खबर मध्यप्रदेश – 160 की रफ्तार, 309 किलोमीटर का सफर, कवच सिस्टम से लैस… 50 लाख लोगों को मिलेगा फायदा – INA
इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन परियोजना की स्वीकृत होने के बाद अब इसके निर्माण को लेकर जमीनी स्तर पर तैयारियां शुरू हो गई हैं. परियोजना को लेकर इंदौर में मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ मंगलवार को एक कार्यक्रम में शामिल हुए. हालांकि अश्विनी वैष्णव इस मीटिंग में वर्चुअली जुड़े थे. सीएम मोहन यादव ने कार्यक्रम में रेल लाइन परियोजना की जानकारी देते हुए इंदौर-मनमाड़ रूट को मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के रूप में विकसित करने की भी बात कही. उन्होंने कहा कि ये रेल लाइन पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत इकोनॉमिक कॉरिडोर के रूप में बनेगी.
इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन परियोजना की लंबाई 309 किमी है. इस रेलवे ट्रैक पर 160 किमी की गति से ट्रेन चलाई जा सकेगी. इस रूट पर 34 स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा. जिसमें से 18 रेलवे स्टेशन एमपी और 16 स्टेशन महाराष्ट्र में बनाए जाएंगे. वहीं ये रेल लाइन दोनों राज्यों के 6 जिलों से होकर गुजरेगी. इस रेल लाइन के निर्माण के दौरान नर्मदा, तापी, गोई, गिरना नदियों पर 7 पुल का निर्माण किया जाएगा. इसके साथ ही पहाड़ी इलाकों में टनल का भी निर्माण किया जाएगा. वहीं रेल मंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि ये रेलवे ट्रैक पूरी तरह से कवच सिस्टम से लैश होगा.
निर्माण कार्य में राज्य करेगी सहयोग
एमपी में परियोजना को गति देने के लिए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्य सरकार से सहयोग करने की बात कही है. रेल मंत्री के सहयोग वाली बात पर सीएम मोहन यादव ने कार्यक्रम के दौरान ही अधिकारियों को टास्क फोर्स गठित करने का आदेश दिया. ये टास्क फोर्स रेलवे अधिकारियों के साथ मिलकर रेल परियोजना के निर्माण कार्य में सहयोग करेगी, जिससे परियोजना को तय समय में पूरा किया जा सके.
उद्योग, विकास के साथ धार्मिक पर्यटन भी बढ़ेगा
सरकार का मानना है कि इस परियोजना से मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में कृषि, उद्योग, व्यापार और विकास के साथ ही धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. रेल मंत्री ने कहा कि परियोजना के पूरा होने पर तीन प्रमुख धार्मिक स्थल रेल संपर्क से सीधे जुड़ जाएंगे. इसमें ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर, त्रयंबकेश्वर और घुष्मेश्वर धार्मिक स्थल शामिल है. इसके साथ ही ये रेल परियोजना इंडस्ट्री हब माने जाने वाले पीथमपुर और उज्जैन के टेक्नोलॉजी पार्क को देश की आर्थिक राजधानी से जोड़ने का काम करेगी. जिससे मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी इंडस्ट्री और कल्चर एक्टिवटी को भी बढ़ावा मिलेगा.
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