यूपी – भूमि अधिग्रहण घोटाला: अफसरों से सांठगांठ कर दलाल रमेश गुप्ता ने रची साजिश, मंडलीय जांच रिपोर्ट से खुला राज – INA

बरेली-सितारगंज हाईवे से जुड़े भूमि अधिग्रहण घोटाले की मंडलीय जांच रिपोर्ट में जिस दलाल रमेश गुप्ता का नाम आया है, विभिन्न विभागों में उसकी गहरी पैठ है। अफसरों से भी उसकी अच्छी सांठगांठ है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि बाहरी पेशेवर खरीदारों को जमीन दिलाने के बदले उसने मुआवजे की रकम में एक फीसदी कमीशन तय किया था। कमीशन पर जमीन की खरीद-फरोख्त ही उसका प्रमुख धंधा है।

जांच रिपोर्ट के अनुसार पेशेवर खरीदारों में ऊधमसिंह नगर के 12, लखनऊ के दो, रामपुर, दिल्ली, नोएडा, लखीमपुर खीरी और बरेली का एक-एक व्यक्ति शामिल है। इसमें दलाल रमेश गुप्ता का नाम सार्वजनिक कर उसके प्रभाव को भी बताया है। सूत्रों के मुताबिक रमेश पीलीभीत के बड़े-बड़े जमींदारों के लिए दलाली करता है। 

किसानों पर भी उसका प्रभाव 

पीडब्ल्यूडी, राजस्व समेत कई सरकारी विभागों के अधिकारियों से उसके संबंध हैं। गांवों के किसानों पर भी उसका काफी प्रभाव है। हाईवे चौड़ीकरण के मामले में अफसरों और रमेश की मिलीभगत से ही बाहरी पेशेवर खरीदारों को जमीन मुहैया कराई गई। अच्छे संबंध की वजह से कोई भी अधिकारी उसके खिलाफ बयान देने को भी तैयार नहीं है। 


वहीं, चर्चा है कि मंडलायुक्त की जांच टीम में पीलीभीत का कोई भी अधिकारी शामिल न होने के कारण ही रमेश गुप्ता का नाम सामने आया है, अन्यथा मामला दब जाता। 

अभी इन सवालों के जवाब मिलने बाकी
– पेशेवर खरीदारों और अफसरों के बीच में क्या डील हुई?
– पेशेवर खरीदारों और अफसरों के आपस में संबंध तो नहीं?
– जिनको पेशेवर खरीदार बताया है, उन्होंने अन्य परियोजनाओं में भी इस तरह का घोटाला किया है या नहीं?
– मिलीभगत में शामिल अफसरों पर कार्रवाई कब होगी?
– क्या अफसर आय से अधिक संपत्ति की जांच के दायरे में आएंगे?


एसआईटी जांच का आधार बनेंगी जांचों की रिपोर्ट 
अब तक तीन जांच समितियां भूअधिग्रहण घोटाले की कई परतें खोल चुकी हैं। एनएचएआई, कमिश्नर और डीएम की ओर से कराई गई जांच में 80 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले सामने आ चुके हैं। इधर, मुख्यमंत्री ने प्रकरण की एसआईटी जांच के आदेश दिए हैं। 
 
पहले की तीन जांच रिपोर्ट एसआईटी जांच के लिए आधार बनेंगी। अभी इस मामले में कई और खुलासे होंगे। पहली जांच अगस्त के पहले सप्ताह में एनएचएआई के सलाहकार सदस्य एसएस झा और डीजीएम टेक्निकल पीके सिन्हा ने की थी। इसमें बरेली-सितारगंज हाईवे और बरेली रिंग रोड के लिए भूमि अधिग्रहण में अधिक मूल्यांकन किए जाने की पुष्टि हुई थी। 

जांच रिपोर्ट के आधार पर एनएचएआई के चेयरमैन संतोष कुमार यादव ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर विस्तृत जांच का आग्रह किया था। इसके बाद मुख्य विकास अधिकारी जगप्रवेश की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने घोटाला पकड़ा था। 

एनएचएआई, एनएचएआई की ओर से नियुक्त साईं सिस्ट्रा ग्रुप और एसए इंफ्रास्टक्चर कसंल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड के साथ दो भूमि अध्याप्ति अधिकारियों और पीडब्ल्यूडी के एक अधिशासी अभियंता, एक सहायक अभियंता, तीन अवर अभियंताओं, अमीनों और लेखपालों को जिम्मेदार माना था। अब जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होनी है। इस संबंध में शासन के निर्देश का इंतजार है। 


Credit By Amar Ujala

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