यूपी – काशी में बाढ़ का कहर: 24 घंटे में 7134 लोग प्रभावित, नौ वार्डों और सात गांवों में भरा गंगा का पानी – INA

उफनाई गंगा में बाढ़ के कहर ने पांच हजार से अधिक परिवारों को अपनी चपेट में ले लिया। जलस्तर में गिरावट के बाद भी बस्तियों में पानी फैलने से बाढ़ का दायरा बढ़ता गटा। बीते 24 घंटे में बाढ़ प्रभावितों की संख्या 4461 से बढ़कर 7134 हो गई है। बाढ़ का पानी शहर के नौ वार्डों और तटवर्ती सात गांवों में प्रवेश करने से बड़ी संख्या में लोग सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर हो गए। 16 बाढ़ राहत शिविरों में राहत पैकेट के लिए मारामारी मच गई है। राहत और बचाव के लिए 22 नावें लगाई गई हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी बाढ़ से उत्पन्न स्थिति की अफसरों से जानकारी ली।

मंगलवार को बाढ़ का दायरा बढ़ने से बस्तियों से पलायन शुरू हो गया। 2531 लोगों ने अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के यहां शरण ली, जबकि 2860 लोगों राहत शिविर में हैं। 1743 किसान प्रभावित हैं। 3.04 हेक्टेयर जमीन कटान में विलीन हो गई है। इस दिन प्रभावित इलाकों में 115 लोगाें को सूखा राशन, 5472 को लंच पैकेट, 540 को फल, 482 को दूध, 340 को ओआरएस, 840 क्लोरीन टैबलेट बांटे गए। 

प्रशासन हालात पर नजर बनाए हुए है। सीर गोवर्धनपुर के बाढ़ पीड़ित राम सिंह यादव कल्लू पीड़ा बताकर भावुक हो उठे। उनका कहना था कि बाढ़ में फंसे लोगों को राहत पैकेट नहीं मिल पा रहे हैं। नायब तहसीलदार को फोन करने के बाद भी राहत सामग्री नहीं पहुंची। राहत सामग्री न पहुंचने यहां बाढ़ में घिरे घरों लोग परेशान हैं। बाढ़ क्षेत्र में फंसे लोगों को जहरीले जानवरों के घरों में घुसने का भी डर सता रहा है। 


करोड़ों की लागत से बने भवनों के चारों तरफ से पानी लगने से लोगों ने घरों को खाली कर दिया है। उधर, एडीएम वित्त एवं राजस्व वंदिता श्रीवास्तव के अनुसार राहत और बचाव के लिए 22 नावें लगा दी गई हैं। एनडीआरएफ की एक टीम एवं जल पुलिस की मोटर बोट लगा कर राहत बाढ़ में घिरे लोगों को बाहर निकाला जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि 16 बाढ़ राहत शिविरों में रहने वाले परिवारों के लिए गर्म भोजन, फल, दूध, पेयजल के साथ साथ समस्त मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराई जा रही हैं।
 
बाढ़ और बारिश ने बढ़ाई लोगों की मुश्किलें
बाढ़ से परेशान लोगों की मुश्किलें बारिश में और बढ़ा दी है। बाढ़ क्षेत्र में फंसे लोगों को लगातार हो रही बारिश की पानी से भी परेशानी होने लगी है। बारिश के पानी से कॉलोनी में पानी का स्तर बढ़ने लगा है। मारुति नगर कॉलोनी में ऋषि पाठक के मकान के पास तक पानी पहुंच गया है। जबकि, सोमवार तक पानी उनके मकान से काफी दूरी पर था। इन कॉलोनी में सैकड़ो की संख्या में परेशान लोग परिवार को घरों पर सुरक्षित पहुंचाकर मकान में बने हुए हैं।
 
नाले के रास्ते कालोनियों में घुसा बाढ़ का पानी
नगवां नाला से पानी प्रवेश करने से गंगोत्री विहार कॉलोनी के मोड़ से लेकर लेन नंबर एक तक 25 घरों तक पानी पहुंच गया है। संगमपुरी कॉलोनी में रामायण त्रिपाठी के घर से झगड़ु राजभर के घर तक पानी पहुंच गया है। नगवा हरिजन बस्ती के प्रभु राम के घर तक पानी पहुंच गया है। महेश नगर कॉलोनी में अघोर आश्रम तक पानी पहुंच गया है। सामने घाट साई मंदिर के . तक पानी धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। ज्ञान प्रवाह नाला पर बने चैनल गेट से पानी भीतर नहीं प्रवेश कर रहा है। जिसके कारण अभी कुछ राहत लोगों को मिल गई है। सीर गोवर्धनपुर से काशीपुरम, मारुति नगर, गायत्री नगर, शिवाजी नगर, रत्नाकर बिहार, पटेल नगर होकर आने वाला नाला ज्ञानप्रवाह के पास मिलता है। यहां सिंचाई विभाग की तरफ से पंपों की संख्या चार से बढ़ाकर 6 कर दी गई है। लगातार पंप चलाने के लिए जनरेटर मंगा कर लगवाया गया।

गंगा के जलस्तर में पांच सेमी प्रति घंटा की दर से गिरावट


केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा का जलस्तर मंगलवार की शाम 6 बजे 70.82 मीटर रिकॉर्ड किया गया। इसमें 0.5 सेमी प्रति घंटे की दर से गिरावट दर्ज की जा रही है। गंगा का चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर है। खतरे का बिंदु 71.26 मीटर है। हाई फ्लड लेवल 73.90 मीटर है । इस दिन गंगा नदी चेतावनी बिंदु से 56 सेमी ऊपर और खतरे के बिंदु से 44 सेमी नीचे बहती रही। जलस्तर में गिरावट के बाद भी तहसील सदर के नौ वार्ड सलारपुर, सरैया, हुकुलगंज, दानियालपुर, कोनिया, सिकरौल, जैतपुरा, चौकाघाट, डोमरी और सात ग्राम रामपुर ढाब, गोबरहा, लुठा कला, रामचंदीपुर, मोकलपुर, शिवदशा छितौना के लोग प्रभावित हो गए हैं। बाढ़ के चलते रामनगर में घाट पूरा डूब चुका है। घाट किनारे गलियों में जलकुंभी भी बहकर फंस गई हैं।
 
वरुणा किनारे लाइट बत्ती गुल, सता रही घर की सुरक्षा की चिंता
गंगा में आई बाढ़ से वरुणा में हुए पलट प्रवाह से प्रभावित लोगों को घर की सुरक्षा की चिंता सता रही है। सरैयां के राकेश कुमार ने बताया कि घरों को खाली कर दिया गया है। एहतियात बिजली गुल कर दी गई है। घर पानी में डूबा है। इस बीच वहां सामान चोरी होने का खतरा है। इस नाते नाव के सहारे एक बार वहां जाकर देखरेख करनी पड़ती है।

बाढ़ के चलते बच्चों को छोड़ने और ले जाने जाते अभिभावक
बाढ़ के चलते सामनेघाट, मारुति नगर, ढेलवरिया, सरैंया, चौकाघाट में प्रभावित लोग बच्चों को स्कूल छोड़ने और ले जाने के लिए अभिभावकों को जाना पड़ रहा है। कोई भी वाहन बाढ़ वाले इलाकों में नहीं आ रहे हैं। मारुति नगर के अंजनी ने बताया कि मां बाप को जहां बच्चों की चिंता सता रही है तो वहीं बच्चे घर डूबने की चिंता है। कई परिवार के लोग बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं।

गलियों में घुसा पानी, अंतिम संस्कार कार्य भी प्रभावित


बाढ़ के चलते सड़क से होकर पानी गलियों में घुस चुका है। इसके चलते अंतिम संस्कार कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर गलियों में अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं। अस्सी पर किनारे बने होटलों में पानी घुसा पर्यटक भी नहीं आ रहे हैं। बाढ़ में फंसने वाले लोग मोटरबोट से सामान ला रहे हैं। यहीं नहीं 24 घंटे घर के बाहर पानी लगने के कारण बच्चे मस्ती कर रहे हैं।

रमना में डूबी सब्जियों की फसलें
रमना इलाके में बाढ़ की चपेट में आने से 70 एकड़ से अधिक किसानों की फसल पानी में समा गई है। रमना के पूर्व तरफ ताल से पानी प्रवेश कर पुराना पीपल तक पहुंच गया है। बाढ़ से सब्जी की तैयार फसल पानी से खराब होने लगी है। यहां के रहने वाले किसान मेवा पटेल राजेश पटेल विनोद पटेल रामधनी पटेल अमित पटेल ने बताया कि इन लोगों की तैयार बोड़ा, सेम, करेला, नेनुआ, कदुआ, गोभी, टमाटर, फसल पानी में डूब गई है।

ढाब क्षेत्र में हरे चारे की फसलें चढ़ी बाढ़ की भेंट
बाढ़ से चिरईगांव ब्लाक के ढाब क्षेत्र में पशुपालकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। यहां बोई गई हरे चारे की फसलें ज्वार बाजरा बाढ़ की भेंट चढ़ गई। ऐसे में अब पशुपालकों के समक्ष पशुओं के चारे का संकट खड़ा हो गया है। छितौना,जाल्हूपुर अम्बा- मोकलपुर घाट के पास लगभग सौ एकड़ धान व बाजरे की फसलें जलमग्न होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं । छितौना गांव के जयगोविंद यादव अम्बा के पंकज सिंह,जाल्हूपुर के सूबेदार ने बताया के सोता किनारे बोई गई लगभग सौ एकड़ धान व हरे चारे की फसलें बाढ़ में डूब गई। गिरावट के बाद भी किसानों को आशंका है कि यदि पुनः पानी बढ़ा तो खरीफ फसलों का भारी नुकसान होना तय है।


Credit By Amar Ujala

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