खबर शहर , UP News: संत विदेहांनद गिरी वराह मंदिर लौटे, सभी कमेटियों से त्यागपत्र देकर चले गए थे करहल आश्रम – INA
उत्तर प्रदेश के कासगंज में सोरोंजी स्थित वराह मंदिर के नाराज व्यवस्थापक संत विदेहानंद गिरि को आखिरकार कैलाश मठ बनारस के महामंडलेश्वर आशुतोषानंद गिरि मनाकर लाने में सफल रहे। वह शुक्रवार को सभी कमेटियों से त्यागपत्र लिखकर वराह भगवान के समीप छोड़कर करहल स्थित अपने गुरु परतानंद के आश्रम में चले गए थे।
बता दें, कि वराह मंदिर का संचालन कैलाश मठ बनारस के ट्रस्ट द्वारा होता है। मठ के संस्थापक स्वामी रामचंद्र गिरी ने लगभग दस वर्ष पूर्व विदेहानंद गिरि को वराह मंदिर का व्यवस्थापक संत बनाकर भेजा था। तब से वह निरंतर बेहद सादगीपूर्ण व निस्वार्थ भावना से क्षेत्राधीश भगवान वराह के मंदिर की व्यवस्था बखूबी संभाल रहे हैं। अचानक त्यागपत्र छोड़कर चले जाने से उनके समर्थक व श्रद्धालु सन्न रह गए।
तीर्थनगरी के लोगों ने महामंडलेश्वर आशुतोषानंद गिरि को बनारस व करहल आश्रम में विदेहानंद गिरि को फोन कर मामले की जानकारी ली। लोगों के बढ़ते दबाव को देखते हुए महामंडलेश्वर आशुतोषानंद गिरि सोमवार को संत विदेहानंद गिरि को मनाकर वराह मंदिर के आए।
विदेहानंद गिरि के लौटकर आने से भक्तों में खुशी की लहर दौड़ गई। लोगों ने वराह मंदिर पहुंचकर उनकी यहां से जाने की वजह पूछी तो उन्होंने वही गोलमाल जवाब दिया कि उनकी किसी से कोई नाराजगी नहीं है। उन्होंने सिर्फ वराह मंदिर व कैलाश मठ की सभी प्रबंध कमेटियों से इस्तीफा दिया है।
भगवान की भक्ति से इस्तीफा नहीं दिया है। यह तो वह कहीं भी रहकर कर लेंगे। चर्चा है कि तीर्थनगरी में वराह मंदिर की करोड़ों रुपये मूल्य की जमीन के कैलाश मठ द्वारा कुप्रबंधन से आहत होकर उन्होंने सभी पदों से अपना इस्तीफा दिया है।