देश – कौन हैं गोपाल राय? जिन्हें केजरीवाल मंत्रिमंडल के बाद आतिशी सरकार में भी मिली जगह- #INA

आप नेता गोपाल राय.

दिल्ली को आज नया मुख्यमंत्री मिल गया है. आतिशी ने आज यानी 21 सितंबर को दिल्ली की 8वीं मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले चुकी हैं. इनके साथ ही 5 मंत्रियों ने भी शपथ ली हैं. इन मंत्रियों में एक नाम गोपाल राय का भी शामिल है. ये पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों में से भी एक हैं. ऐसे में जानेंगे कि आखिर कौन है गोपाल राय, जिन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से अपनी राजनीति शुरू की. लेकिन आज ये केजरीवाल के चहेते चेहरों में से एक जो एक हैं, जो एक बार फिर से मंत्री बनाए गए हैं.

गोपाल राय आम आदमी पार्टी के एक कार्यकर्ता साथ-साथ बाबरपुर विधानसभा से विधायक भी हैं. पार्टी में राय का कद काफी बड़ा है क्योंकि ये आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों में से एक है. गोपाल राय का जन्म 10 मई 1975 को उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में हुआ था. किसान परिवार से आने वाले राय ने गृह जनपद से ही प्रारंभिक शिक्षा ली और इंटरमीडिएट भी किया.

gopal rai profile

लखनऊ विश्वविद्यालय से शुरू हुआ सियासी सफर

गोपाल राय के अंदर बचपन से ही एक नेता वाली छवि थी. उसी समय से ये छात्रों के हित की लड़ाई करने लगे थे. इसके कारण छात्र जीवन में इन्हें एक गोली लग गई थी. वो दिन था 18 जनवरी और साल था 1999. इस दिन कैंपस के अंदर ही इनको गोली मारी गई थी. ये गोली उनकी गर्दन की हड्डी में फंस गई. इस कारण वो करीब डेढ़ साल तक केजीएमसी और लगभग एक साल तक टूडियागंज होम्योपैथी कॉलेज में भर्ती भी रहे.

इस घटना से कुछ ही दिन पहले तिलक हॉस्टल में कमरा आवंटन में गड़बड़ियों के मामले में ही ये गोलीकांड हुआ था. गोपाल राय उस समय एलयू में समाज शास्त्र में पीजी कर रहे थे. ये हबीबुल्लाह हॉस्टल में रहते थे. लखनऊ विश्वविद्यालय क ये हॉस्टल हमेशा ही वहां की छात्र राजनीति का गढ़ रहा है. इस घटना से ये उत्तर प्रदेश में चर्चित हो गए थे. इस दौरान ये सीपीआई (एम) पार्टी से जुड़े थे.

कई आंदोलनों में लिया हिस्सा

दिल्ली की राजनीति में अपना नाम पहुंचाने तक इन्हें 10 साल लग गए. दरअसल ये दिल्ली की सुर्खियों में ये तब आए जब इन्होंने 9 अगस्त 2009 से 23 अगस्त 2009 तक तीसरा स्वाधीनता आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. इसके बैनर तले ही राय ने संसद भवन के पास दिल्ली में जंतर-मंतर पर 15 दिनों तक अनशन किया. राय यहीं नहीं रूके, इसके बाद ये भ्रष्टाचार-मुक्त भारत के लिए जन लोकपाल आन्दोलन में सक्रिय हुए.

इस आंदोलन में हिस्सा लेने के बाद इनको इसका ईनाम भी मिला. 2012 में आम आदमी पार्टी की शुरुआत हुई. राय पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों में से एक रहे. इसके बाद पार्टी ने 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में राय को बाबरपुर विधानसभा से उम्मीदवार बना दिया. लेकिन ये चुनाव हार गए. इसके बाद भी इन्होंने अपनी विधानसभा को नहीं छोड़ा और लगातार सक्रिय कार्यकर्ता को तौर पर मेहनत करते रहें.

बाबरपुर विधानसभा को बनाया अपना गढ़

साल 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव फिर आए. पार्टी ने इनपर भरोसा किया ओर बाबरपुर से ही इनको दोबारा टिकट मिला. इस बार जनता ने इन्हें निराश नहीं किया और पार्टी को इन्होंने. इस साल इन्होंने बंपर जीत हासिल की और विधायक बन गए. पार्टी में बड़ा कद होने के कारण इनको मंत्रालय भी मिल गया. इन्हें परिवहन और श्रम मंत्रालय सौंपा गया. इसके बाद 2020 में ये फिर पार्टी से लड़े और विधायक बन गए. इस बार उन्हें पर्यावरण, विकास और सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री बनाया गया. पार्टी में अपनी धाक रखने वाले राय ने केजरीवाल सरकार के बाद अतिशी सरकार में भी मंत्री पद की शपथ ले ली है.

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