 रोटियां- #INA
गायों की लिए रोटी दान करतीं छात्राएं.
छत्तीसगढ़ के एक स्कूल में बेजुबानों जानवरों के प्रति करुणा और प्यार का पाठ सिखाया जाता है. स्कूल प्रबंधन की तरफ से बेजुबानों जानवरों के लिए एक विशेष मुहिम शुरू की गई है, जिसमें बच्चे अपने टिफिन से जानवरों के लिए रोजाना एक रोटी लेकर आते हैं और स्कूल में जानवरों के नाम से एक रोटी को दान करते हैं. स्कूल कैंपस के अंदर इसके लिए विशेष व्यवस्था की गई है. स्कूलों की दीवारों पर गाय की तस्वीर बनी हुई है, जिसमें पहली रोटी गाय की लिखा हुआ है. इस मुहिम के पीछे स्कूल प्रबंधन का उद्देश्य बच्चों को जानवरों के प्रति सेवा और दान का भाव पैदा करना है.
राजधानी रायपुर में जानवरों के प्रति प्रेम का एक नया मामला सामने आया है. राजधानी के पुरानी बस्ती स्थित शिवाजी स्कूल में बेजुबान जानवरों की सेवा के लिए एक अनोखी पहल को शुरू की गई है. इस स्कूल के बच्चे रोजाना टिफिन में एक रोटी गाय के नाम की रख कर लाते हैं. स्कूल के सभी बच्चे पहली रोटी गाय के लिए दान करते हैं. दान से लेकर गाय तक उस रोटी को पहुंचाने के लिए स्कूल की तरफ से विशेष व्यवस्था की गई है. गाय और जानवरों के प्रति सेवा, प्यार और दान की भावना बढ़ाने के लिए स्कूल की दीवारों पर गाय की तस्वीर बनाई गई है. रोटी को दान करने के लिए एक दान पेटी बनाई गई है. इसमें ही बच्चे रोजाना टिफिन से एक रोटी दान करते हैं.
रोजाना आती हैं 700 से 800 रोटियां
‘एक रोटी गाय के नाम’ पहल की शुरुआत एक साल पहल की गई थी, जिसके बाद रोजाना बच्चे एक रोटी गाय को दान करने के लिए लेकर आने लगे थे. स्कूल प्रबंधक का कहना है कि रोजाना 700 से 800 रोटियां बच्चों के द्वारा दान की जाती हैं. आगे प्रबंधक ने कहा कि इस पहल की शुरुआत करने के पीछे का कारण बच्चों का जानवरों के प्रति प्रेम बढ़ाना, सेवा और दान की भावना को विकसित करना है. बच्चे भी बढ़-चढ़कर इस मुहिम का हिस्सा बन रहे हैं.
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मां-बाप निभा रहे अहम भूमिका
बच्चों ने बताया कि हम सड़कों पर जानवरों को कूड़ा करकट खाते हुए देखते थे. कई बार तो जानवर पॉलीथिन और अन्य जहरीले पदार्थ भी खा लेते हैं, जिससे उनकी तबीयत खराब हो जाती है. यह सब देखते हुए पहली रोटी गाय की हम दान करते हैं. रास्तों और घर के आसपास दिखने वाले जानवरों को भी खाने की चीजें देते हैं. इसी के साथ-साथ बच्चों के अभिभावक भी इस मुहिम को चलाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
भारतीय परंपरा के अनुरूप परिवार वाले पहली रोटी गाय के लिए बना रहे हैं और उसे टिफिन में रख कर दान पेटी तक पहुंचा रहे हैं. स्कूल में मिले रोटी के दान को स्कूल प्रबंधक के द्वारा नजदीक के गौशाला में भेज दिया जाता है, जिससे सैकड़ों गायों के लिए रोजाना खाने की व्यवस्था हो रही है.
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