देश – डूब जाएगा सूरज, चारों तरफ छा जाएगा अंधेरा! उठने वाला है ऐसा जलजला…मौसम विभाग की चेतावनी से बैठा जा रहा दिल #INA

Cyclone Yagi : देश से मानसून की अब जल्द ही विदाई होने वाला है. आधा सितंबर बीत चुका है, हल्की-हल्की ठंड भी महसूस होने लगी है. लेकिन जाते-जाते मानसून तबाही ला सकता है. जी हां बंगाल की खाड़ी में एक डीप डिप्रेशन बना है यानी मौसम का ऐसा घेरा जो चकरी की तरह घूमते हुए आगे बढ़ेगा. रास्ते में तेज बारिश बाढ़ जैसे स्थिति पैदा कर देगा. फिलहाल यह कोलकाता से 60 किमी दूर पश्चिम की तरफ है जमशेदपुर से 170 किमी पूर्व और रांची से 270 किमी दूर पूर्व दक्षिण पूर्व की तरफ यह धीरे-धीरे पश्चिम की तरफ बढ़ेगा.

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 तेज से बहुत तेज बारिश होने का अनुमान

इसकी वजह से बांकुरा पुरलिया और पश्चिम मेदनीपुर में तेज से बहुत तेज बारिश होने का अनुमान है. समंदर में हवा 70 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चल सकती है. मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो यह तूफान धीरे-धीरे करके दिल्ली की तरफ बढ़ सकता है. इसके रास्ते में यूपी और बिहार आएंगे. हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि यह डीप डिप्रेशन से कम होकर अगले 48 घंटे में डिप्रेशन बन जाएगा. मौसम विभाग की मानें तो उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय नागालैंड मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा के अलग-अलग इलाकों में बादलों के जमकर बरसने के आसार है.

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गरज के साथ बारिश और बिजली गिरने के आसार

इन सभी राज्यों में 7 सेंटीमीटर से अधिक की बारिश दर्ज की जा सकती है. उत्तराखंड, पश्चिमी मध्य, प्रदेश छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, ऊपरी हिमालय, पश्चिम बंगाल और सिक्किम में तूफानी हवाओं के साथ बारिश और बिजली गिरने की आशंका का जताई गई है. वहीं अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा तमिलनाडु पुडुचेरी और कराई कल के अलग-अलग हिस्सों में गरज के साथ बारिश और बिजली गिरने के आसार है. मानसून के समय लो प्रेशर सिस्टम यानी कम दबाब का क्षेत्र बनना आम बात है. इसे मानसून लो कहते हैं जो बाद में तीव्र होकर मानसून डिप्रेशन में बदल जाता है.

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मौसम में इस बदलाव के लिए कौन जिम्मेदार?

 मानसून में बनने वाले यह लो प्रेशर एरिया और डिप्रेशन लंबे समय तक टिके रहते हैं. वैज्ञानिकों ने शहरों में इस तरह के मौसम में आने वाली बाढ़ की वजह बेतरतीब अर्बन डेवलपमेंट को माना है. स्ट्रम वाटर मैनेजमेंट अच्छा नहीं है. जंगल और कंक्रीट के बीच संतुलन नहीं है. रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं है. इसलिए शहरों में ऐसे मौसम से ज्यादा हालत खराब होती है. इस नई मुसीबत का नाम है, जमीन से पैदा होने वाला साइक्लोन. इसका ज्यादा असर पश्चिमी घाट और मध्य भारत पर पड़ेगा. कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में हुई बढ़ोतरी को इस तरह के मौसम के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है.

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फिलहाल भारत के 8 फीसदी हिस्से में अत्याधिक बारिश

 इस स्टडी में भारत पूर्वी तटीय क्षेत्र और हिमालय की तलहटी के लिए बढ़ते खतरों को और भी संकेत दिए गए हैं. फिलहाल भारत के 8 फीसदी हिस्से में अत्याधिक बारिश होती है, जो भविष्य में बढ़कर कई गुना ज्यादा हो जाएगी. अब देखने वाली बात यह होगी कि जाते-जाते मानसून किन राज्यों में तबाही लाता है और यह बवंडर से भारत को कितना नुकसान होता है.


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