देश – स्वामित्व की भावना से किए गए प्रयास सफल होते हैं – #NA
Ghaziabad News :
एम-एसएनसीयू ( मदर – स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट) और आईकेएमसी ( इमिडिएट कंगारू मदर केयर) स्वास्थ्य विभाग के बहुत ही एडवांस और अच्छे कार्यक्रम हैं। इनका ठीक से इंपलीमेंटेशन किया जाना जरूरी है। ये दोनों कार्यक्रम मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए क्रांतिकारी कदम साबित हो सकते हैं। प्रसव के दौरान मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर प्रभावी अंकुश के साथ ही उनके बेहतर स्वास्थ्य का आधार बन सकते हैं, लेकिन यह सब तभी संभव है जब संबंधित डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ स्वामित्व की भावना से काम करें। यह बातें यहां रेडिशन ब्लू होटल में आयोजित कार्यशाला के दौरान बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अभिनव गोपाल ने कहीं।
स्वास्थ्य विभाग और कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब ने किया था आयोजन
कार्यशाला का आयोजन चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और कम्यूनिटी एंपावरमेंट लैब के सौजन्य से किया गया था। कौशांबी स्थित होटल रेडिशन ब्लू में एमएसएनसीयू और आईकेएमसी विषयों पर आयोजित कार्यशाला के दौरान राज्य नेशनल हेल्थ मिशन के महाप्रबंधक डा. सूर्यांशु ओझा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार से आये हुए विशेषज्ञों के द्वारा बताया गया कि एमएसएनसीयू के क्रियाशील होने से शिशु के जन्म के तत्काल बाद ही कंगारू मदर केयर करवाने से शिशु के स्वास्थ्य पर बहुत ही पॉजीटिव प्रभाव देखने को मिलेगा।
क्या है कंगारू मदर केयर
कंगारू मदर केयर वस्तुतः एक थेरेपी है। कंगारू से अपने बच्चों को अपने शरीर से चिपकाकर सुरक्षित रखने का प्रयास करता है, इस थेरेपी के जरिए भी वही अहसास मां के जरिए बच्चे को देने का प्रयास किया जाता है। जन्म के तुरंत बाद, जिला जल्दी संभव हो सके, शिशु को मां के आंचल में होना चाहिए। इससे शिशु खुद को सुरक्षित महसूस करता है और सीधा प्रभाव उसके मानसिक और शारीरिक स्वाथ्य पड़ता है।
क्या है एम-एसएनसीयू
जिला महिला अस्पतालों के साथ ही प्रसव की सुविधा उपलब्ध कराने वाले चुने हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी एम-एसएनसीयू की स्थापना की जा रही है। वस्तुतः क्रिटिकल मामलों में शिशु के साथ मां को भी अस्पताल में रहने की जरूरत पड़ती है, इसी उद्देश्य से एसएनसीयू को एम- एसएनसीयू में अपग्रेड किया जा रहा है। इस व्यवस्था से गंभीर शिशुओं को भी कंगारू मदर केयर मिलने में सुविधा होगी। इस कार्यक्रम के अंतर्गत नवजात को होने वाली गंभीर बीमारियों में शिशु के साथ माँ को भी एमएसएनसीयू में रहने हेतु आवश्यक व्यवस्था की गयी है, जिससे कि माँ एवं शिशु दोनों को चिकित्सकीय देखभाल प्राप्त हो सके।
सीएमओ ने की कार्यशाला की अध्यक्षता
कार्यशाला की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. अखिलेश मोहन ने की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी टीम भावना से काम करते हुए सरकार द्वारा दी गई सुविधाओं का लाभ जनता तक पहुंचाने का प्रयास करें। आईकेएमसी और एमएसएनसीयू जैसे नवाचार को प्रभावकारी रूप से लागू करें। कार्यशाला में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमित विक्रम, जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. अलका शर्मा और डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने सक्रिय प्रतिभाग किया।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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