खबर शहर , Phulpur Election :फूलपुर सीट कांग्रेस के पाले में जाने से सपाइयों की उड़ी नींद,सपा घोषित कर चुकी है प्रत्याशी – INA

समाजवादी पार्टी (सपा) के फूलपुर सीट छोड़ने की सिद्धांत: बात तय होने और इसे कांग्रेस को दिए जाने के स्पष्ट संकेत ने सपाइयों की नींद उड़ा दी है। सपा यहां से मुज्तबा सिद्दीकी को प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। उनके मुताबिक, ऐसा कोई बदलाव नहीं हुआ और वह बुधवार को 11 बजे नामांकन भी करेंगे। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और सपा जिलाध्यक्ष ने भी ऐसी चर्चाओं को खारिज किया है।

नामांकन की अंतिम तिथि नजदीक आते ही फूलपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। मंगलवार को दो प्रत्याशियों की ओर से नामांकन भी दाखिल किया गया। सपा प्रत्याशी मुज्तबा सिद्दीकी भी बुधवार को नामांकन की तैयारी कर चुके हैं। मगर, देर शाम लखनऊ से आई खबरों ने सारे सियासी समीकरण बदल दिए।

खबर यह आई कि सपा यह सीट छोड़ने जा रही है। यहां अब कांग्रेस लड़ेगी। हालांकि, सपा प्रत्याशी मुज्तबा सिद्दीकी ने इन चर्चाओं को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने साथ मौजूद सपा जिलाध्यक्ष अनिल यादव को फोन थमाते हुए पुष्टि करने की बात कही। जिलाध्यक्ष ने भी यही दोहराया कि इन चर्चाओं में कोई दम नहीं।

मुज्तबा सिद्दीकी ने कहा, मैं बुधवार को दल-बल के साथ सपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन करूंगा। इस सवाल पर कि अगर हाईकमान ने यह सीट कांग्रेस को दे दी तो भी क्या वह चुनाव लड़ेंगे, सिद्दीकी ने कहा कि पार्टी का जो निर्णय होगा, उसे मानेंगे। पार्टी चाहेगी तो चुनाव लड़ेंगे, अन्यथा नहीं। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भी फूलपुर सीट मिलने की बात से इन्कार किया। कहा, अभी इसमें दम नहीं है।


उज्ज्वल-दांव से उज्ज्वल भविष्य देख सकती है कांग्रेसकहने को तो यह फूलपुर विधानसभा का चुनाव है, लेकिन कांग्रेस का यहां से गहरा भावनात्मक रिश्ता है। फूलपुर नाम वाली लोकसभा सीट से ही पंडित जवाहर लाल नेहरू जीतकर प्रधानमंत्री चुने गए थे। कांग्रेस इस सीट को हथियाने के लिए कुछ भी दांव पर लगा सकती है। दरअसल, कांग्रेस के पास स्थानीय स्तर पर कोई ऐसा चेहरा नहीं है, जिसका फूलपुर की जनता से सीधा जुड़ाव हो। जो यहां के लोगों के सुख-दुख में सहभागी भी रहा हो।

फिर भी, जैसे ही कांग्रेस के हिस्से में सीट आने की आहट मिली, कई नेता सक्रिय हो उठे। टिकट के प्रमुख दावेदारों में कांग्रेस गंगापार के जिलाध्यक्ष सुरेश यादव, नारायण सिंह पटेल, फूलपुर से चुनाव लड़े मनीष मिश्रा बताए जा रहे हैं। कई नेताओं ने दिल्ली-लखनऊ के आकाओं से भी संपर्क शुरू कर दिया है। वहीं, पार्टी दूसरा पांसा भी फेंक सकती है। सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में जिस तरह इलाहाबाद सीट से सपा के ही उज्ज्वल रमण सिंह को कांग्रेस में लाकर जिताया गया, वही दांव उपचुनाव में भी चला जा सकता है। यानी, कांग्रेस के सिंबल पर सपा का ही कोई मजबूत नेता यहां से लड़ाया जा सकता है।


35 साल से हो रही कांग्रेस की जमानत जब्त

प्रयागराज। 1989 के चुनाव को छोड़ दें तो फूलपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस 35 साल से जमानत नहीं बचा पा रही। उसके आखिरी विजेता महेंद्र प्रताप सिंह थे, जो 1985 में जीते थे। इसके बाद वह भी जनता दल में चले गए और फिर वहां से लड़े-जीते। 1989 में कांग्रेस उपविजेता रही और जमानत बचाने में कामयाब रही। इसके बाद ऐसा सुखद दौर कभी नहीं आ पाया। 2022 में भी कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धनाथ मौर्य 1626 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे थे। कांटे के इस मुकाबले में सपा के मुज्तबा सिद्दीकी मात्र 2732 मतों से भाजपा के प्रवीण पटेल के हाथों हार गए थे।

1993 में खोला खाता, चार बार पाई फतेह

कुर्मी बाहुल्य फूलपुर सीट पर कांग्रेस के पराभव के बाद सपा का ही दबदबा रहा है। जवाहर पंडित ने 1993 में सपा को पहली बार फतेह दिलाई। उनकी हत्या के बाद 1996 में पत्नी विजमा यादव लगातार दो बार जीतीं। 2007 में प्रवीण पटेल ने बसपा के टिकट पर जीत हासिल की। 2012 में सपा के सईद अहमद ने बाजी मार ली।


फूलपुर सीट पर सपा और कांग्रेस की स्थिति

वर्ष                        सपा                         कांग्रेस

2022             1,00,825 मत – उपविजेता  1626 मत

2017             67299 मत – उपविजेता       सपा को समर्थन

2012             72898 मत – विजेता               6424 मत

2007             42,853 मत – उपविजेता             8189 मत


Credit By Amar Ujala

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