यूपी – Budaun News: 15 साल बाद आया फैसला, कोर्ट ने बलवा के आरोपों से 28 लोगों को किया बरी – INA

बदायूं में 15 साल पहले हुए विवाद में बृहस्पतिवार को फैसला आया। अदालत ने 28 आरोपियों को बरी कर दिया। इस मामले में 31 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें तीन की मौत हो चुकी है। मामला सांप्रदायिक होने के कारण जिले में काफी चर्चा में रहा। मुकदमे में एक ही परिवार की चार पीढ़ियां फंसी थीं।

 

साल 2009 में बसपा सरकार में फैजगंज थाना क्षेत्र के कस्बा मुड़िया धुरेकी में एक समुदाय के लोग दालान पर धार्मिक आयोजन करने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस प्रशासन ने राजनीतिक दबाव में लाउडस्पीकर लगवाकर कार्यक्रम कराने की कोशिश शुरू की तो कस्बे के दूसरे पक्ष में रोष फैल गया। पुलिस जब मौके पर पहुंची तो कस्बे के लोगों ने विरोध किया। इसी बीच पुलिस और कस्बे के लोगों में जमकर मारपीट हो गई। कई पुलिस कर्मी घायल हो गए थे। कस्बे के लोगों को भी चोटें आईं थीं। 

पुलिस ने रामपाल मिश्रा उनके भतीजे विजयपाल मिश्रा, विद्याराम मिश्रा, विजयपाल के बेटे सतीश मिश्रा सतीश के भतीजे पंकज मिश्रा (एक ही परिवार की चार पीढ़ियां) को नामजद करते हुए 31 लोगों के खिलाफ बलवा आदि संगीन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की थी। रामपाल मिश्रा समेत तीन लोगों की मौत हो चुकी है। बृहस्पतिवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए 28 आरोपियों को दोष मुक्त  कर दिया। 


ये लोग थे नामजद 
मुकदमे में रामपाल मिश्रा उनके भतीजे विजयपाल मिश्रा व विद्याराम मिश्रा, विजयपाल के बेटे सतीश मिश्रा तथा सतीश का भतीजा पंकज मिश्रा के अलावा मुकेश कुमार, इंद्रजीत भट्ट, संजीव, घनश्याम, कल्लू, राजेश राना, वेदप्रकाश शर्मा, घासीराम शर्मा समेत 31 लोग नामजद थे।

पुलिस की गवाही पर ही छूटा मुकदमा
पूरे मुकदमे में खास बात यह रही कि खुद पुलिसकर्मियों की गवाही पर ही मुकदमा छूटा। अदालत में जब पुलिसकर्मियों की गवाही हुई तो उन्होंने आरोपियों को पहचानने से इन्कार कर दिया। साक्ष्य व सबूतों के आधार पर अदालत ने अपना फैसला सुनाया।


परिजनों ने बताया सत्य की जीत
2009 में तत्कालीन इंस्पेक्टर आरएन त्यागी की तरफ से मुकदमा दर्ज कराया गया था। फैसले के समय 24 लोग व रामपाल मिश्रा के परिवार के लोग कोर्ट परिसर में मौजूद रहे। फैसला आने के बाद सभी ने इसे सत्य व कानून की जीत बताया।  


Credit By Amar Ujala

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