यूपी – बाघ… बाढ़ और बेबसी: लखीमपुर खीरी में पानी से घिरे 250 गांव, दहशत में कट रही जिंदगी – INA

लखीमपुर खीरी जिले में बाघ की दहशत और बाढ़ के कहर से जिंदगी मुश्किलों में है। आधे जिले में बाढ़ का कहर है। करीब 250 गांवों के ग्रामीण छतों, सड़क और अन्य ऊंचे स्थानों पर पनाह लिए हुए हैं। खाने और पीने के पानी की किल्लत है। मोहम्मदी-महेशपुर रेंज के 40 से अधिक गांवों में बाघ की दहशत है। खेती-किसानी प्रभावित है। बच्चों का स्कूल जाना बंद है।

बाघ और बाढ़ करीब दो महीने से लोगों के लिए मुसीबत बने हैं। पलिया, धौरहरा, निघासन और गोला तहसील में बाढ़ का कहर है। मोहम्मदी-महेशपुर रेंज में बाघ ने ग्रामीणों की नींद उड़ा रखी है। तेंदुए की चहलकदमी ने भी दहशत का माहौल बना रखा है। जिले के एक हिस्से में बाढ़ ने ग्रामीणों को बेघर कर दिया है। एक हिस्से में बाघ की दहशत ने लोगों को घरों में कैद कर रखा है।

बाढ़ के पानी में डूबकर और बाघ के हमले में जा चुकी हैं कई जानें
 

बाढ़ के पानी में डूबकर कई लोग जान गवां चुके हैं। रविवार को भी एक किशोरी और बुजुर्ग की डूबने से मौत हो गई। उधर, मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ी हैं। मोहम्मदी-महेशपुर रेंज के गांव इमलिया निवासी अमरेश कुमार और मूड़ा अस्सी निवासी जाकिर की भी बाघ के हमले में जान चली गई थी। 15 दिन के अंदर दो लोगों की जान लेने वाला बाघ अब तक वन विभाग की पकड़ से दूर है।  


तेंदुआ और सियार भी कर रहे हमला
धौरहरा के धूसाखुर्द और आसपास गांवों में तेंदुए की चहलकदमी ने ग्रामीणों की नींद उड़ा रखी है। कुछ गांवों में सियार के हमले में लोग घायल हो चुके हैं। मैगलगंज क्षेत्र के गांव में भी सियार के हमले में चार लोग घायल हो चुके हैं। शहर से सटे इंदिरा वन मनोरंजन पार्क और खंभारखेड़ा के पास कई महीने से तेंदुए की दहशत है। 

बाघ और तेंदुए की दहशत 

  • 40 से अधिक गांवों में बाघ की दहशत है।
  • 10 से गांवों में तेंदुए की चहलकदमी से खौफ है।

बाढ़ प्रभावित गांव

  • 05 तहसीलों के गांवों में बाढ़ का पानी भरा है।
  • 250 के ज्यादा गांव बाढ़ प्रभावित हैं।
  • 02 लाख से अधिक आबादी बाढ़ की चपेट में है।


बाघ को बेहोश करने की कोशिश में लगी रहीं टीमें
ममरी क्षेत्र में दहशत का पर्याय बना बाघ ग्राम मूड़ा अस्सी और मूड़ा जवाहर के बीच गन्ने के खेतों को अपना ठिकाना बनाए हुए है। वन विभाग की रेस्क्यू टीमें रातभर मचान पर बैठकर बाघ को बेहोश करने की कोशिश में लगी रहीं।  

ट्रेनर बाघ मित्र अनिल चौहान ने बताया कि उनकी टीम बाघ प्रभावित क्षेत्र के गांव इमलिया, अजान, घरथनिया, मूड़ा, मड़िया, जवाहर, मूड़ा अस्सी, बघमरा, शेरपुर, कपरहा, सिमरई, बिलहरी आदि गांवों में जाकर लोगों को पंफलेट वितरित कर उन्हें बाघ से बचने के उपाय बता रही है। 

रेंजर नरेश पाल सिंह ने बताया कि जिस स्थान पर मचान बनाया गया है, वहां पर बाघ अब तक नहीं पहुंचा है। दुधवा टाइगर रिजर्व से आए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के कैमरा स्पॉट रोहित और रवि कैमरों की फुटेज खंगाल रहे हैं। जहां बाघ मौजूद है, वहां ग्रामीणों के जाने पर पाबंदी लगा दी गई है। 


बाघ को सड़क पार करता देख भागे राहगीर
अलीगंज इलाके में भटपुरवा कॉलोनी के पास बाघ ने वसलीपुर मार्ग को पार किया तो कई राहगीर अपनी बाइक छोड़कर भाग खड़े हुए। गनीमत रही की सड़क पर वाहन होने के कारण बाघ ने हमला नहीं किया। 

गोला वन रेंज के गांव वसलीपुर ग्रंट, नाथूपुर में बाघ देखे जा रहे हैं। डर के कारण लोग खेतों की तरफ नहीं जा पा रहे हैं। चाहे गोला वन रेंज का इलाका हो या महेशपुर या फिर मैलानी क्षेत्र सभी स्थानों पर बाघ की चहलकदमी है। खेती किसानी का काम पूरी तरह प्रभावित है। 

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सोमवार दोपहर बाद लोग वसलीपुर से गोला और गोला से वसलीपुर तथा अलीगंज आ-जा रहे थे। तभी भटपुरा कॉलोनी के पास वसलीपुर मार्ग को अचानक बाघ पार करने लगा। इससे कई बाइक चालक हड़बड़ाहट में गिरकर घायल हो गए। 

वन दरोगा अंकित बाबू ने बताया कि क्षेत्र में बाघ देखे जाने की सूचना मिली थी। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। मौके का निरीक्षण करते हुए लोगों को सतर्क रहने और खेतों में अकेले न जाने की सलाह दी गई है। 


Credit By Amar Ujala

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