J&K – जम्मू-कश्मीर संभाव उत्सव: राजीव धार बोले- कश्मीर से कन्याकुमारी तक जैविक उत्पाद भेज रहा हूं – #NA

पहले जब इंजीनियर था, तब कश्मीरी खाने को बहुत याद करता था। जब नौकरी से रिटायर हुआ, तब अपने राज्य के लोगों के लिए कुछ करने का ख्याल आया। आज प्रवासी कश्मीरियों के लिए कश्मीर से देश के कोने कोने तक जैविक उत्पाद भेज रहा हूं। ये कहना है अमृता शेरगिल मार्ग स्थित जम्मू-कश्मीर हाउस में चल रहे पांच दिवसीय जम्मू-कश्मीर संभाव उत्सव में आए दुकानदार राजीव धार का। 

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सोमवार को उनके स्टॉल पर जम्मू का राजमा, कश्मीरी चाय (क्यावा), मिर्ची, सौफ का पावडर इत्यादि की खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ रही। 

उन्होंने बताया कि वह दो सालों से यह कार्य कर रहे हैं। उनके यहां से उत्पाद दुबई तक जाते हैं। भेड़ की खाल से बने पर्स सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि आठ लोगों की टीम के साथ वह वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी तरह 30 स्टॉलों में विभिन्न उत्पादों के साथ उत्सव का सोमवार को समापन हुआ। इनमें कला, खाद्य उत्पाद, चित्रकारी, हस्तशिल्प की प्रदर्शनी लगाई गई। उत्सव में एक जिला, एक उत्पाद पहल और जीआई टैग वाले उत्पाद मुख्य आकर्षण का केंद्र रहे। 

इतना ही नहीं, 125 से अधिक कलाकारों की विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने इस मौके पर समां बांधा। इसमें बदलता, निखरता, संवरता और उभरता जम्मू कश्मीर जैसे कार्यक्रम के जरिए लोग जम्मू कश्मीर से भी रूबरू हुए। आयोजकों ने उत्सव का मकसद बताते हुए कहा कि इसके जरिए वह जम्मू-कश्मीर में महिला सशक्तिकरण, लघु व्यवसाय, उद्यमिता, संस्कृति, आर्थिक और पर्यटन विकास को बढ़ावा देना चाहती हैं। इससे पहले समभाव उत्सव का उद्घाटन शुक्रवार को जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया था। । इसमें जम्मू कश्मीर से आए लोगों ने अपनी कला, स्वादिष्ट व्यंजन, परिधान व उत्पादों का प्रदर्शन किया।

कबाड़ से बने एंटीक सामान रहे आकर्षण का केंद्र 

जम्मू कश्मीर के डोडा जिले से आई शमीमा अख्तर ने बताया कि उनके स्टॉल पर टूटे शीशे, पुराने बोतल, दीया, नारियल इत्यादि से बने एंटीक सामान को लोगों ने खूब पसंद किया। लोग अनोखे सामान को देख उनके स्टॉल तक खिंचे चले आए। उन्होंने बताया कि उनको इस काम ख्याल बढ़ती बेरोजगारी को देखकर आया। अभी वह 10 से 15 लड़कियों की टीम के साथ यह कार्य कर रही हैं। आलम यह है कि उनके काम की वजह से रोजगार तो मिल ही रहा है। साथ ही, जो आस पास फैला कबाड़ और शीशे के टुकड़े लोगों और जानवरों के पैरों को चुभते थे, वह आकर्षक उत्पादों में तब्दील हो रहे हैं।

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