J&K – Reservation in JK : पहाड़ी, पाडरी, कोली और गद्दा ब्राह्मण को ST में शामिल करने पर सरकार से जवाब तलब – #NA

अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में पहाड़ी जातीय समूह, पाडरी, कोली और गद्दा ब्राह्मणा बिरादरी को शामिल करने पर जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। इस फैसले को गुज्जर-बकरवाल समुदाय के सदस्यों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। वीरवार को न्यायाधीश ताशी रबस्टन और पुनीत गुप्ता की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई की।

खंडपीठ ने आदेश दिया कि यदि सरकार 12 अगस्त 2024 को अगली सुनवाई तक अपना जवाब दाखिल करने में विफल रहती है तो अंतरिम राहत के लिए आवेदन पर विचार किया जाएगा। याचिका में आदिवासी विशेषताओं की कमी, खानाबदोश जीवन शैली, सामाजिक या शैक्षिक पिछड़ापन या पारंपरिक रूप से अनुसूचित जनजातियों से जुड़े आर्थिक नुकसान का हवाला दिया गया है।

याचिकाकर्ता मोहम्मद अनवर चौधरी निवासी गुज्जर नगर ने याचिका दायर कर यह घोषित करने की मांग की है कि दायर याचिका में संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, 2024 (2024 का अधिनियम संख्या 3) असांविधानिक, शून्य और निष्क्रिय है, क्योंकि यह स्पष्ट रूप से मनमाना है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14,15,16,21 और 342 का उल्लंघन करता है। संशोधन अधिनियम के माध्यम से संसद ने प्रदेश के संबंध में अनुसूचित जनजातियों की सूची में पहाड़ी जातीय समूह, पाडरी जनजाति, कोली और गद्दा ब्राह्मण बिरादरी को बिना किसी उचित औचित्य या अनुभवजन्य डेटा के शामिल किया है।

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