यूपी – UP: 72 घंटे बीते…दो आरोपियों की हो चुकी गिरफ्तारी, फिर भी हत्या की वजह नहीं जान पाई पुलिस, ये हैं अनसुलझे सवाल – INA

हमीरपुर जिले के जरिया थाना क्षेत्र में महिला की चलती कार में गला घोंटकर हत्या करने व उसके पति व पुत्र की हत्या के प्रयास के मामले में पुलिस फिलहाल खाली हाथ है। जबकि कार चालक संजीव कुमार और उसका परिचित कल्लू उर्फ फूफा को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। पुलिस इनसे कुछ उगलवा नहीं पाई है। दोनों जेल चले गए हैं। मामले में कार चालक संजीव कुमार की भूमिका पर संदेह जताया जा रहा है। ऐसा अंदेशा है कि उसे आरोपियों के बारे में पूरी जानकारी है। वह पुलिस को गुमराह कर रहा है।

बता दें कि कानपुर की जूता फैक्टरी में काम करने वाले गुजैनी में रह रहे चौबेपुर थानाक्षेत्र के मदारीपुर गांव निवासी सूरज यादव की पत्नी अमन (35) की उसके बगल में रह रहे किरायेदार त्रिभुवन उर्फ चतुर्भुज उर्फ चतुर सिंह ने चलती कार में साथियों संग मिलकर गला घोंटकर हत्या कर दी। त्रिभुवन यानी चतुर सिंह ने 21 सितंबर की रात में करीब 12 बजे चित्रकूट दर्शन के बहाने कार से ले जाकर जरिया थानाक्षेत्र के गोहांड कस्बे के निकट वारदात को अंजाम दिया।


उसके साथ कानपुर से वीर सिंह व कार चालक संजीव कुमार चले जबकि कल्लू उर्फ फूफा उन्हें जालौन जनपद के जोल्हूपुर मोड़ में मिला। उन्होंने सूरज व उसके बेटे रामजी की भी गला कसकर हत्या करने का प्रयास किया, लेकिन दोनों बच गए। पुलिस ने घटना में प्रयोग की गई कार को बरामद कर चालक को हिरासत में ले लिया। उसकी निशानदेही पर महिला का शव बरामद हुआ।


वारदात से लेकर आरोपियों को छोड़ने तक की जानकारी चालक को
वहीं, सोमवार देर शाम पुलिस ने दूसरे आरोपी कल्लू उर्फ फूफा निवासी सदरी कानपुर देहात को भी गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए दोनों आरोपी वारदात की वजह नहीं बता सके। अंदेशा जताया जा रहा है कि कानपुर से पीड़ित परिवार को साथ लाने के बाद वारदात होने तक व आरोपियों को छोड़ने तक की सभी जानकारी चालक संजीव को है। यह संदेह इसलिए भी किया जा रहा है, क्योंकि संजीव आरोपियों का परिचित है।


त्रिभुवन की जेल में वीर सिंह से हुई थी मुलाकात
दरअसल, संजीव को कार चित्रकूट ले जाने के लिए वीर सिंह ने त्रिभुवन यानी चतुर सिंह के कहने पर बुक किया था। त्रिभुवन की जेल में वीर सिंह से मुलाकात होने के बाद जान-पहचान हुई थी। वीर सिंह की ससुराल कानपुर देहात जिले के मंगलपुर में है। कार चालक संजीव कुमार मंगलपुर का निवासी है। आरोपी कल्लू से भी संजीव की जान-पहचान है। संजीव की कार वीर सिंह ने बुक की थी। वहीं, संजीव कार भी आरोपियों के इशारे पर ही चला रहा था।


वारदात का मुख्य कारण स्पष्ट नहीं हो सका
यदि संजीव को साजिश की जानकारी नहीं होती, तो वह कार को किसी थाने में लेकर जाकर खड़ा कर सकता था। कार खराब होने का बहाना भी बना सकता था। जोल्हूपुर मोड़ से चालक के परिचित कल्लू को भी साथ लिया। उसने त्रिभुवन व वीर सिंह के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया। ऐसे में चालक संजीव की वारदात में खासी भूमिका प्रतीत हो रही है। इसके बावजूद पुलिस उससे असली वजह नहीं जान पा रही है। एसपी डॉ. दीक्षा शर्मा का कहना है कि जांच टीमें लगी हैं, लेकिन वारदात का मुख्य कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।


नौ किमी के दायरे में वारदात को दिया अंजाम
राठ कस्बे से गोहांड की दूरी 12 किमी. है। आरोपियों द्वारा सूरज के साथ राठ से करीब तीन से चार किमी. की दूरी पर वारदात की गई। इसके बाद सूरज के बेटे रामजी को गोहांड कस्बे से पहले मरणासन्न हालत में फेंक दिया गया। गोहांड कस्बे में 100 मीटर . स्थित सीएचसी के पास सड़क के किनारे खेतों में महिला अमन के सिर को कूचकर झाड़ियो से छिपा दिया।


ये हैं कुछ अनसुलझे सवाल
चलती कार में महिला की हत्या मामले में कई सवाल अनसुलझे हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है, लेकिन अभी तक इन सवालों के जवाब सामने नहीं आए हैं। मसलन, किस वजह से महिला की हत्या की गई? मुख्य आरोपी कौन है? कार चालक पुलिस को गुमराह क्यों कर रहा है? महिला के पति की भूमिका पर भी संदेह जताया जा रहा है। यह भी सवाल उठ रहा है कि अपराधी ने ही परिचित ड्राइवर चुना। केवल महिला की हत्या की गई। पति और दोनों बच्चों को छोड़ दिया गया? क्या यह सब महज संयोग है?


  • सवाल एक: कार आरोपी वीर सिंह ने त्रिभुवन उर्फ चतुर सिंह के कहने पर बुक की थी। कार चालक संजीव के गांव कानपुर देहात के मंगलपुर में वीर सिंह की ससुराल है। इस वजह से दोनों परिचित हैं। ऐसे में संजीव को साजिश की जानकारी जरूर होगी, लेकिन वह पुलिस को कुछ नहीं बता रहा है। पुलिस ने उसे रिमांड पर लेने की जगह न्यायिक हिरासत में जाने दिया। वारदात वाले दिन भी संजीव की भूमिका संदेहास्पद रही है। उसने कार को आरोपियों के इशारे पर चलाया। जानते हुए भी परिवार की कोई मदद नहीं की।


  • सवाल दो: क्या त्रिभुवन उर्फ चुतर सिंह की आपराधिक पृष्ठभूमि से सूरज अंजान था? किराये का कमरा दिलाने के बाद जब त्रिभुवन ने अपना आधार कार्ड देने में आनाकानी की तो सूरज को उस पर संदेह क्यों नहीं हुआ?
  • सवाल तीन: सूरज का कहना है कि जब आरोपी उसका चलती कार में गला घोंट रहे थे तो वह कार का गेट खोलकर कूद गया। जबकि कार का सेंट्रल लॉक लगने के बाद चलते समय गेट खुल नहीं सकता है। क्या कार चालक ने लॉक को खोला ताकि सूरज कूद सके। कार से कूदने के बाद रात में सूरज थाने नहीं गया। उसने सुबह पुलिस में शिकायत की। इतनी देरी की वजह क्या है?


  • सवाल चार: आरोपियों ने केवल महिला की हत्या की। ढाई साल की बच्ची को दूसरे जिले में ले जाकर छोड़ दिया। जबकि पेशेवर अपराधी होने की वजह से वह जानते हैं कि ऐसा करने से वह पकड़े जाएंगे। आरोपियों ने सूरज के दस साल के बेटे को भी जिंदा छोड़ दिया। जबकि महिला को मारने के बाद उसका सिर कूंच दिया।
  • सवाल पांच: चलती कार में ही क्यों त्रिभुवन पूरे परिवार की हत्या करना चाहता था? क्या उसे यकीन था कि सभी मिलकर गला घोंटकर चारों लोगों को मार डालेंगे? क्या वह एक-एक की हत्या करके उनका शव अलग-अलग जगहों पर फेंकना चाहता था ताकि कोई सुबूत न मिले। मामले को हादसे के रूप में बदला जा सके?


  • सवाल छह: क्या अमन की हत्या का मास्टर माइंड कोई और है? जिसके इशारे पर त्रिभुवन उर्फ चुतर सिंह काम कर रहा था? सूरज ने अमन से प्रेम विवाह किया है। दोनों ने भागकर शादी की है। गांव भी नहीं जाते हैं। इससे संदेह होता है कि कोई तीसरा व्यक्ति भी इसमें शामिल हो सकता है।
  • सवाल सात: त्रिभुवन ने कहीं साजिश को अंजाम देने के लिए ही तो नहीं सूरज के बगल में किराए का कमरा लिया। सूरज को विश्वास में लिया। यदि त्रिभुवन सीधे शामिल नहीं है तो उसने किसके इशारे में वारदता की?


Credit By Amar Ujala

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