J&K – अमर उजाला मेधावी सम्मान समारोह: मेधावियों से रूबरू हुए LG… दिए सफलता के मंत्र, अभिभावको-शिक्षकों को दी नसीहत – #NA

उप राज्यपाल मनोज सिन्हा अमर उजाला मेधावी सम्मान समारोह में कभी शिक्षक तो कभी प्रेरक वक्ता के रूप में नजर आए। वह इन रूपों में मेधावियों से रूबरू होते हुए उन्हें सफलता के मंत्र दिए तो अभिभावकों व शिक्षकों को नसीहत भी दी।

उप राज्यपाल ने अपने पूरे संबोधन के दौरान अपने आप को मेधावियों, अभिभावकों तथा शिक्षकों पर केंद्रित रखा। उन्होंने बच्चों को सफलता के मंत्र भी दिए-इनोवेशन, क्रिएटिविटी, फ्लेक्सिबिलिटी, स्ट्रेंथ, क्रिटिकल थिंकिंग तथा जिज्ञासा। बताया कि इन मंत्रों के आधार पर जीवन में सफलता पाई जा सकती है। सफल जीवन के लिए यह जरूरी है कि हमें इन सब बातों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

उप राज्यपाल ने बच्चों को सफल जीवन का राज बताते हुए बताया कि नंबर की होड़ में शामिल होने से अच्छा है कि अपने व्यक्तित्व को निखारें। इसके लिए जरूरी है कि तेजी से बदल रही दुनिया के साथ सामंजस्य स्थापित किया जाए। अच्छा इंसान बना जाए। बच्चों को सफल होने के लिए कहा कि प्रश्नों के जवाब रटने से बेहतर है कि . बढ़ने के लिए उसमें सवाल खोजे जाएं। उसके हल ढूंढे जाए। रोजाना इस तरह के सवाल मन में आने चाहिए। अज्ञात को जानने की जिज्ञासा हर वक्त मन में उठनी चाहिए। शिक्षा सकारात्मक बदलाव का साधन होना चाहिए न कि प्रथम श्रेणी में पास होने का साधन।


शिक्षक नई-नई इनोवेशन के लिए करें प्रेरित
शिक्षकों को नसीहत दी कि उनका दायित्व है कि बच्चों को बेहतर इंसान बनाएं। इसके लिए जरूरी है कि किताबी तथा क्लासरूम के बाहर की दुनिया की भी उन्हें जानकारी दी जाए। इससे उनके ज्ञान का स्तर बढ़ेगा। बच्चों को नई नई इनोवेशन के लिए प्रेरित करें। किताबों में लिखा पढ़ाना ही उनका दायित्व नहीं है। प्रतिभा को निखारना तथा तराशना उनकी जिम्मेदारी है जिससे वह सफल इंसान बन सके। साथ ही उनका व्यक्तित्व निखर सके और राष्ट्र निर्माण में उनकी सकारात्मक भूमिका सामने आए। 


अभिभावकों को बच्चों की रुचि के अनुसार करियर चुनने की आजादी देने की सलाह
उप राज्यपाल ने अभिभावकों को भी सलाह दी कि बच्चों को उनकी प्रतिभा के अनुरूप . बढ़ने की छूट देनी चाहिए। उन पर कोई चीज थोपनी नहीं चाहिए और न ही किसी से तुलना करनी चाहिए। बच्चों को उसके स्वाभाविक गुणों के अनुरूप . बढ़ने का मौका देना चाहिए। यह गुण उनके अंदर कुदरत से मिलता है। निश्चित रूप से वह इसमें बेहतर करेगा। अक्सर हम बच्चों पर अपनी भावना थोपने की गलती करते हैं। इसमें यदि वह सफल नहीं हुआ तो फिर मन में आत्मग्लानि की भावना आएगी जो उसके व्यक्तित्व विकास पर नकारात्मक असर डालेगा।


व्यवस्था पर तंज, मैं भी चाहूं तो नहीं करा सकता दाखिला
एलजी ने व्यवस्था पर तंज भी कसा। कहा कि महान गणितज्ञ रामानुजम 12वीं पास नहीं थे, लेकिन हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने बुलाकर पीएचडी में उनका पंजीकरण कराया था। आज तो व्यवस्था ऐसी है कि बिना योग्यता के दाखिला नहीं हो सकता है। यदि मैं भी चाहूं तो विश्वविद्यालय में 12वीं फेल की स्नातक में दाखिला नहीं करा सकता हूं।

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