खबर मध्यप्रदेश – क्या बदल जाएगा बाबा महाकाल की ‘शाही सवारी’ का नाम? संतों ने CM मोहन यादव से कर दी बड़ी मांग – INA

मध्य प्रदेश के उज्जैन में बाबा महाकाल की शाही सवारी को लेकर सियासत हो रही है. ये पूरा विवाद ‘शाही’ शब्द को लेकर है. कुछ संतों और BJP नेताओं का कहना है कि शाही शब्द इस्लामिक है. इसकी जगह ‘दिव्य और भव्य’ शब्द होना चाहिए. वहीं इसको लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव से मांग की गई है कि वह ‘शाही’ को हटाने पर विचार करेंगे. प्रदेश के जब धर्मस्व और संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने तो यहां तक कह दिया कि वह इसको लेकर मुख्यमंत्री से बात भी करेंगे.

उज्जैन में बाबा महाकाल की शाही सवारी सदियों से निकलती आ रही है. इस सवारी में देश-विदेश से लोग शामिल होने आते हैं, लेकिन अब दिक्कत ‘शाही’ शब्द से हो गई है. उज्जैन के विद्वान भक्तजनों ने आपत्ति लेते हुए सवारी को ‘इस्लामिक शब्द’ के साथ शाही कहने पर आपत्ति जताते हुए आक्रोश व्यक्त किया है. साथ ही मध्य प्रदेश के CM डॉक्टर मोहन यादव से बदलाव के लिए बीड़ा उठाने की मांग की. वहीं इस पर अब BJP के प्रदेश प्रवक्ता व मंदसोर के पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया ने भी अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर पोस्ट किया है.

‘शाही’ शब्द बदलने की मांग किसने उठाई?

बता दें कि भागवताचार्य श्री भीमाशंकर जी शास्त्री ने धर्म सभा में इसकी मांग उठाई. उन्होंने सवारी को ‘शाही’ शब्द की जगह ‘दिव्य और भव्य’ सवारी कहे जाने का सुझाव दिया. वहीं भागवताचार्य श्री भीमाशंकर जी शास्त्री की इस मांग को लेकर जब धर्मस्व और संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि ये मांग हम तक पहुंची है. हम इस शब्द को बदलने को लेकर मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव से बातचीत करेंगे. अगर जरूरी होगा तो बदलेंगे भी. जो शब्द गुलामी का प्रतीक हैं, उन्हें MP में लगातार बदलते भी रहे हैं.

BJP का बस चले तो भगवान का नाम भी बदल दे- कांग्रेस

वहीं ‘शाही’ शब्द को लेकर कांग्रेस नेता मुकेश नायक से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि ये बेफिजूल का विवाद है. BJP को और कोई काम नहीं है. शहर का नाम बदल दो, स्टेशन का नाम बदल दो और अब ‘शाही’ सवारी का नाम बदल दो. इनका बस नहीं चलता, वरना ये लोग तो भगवान का भी नाम बदल दें. बता दें कि एमपी में लगातार नाम बदलने को लेकर सियासत होती रही है. सरकार ने सड़क, भवन से लेकर शहरों के नाम बदले हैं. ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि बाबा महाकाल की ‘शाही’ सवारी पर सरकार का क्या रुख होता है.


Source link

Back to top button