Noida – कहीं आप तो नहीं हो रहे ओवरथिंकिंग का शिकार, ध्यान नहीं दिया तो डिप्रेशन में जाने की आशंका, पढ़िए बचने के उपाय – #INA

Greater Noida News :
ओवरथिंकिंग (Overthinking) सुनने में जितना कठिन हैं। उससे ज्यादा इसमें चले जाना है। किसी भी बात के बारे में लंबे समय तक सोचते रहना ओवरथिंकिंग कहलाता है। इससे इंसान काफी तनाव में चला जाता है। यह आदत न केवल हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। बल्कि हमें असुरक्षा, चिंता और डर से भी भर देती है। जब हम किसी उलझन, तनाव या डर का सामना करते हैं तो हमारा दिमाग स्वाभाविक रूप से उस स्थिति से निपटने के लिए बार-बार उसी विषय पर सोचने लगता है। इसे हम ‘ओवरथिंकिंग’ कहते हैं।

ओवरथिंकिंग के पीछे के कारण

ओवरथिंकिंग अक्सर तब शुरू होती है जब हम किसी डर, असुरक्षा या विफलता के बारे में अत्यधिक सोचने लगते हैं। कभी-कभी हमारे पुराने असफल प्रयास या समाज के जजमेंट का डर भी इसके पीछे की बड़ी वजह बनता है। कई लोग अपनी पिछली गलतियों के कारण बार-बार भविष्य की समस्याओं पर विचार करते रहते हैं। कुछ लोग अनावश्यक उम्मीदों और असुरक्षाओं से घिरकर हर स्थिति पर खुद को सुरक्षित महसूस करने के लिए कई संभावनाओं पर विचार करने लगते हैं। जिससे उनके दिमाग में ओवरथिंकिंग की प्रक्रिया तेज हो जाती है।

कैसे करती है हमें प्रभावित?

जब कोई विचार हमारे दिमाग में अटक जाता है तो वह बार-बार हमारे ध्यान में आता रहता है। ओवरथिंकिंग से हमारा दिमाग हर स्थिति को अत्यधिक चिंताजनक और भयावह बना देता है, क्योंकि यह काल्पनिक मापदंडों के आधार पर भय पैदा करता है। इसका परिणाम यह होता है कि हम एक छोटी समस्या को भी बेहद गंभीर रूप में देखने लगते हैं। यह मानसिक थकान, तनाव और यहां तक कि अवसाद का कारण भी बन सकता है। इसकी वजह से लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं।

निपटने के हैं सरल उपाय

ओवरथिंकिंग से निपटने के लिए सबसे पहला कदम यह है कि हम इसे स्वीकार करें। यह समझना जरूरी है कि ओवरथिंकिंग अपने आप खत्म नहीं होगी, लेकिन इससे निपटने के तरीके हमें जरूर राहत दे सकते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण उपाय दिए गए हैं जो ओवरथिंकिंग से बचने में मदद कर सकते हैं।

सचेतन रूप से इसे स्वीकारें

जब आप महसूस करें कि आपका दिमाग ओवरथिंकिंग मोड में जा रहा है तो सबसे पहले गहरी सांस लें और खुद को यह समझाएं कि आपका दिमाग आपको सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहा है। इसे कोई बीमारी न समझें, बल्कि यह आपके शरीर की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है।

हर विचार को महत्व न दें

हर दिन हमारे दिमाग में 60 से 80 हजार विचार आते हैं। हर विचार पर ध्यान देने की जरूरत नहीं होती। गहरी सांस लें और कोशिश करें कि बेकार के विचारों को जाने दें और आगे बढ़ें।

समस्या को वास्तविक आकार में देखें 

ओवरथिंकिंग अक्सर किसी समस्या को वास्तविकता से बड़ा बना देती है। इस बात को समझें कि जो समस्या आपके दिमाग में बड़ी लग रही है, वह शायद उतनी गंभीर नहीं है जितना आप सोच रहे हैं।

शारीरिक गतिविधियां करें 

जिम जाएं, योग करें या मेडिटेशन का अभ्यास करें। ये सभी आदतें न केवल शरीर को स्वस्थ रखती हैं, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करती हैं और ओवरथिंकिंग से बचने में मदद करती हैं।

समस्या से भागने की बजाय समाधान खोजें 

जब आपको लगे कि स्थिति आपके नियंत्रण से बाहर हो रही है और आप अकेला महसूस कर रहे हैं, तो खुद को कुंठा या अवसाद में डालने की बजाय एक साइकेट्रिस्ट या विशेषज्ञ से मदद लें।

Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम

Source link

Back to top button