खबर मध्यप्रदेश – स्वच्छता अभियान में एमपी ने हासिल किए नए कीर्तिमान: सीएम मोहन यादव – INA
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि पीएम मोदी की पहल पर देश में शुरू हुए स्वच्छता अभियान में मध्य प्रदेश कई कीर्तिमान स्थापित कर चुका है. उन्होंने कहा जहां एक ओर साल 2022 के स्वच्छ सर्वे में मध्य प्रदेश को सबसे स्वच्छ और साफ राज्य का दर्जा मिला. वहीं दूसरी ओर प्रदेश के इंदौर शहर ने लगातार 7वीं बार देश के सबसे स्वच्छ शहर होने का गौरव प्राप्त किया.
मुख्यमंत्री ने बताया कि पीएम मोदी के जन्मदिन के मौके पर यानी 17 सितम्बर को स्वच्छता ही सेवा अभियान शुरू हो रहा है. जो कि 2 अक्टूबर महात्मा गांधी की जयंती तक चलेगा. इस साल अभियान की थीम स्वभाव स्वच्छता-संस्कार स्वच्छता रखी गई है. उन्होंने कहा कि इस बार भी शहरी और ग्रामीण के कई क्षेत्रों में जन-भागीदारी के साथ बड़े पैंमाने पर स्वच्छता संबंधी गतिविधियां संचालित की जाएगी.
स्वच्छता के क्षेत्र में प्रदेश की उपलब्धियां
स्वच्छता सर्वे पुरस्कार 2023 में इंदौर शहर को लगातार 7वीं बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार मिला है. इंदौर वाटर प्लस प्रमाणन और 7 स्टार रेटिंग प्राप्त करने वाला देश का पहला शहर बन गया है. हाल ही में नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में स्वच्छ वायु सर्वे 2024 में जबलपुर को वायु गुणवत्ता में सुधार के लिये देश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है.
वेस्ट प्रोड्यूसर से हो रही स्पॉट कम्पोजिटिंग
प्रदेश में 850 से अधिक ठोस वेस्ट प्रोड्यूसर से स्पॉट कम्पोजिटिंग की जा रही है. प्रदेश में फीकल स्लज के निष्पादन को प्राथमिकता देते हुए 368 नगरीय निकायों में 399 एफएसटीपी और 20 निकायों में 55 एसटीपी संचालित हो रहे हैं. प्रदेश में 401 नगरीय निकाय 368 केन्द्रीयकृत इकाइयों से कम्पोजिटिंग कर रहे हैं. सूखे कचरे को खत्म करने के लिये 401 नगरीय निकायों में 360 मटेरियल रिकवरी फेसिलिटी इकाइयों को बनवाया गया है.
गीले कचरे से बॉयो सीएनजी का उत्पादन
प्रदेश के 108 नगरीय निकायों के लीगेसी वेस्ट का उपचार किया जा रहा है. स्वच्छ भारत मिशन के पहले चरण में 50 नगरीय निकायों ने अपने लीगेसी वेस्ट का पूर्ण निपटान कर लिया है. इन इकाइयों में 16 शहरों से कचरा लाकर उसे कम्पोस्ट में बदला जा रहा है.
इंदौर में गीले कचरे से बॉयो सीएनजी तैयार करने के लिये 550 टन प्रतिदिन क्षमता की गोवर्धन इकाई काम कर रही है. रीवा और जबलपुर में कचरे से बिजली बनाने की इकाइयां भी चल रही हैं. इन इकाइयों में रोज 950 टन कचरे का एक्जीक्यूशन कर 18 मेगावॉट बिजली पैदा की जा रही है. इंदौर और उज्जैन में 660 टन कचरे से बिजली बनाने का काम प्रस्तावित है. इस यूनिट में करीब 12.15 मेगावॉट बिजली पैदा होगी. इन सब कामों से प्रदेश के नगरीय निकाय साल 2027 तक कचरा प्रबंधन में आत्मनिर्भर बन सकेंगे.
सफाई अभियान में हासिल की नई ऊंचाइयां
साल 2022 में हुए स्वच्छता के सर्वे में मध्यप्रदेश को देश के सबसे स्वच्छ राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ है. वहीं 2023 में मध्यप्रदेश देश का दूसरा सबसे स्वच्छ राज्य घोषित किया गया. स्वच्छता के मामले में मध्यप्रदेश को 7 राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं. प्रदेश के 361 निकाय ओडीएफ डबल प्लस, 3 निकाय ओडीएफ प्लस और 7 निकाय को ओडीएफ का प्रमाणीकरण प्राप्त हुआ है. प्रदेश के 384 निकायों द्वारा स्वयं को सीपीएचईईओ मानदण्डों के आधार पर संरक्षित शहर घोषित किया गया है.
स्वच्छ सर्वेक्षण-2024 में खुले में शौच से मुक्त शहरों की श्रेणी में 27 शहरों को वाटर प्लस और शेष सभी शहरों को डबल प्लस, वहीं कचरा मुक्त स्टार प्रमाणीकरण के लिये सभी शहरों को कम से कम 3 स्टार से प्रमाणित किये जाने का लक्ष्य तय किया गया है.
जागरूकता के लिये शुरू हुई स्वच्छता की पाठशाला
प्रदेश में स्वच्छता विषयों के प्रति और जागरूकता लाने के लिये स्वच्छता की पाठशाला शुरू की गई है. इसके लिये अब तक 388 ट्रेनिंग के सत्रों में 44 हजार 639 सफाई मित्रों, 2004 अधिकारियों, 243 जन-प्रतिनिधियों और 200 संगठनों के प्रतिनिधियों को ट्रेनिंग दिलाई गई है. इनमें 44 हजार 701 सफाई मित्रों और उनके परिवार को फायदा पहुंचाया गया. स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता से जुड़े प्रमुख विषयों पर 10 से अधिक ऑनलाइन ट्रेनिंग सेशन किये जा चुके हैं. हाल ही में आरसीव्हीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी में 16 प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन किया गया. इन सत्रों में जमीनी स्तर पर बदलाव लाने की दिशा में 14 नगरीय निकायों और 311 निकायों में 600 से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों को प्रशिक्षण के साथ सह एक्सपोजर विजिट कराया गया.
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