सीजी- अमित जोगी की कांग्रेस में होगी वापसी!: 'नफरत के बाजार में खुलेगी मोहब्बत की दुकान', इस ट्वीट ने उड़ाये होश – INA

CG Politics: Amit Jogi: अमित जोगी की कांग्रेस में वापसी होगी!जी हां आप सही सुन रहे हैं। ये खबर पढ़कर आप जरूर चौंक गये होंगे। रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव 2024 की सियासी गलियारे में हर तरफ इसी की चर्चा है। बाकी का अंदाजा जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी यानी जेसीसीजे के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी के ट्वीट से भी लगा सकते हैं। 

अमित जोगी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर ट्वीट कर लिखा कि’छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष आदरणीय श्री चरण दास महंत और प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष आदरणीय श्री दीपक बैज ने मुझे इंडियन नेशनल कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी श्री आकाश शर्मा को समर्थन देने के जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के निर्णय हेतु अपना आभार व्यक्त किया है। 

दोनों नेताओं के साथ मिलकर हम पूरी ताक़त के साथ छत्तीसगढ़ में “नफ़रत के बाज़ार में मोहब्बत की दुकान” खोलने के उद्देश्य से सांप्रदायिक ताकतों को नेस्तनाबूत करने की पूरी ईमानदारी के साथ कोशिश करेंगे।🙏

इस ट्वीट के साथ अमित जोगी ने दीपक बैज के वाट्सएप स्क्रीन शॉर्ट को भी शेयर किया है।

 

दूसरी ओर इस चुनाव में जोगी ने अपना प्रत्याशी न उतारकर कांग्रेस को समर्थन दिया है। अब देखने वाली बात ये होगी कि जेसीसीजे का कांग्रेस में विलय होता है या वो जोगी अपनी राजनीति से इसी तरह लोगों के होश उड़ाते रहेंगे और चौंकाते रहेंगे। 

लोकसभा चुनाव 2024 और विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान भी उड़ाये थे होश

लोकसभा चुनाव 2024 और विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान भी राजनीति के गलियारे में इस बात की चर्चा रही कि जोगी कांग्रेस का बीजेपी में विलय हो सकता है। जोगी बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। हालांकि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें खुलकर सपोर्ट किया। चुनाव के समय उन्हें वीआईपी सुरक्षा भी उपलब्ध करवायी गई।

उस समय अमित जोगी ने दिल्ली पहुंचकर केंद्रीय सहकारिता और गृहमंत्री  अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात भी की थी। इसके बाद छतीसगढ़ की सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। चर्चा रही कि जेसीसीजे का बीजेपी में विलय हो सकता है। उस समय पार्टी के ज्यादातर नेता भाजपा के साथ जाने में सहमत थे। मुलाकात की तस्वीर अमित जोगी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म में शेयर भी की थी।

विधानसभा चुनाव 2023 में अमित जोगी की पार्टी जेसीसीजे को नुकसान हुआ। विधानसभा चुनाव में जेसीसीजे के खाते में एक भी सीट नहीं आई। साल 2018 विधानसभा चुनाव में जेसीसीजे को पांच सीटें मिली थीं, लेकिन 2023 के विस चुनाव में उन सीटों को भी जेसीसीजे नहीं बचा सकी। वो पाटन सीट से तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ चुनाव लड़े पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 

अब देखने वाली बात ये होगी कि जेसीसीजे का कांग्रेस में विलय होता है या वो जोगी अपनी राजनीति से लोगों के होश उड़ाते रहेंगे। 

अमित जोगी छत्तीसगढ़ के पहले सीएम अजीत जोगी के बेटे हैं। अजीत जोगी की गिनती छत्तीसगढ़ के दिग्गज नेताओं में होती थी। वो अपने पिता की विरासत को बचाये हुए हैं। अब रायपुर दक्षिण विधानसभा उप चुनाव से पहले अमित जोगी की ये ट्वीट सियासी अटकलों को हवा दे रही है। 

जैसे-जैसे रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव की घड़ियां नजदीक आ रही हैं। वैसे-वैसे चुनाव काफी दिलचस्प और रोचक होते जा रहा है। दरअसल, पूरा मामला जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी यानी जेसीसीजे से जुड़ा हुआ है। जोगी कांग्रेस ने इस उप चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी आकाश शर्मा का समर्थन किया है। इतना ही नहीं जेसीसीजे के मुखिया अमित जोगी ने अपने सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से आकाश शर्मा के पक्ष में  तन-मन से प्रचार करने की अपील भी की है।

जोगी कांग्रेस ने इस संबंध में शर्मा के समर्थन में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत को ज्ञापन भी सौंपा है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व विधायक रेणु जोगी और प्रदेश अध्यक्ष पूर्व विधायक अमित जोगी के इस पत्र में साफ-साफ लिखा है कि रायपुर दक्षिण उपचुनाव में साम्प्रदायिक ताकतों को रोकने उनकी पार्टी आकाश शर्मा को निःशर्त समर्थन देती है। वहीं क्षेत्र की मतदाताओं को अमूल्य वोट देने की अपील करती है।

अमित जोगी के इस ट्वीट और लेटर से जानें सच्चाई

जोगी ने ट्वीट कर लिखा कि ‘रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनावों के संदर्भ में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के अध्यक्ष अमित जोगी ने घोषणा की है कि सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए स्व. अजीत जोगी जी द्वारा बनाई गयी छत्तीसगढ़ की एकमात्र मान्यता प्राप्त राजनैतिक पार्टी जेसीसीजे इस उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी को निःशर्त समर्थन देगी। अमित जोगी ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर द्वारा बनाये गए भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्षता की बात की गयी है इसलिए उनकी पार्टी किसी भी दल को देश में साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए समर्थन नहीं दे सकती। साथ ही पिछले 10 महीनों का भाजपा सरकार का कार्यकाल बेहद ही निराशाजनक रहा है, इसलिए भी यह सरकार नैतिक रूप से जनता का विश्वास खो चुकी है। अमित जोगी ने जेसीसीजे के सभी कार्यकर्ताओं से कांग्रेस प्रत्याशी आकाश शर्मा के लिए पूरे तन मन से प्रचार करने की अपील की।

‘हमारी ताकत और भी मजबूत होगी’

नेता प्रतिपक्ष महंत ने जोगी कांग्रेस के इस समर्थन पत्र को एआईसीसी प्रभारी विजय जांगिड़, जरिता लेफ्तलांग, संपथ कुमार को अवलोकन कराया और शीर्ष नेतृत्व को अवगत कराने आग्रह किया। महंत ने जोगी कांग्रेस के इस समर्थन का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि दक्षिण विधानसभा उपचुनाव में इससे हमारी ताकत और भी मजबूत होगी। दावा करते हुए कहा कि कांग्रेस इस चुनाव में जीत दर्ज कर इतिहास रचेगी। 

 


कभी कांग्रेसी हुआ करते थे अमित जोगी
अमित जोगी कभी कांग्रेसी हुआ करते थे। पिता अजीत जोगी के साथ कांग्रेस से अलग होकर उन्होंने 2016 में नई पार्टी बनाई। 2018 के विधानसभा चुनावों में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने बसपा के साथ एलांयस किया। अजीत जोगी की पार्टी को पांच और बसपा को दो सीटें मिलीं। राज्य में भारी बहुमत के साथ कांग्रेस सरकार आ गई। 2020 में अजीत जोगी नहीं रहे। अजीत जोगी के निधन के बाद उनकी पत्नी रेणु जोगी ने इस पार्टी का विलय कांग्रेस में करने की कोशिशें शुरू कीं। यह कोशिशें करीब-करीब परवान भी चढ़ गईं थीं लेकिन एक शर्त की वजह से सब कुछ रुक गया। 

असली रार वहीं से पड़ी
अजीत जोगी के ना रहने के बाद उनकी पत्नी और पूर्व कांग्रेस नेता रेणु जोगी इस पार्टी का विलय कांग्रेस में चाहती थीं। वह लंबे समय से कांग्रेस में विधायक रह चुकी थीं। उन्होंने स्टेट लीडरशिप के साथ-साथ कांग्रेस हाईकमान से भी बात शुरू की। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक दिवाकर मुक्तिबोध कहते हैं कि उनकी सोनिया गांधी से इस विषय में बात हो रही थी। सोनिया और रेणु की दशकों पुरानी जान-पहचान थी। सोनिया इस विलय के खिलाफ नहीं थीं लेकिन उन्होंने अंतिम फैसला लेने के लिए राज्य की ईकाई को ही अधिकृत किया। रेणु के संबंध राज्य की ईकाई के नेताओें के साथ बहुत मधुर तो नहीं थे लेकिन खटासपूर्ण भी नहीं थे। पार्टी के नेताओं के साथ बात शुरू हुई। लेकिन कांग्रेस की राज्य ईकाई ने उनके सामने एक शर्त रख दी। यह विलय की ऐसी शर्त थी जिसे पूरा कर पाना संभव नहीं था।  


भूपेश बघेल इस विलय के खिलाफ थे
भूपेश बघेल इस विलय के खिलाफ थे। वह किसी भी हालत में जोगी परिवार की कांग्रेस में फिर से एंट्री नहीं चाहते थे। वरिष्ठ पत्रकार रवि भोई बताते हैं कि राज्य का कोई भी नेता इस पार्टी के विलय को लेकर सहज नहीं था। उसकी एकमात्र वजह अमित जोगी थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, टीएस सिंह देव सहित पूरी टॉप लीडरशिप इस विलय के खिलाफ थी। चूंकि सोनिया गांधी इस विलय के खिलाफ नहीं थीं इसलिए पार्टी के नेताओं ने रेणु को दो टूक तो मना नहीं किया लेकिन उनके सामने एक शर्त रख दी गई। रेणु जोगी से कहा गया कि कांग्रेस पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के सभी नेताओं को कांग्रेस में ले लेगी लेकिन वह अमित जोगी को नहीं लेगी। अमित के बिना यदि पार्टी विलय करना चाहती है तो विचार किया जा सकता है। जैसा कि स्वाभाविक ही थी इस शर्त के बाद विलय की बात टूट गई। इसी के साथ भूपेश बघेल और जोगी परिवार के बीच की राजनीतिक तल्खी एक निजी तल्खी में बदल गई। पाटन की सीट से उनका नामांकन दाखिल करना राजनीतिक पंडितों को राजनीति से ज्यादा निजी लग रहा है। 

नई पार्टी बनाने के खिलाफ थीं रेणु जोगी 
रेणु जोगी शुरुआत से ही नई पार्टी बनाने के खिलाफ थीं। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि खुद अजीत जोगी भी नई पार्टी बनाने को लेकर बहुत उत्सुक नहीं थे। कांग्रेस से करीब-करीब साइड लाइन कर देने के बाद अमित जोगी की जिद पर ही नई पार्टी बनाई गई। राजनीतिक जानकार वो वाकया भी नहीं भूलते जब पार्टी की स्थापना दिवस पर खुद रेणु जोगी मंच पर सबसे देर में आईं और सबसे पहले चली गईं। नई पार्टी के गठन के बाद वह कांग्रेस की मेंबर बनी रहीं। वह पार्टी की मीटिंग अटेंड करतीं। इससे एक किस्म की असहजता पार्टी में बनी रहती। इस बीच ना तो रेणु जोगी ने पार्टी छोड़ी और ना ही पार्टी ने उन्हें निकाला। 


फिर पार्टी ने नहीं दिया टिकट
2018 के विधानसभा चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ अपने उम्मीदवारों का एलान कर रही थी। उस समय तक भी रेणु जोगी कांग्रेस पार्टी में बनी रहीं। कांग्रेस के लिए असहजता बढ़ती गई। कांग्रेस ने जब रेणु जोगी की पारंपरिक सीट कोटा से किसी और प्रत्याशी की घोषणा कर दी तब उसके बाद रेणु जोगी ने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की सदस्यता ली और उस पार्टी ने नामांकन दाखिल किया। एक तरह से कांग्रेस पार्टी ने कभी भी रेणु जोगी को पार्टी ने निकाला नहीं। सूत्र बताते हैं कि भूपेश को छोड़कर रेणु जोगी के संबंध पार्टी के बाकी नेताओं के साथ तल्खी वाले नहीं हैं। 


Credit By Amar Ujala

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