यूपी- आंध्र प्रदेश से पौधे मंगाए, खेत में लगाए ड्रैगन फ्रूट; UP के इस किसान का आमदनी का नया फंडा – INA
कई किसान पारंपरिक खेती में बदलाव कर मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसा ही कुछ किया उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के एक किसान ने. उसने परंपरागत खेती को छोड़ ड्रैगन फ्रूट की खेती में हाथ आजमाया. 2 एकड़ जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की फसल लगाई. अब फल आना शुरू हो गए हैं. इस खेती को देखकर अब आसपास के किसान भी प्रेरित हो रहे हैं.
हरदोई जिले के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र बाबरपुर निवासी किसान अशोक कुमार वाजपेई काफी समय से गेहूं, आलू ,मूंगफली, मक्का, बाजरा,धान, गन्ना इत्यादि फासले पारंपरिक खेती के रूप में कर रहे थे बाढ़, वर्षा, बे-मौसम दैवीय आपदा से उनकी फसलें अकसर नुकसान देती रहती थी. इस कारण उनकी आर्थिक स्थिति भी कमजोर होने लगी. उन्होंने इससे निपटने के लिए कुछ अलग हटकर खेती करने की सोची. उनकी यह सोच कारगर सिद्ध हुई.
आंध्र प्रदेश से मंगाई पौध
पाली के बाबरपुर निवासी अशोक कुमार बाजपेई ने बताया कि उसने ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए आंध्र प्रदेश से पौध मंगाई. इसमें उसके इंजीनियर भतीजे ने भी काफी सहयोग किया. उसे इस खेती के लिए जिला उद्यान विभाग से भी सब्सिडी मिली. उसके शाहजहांपुर निवासी रिश्तेदार भी इस खेती को कर रहे हैं. 2 एकड़ में करीब 12 लाख रुपए की लागत आई. वह इस खेती के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने खेत पर ही अपने हाथ से ही पिलर तैयार किए. यह खेती किसान की सोच से भी आगे मुनाफा देने वाली खेती साबित हो रही है.
ऐसे की जाती है ड्रैगन फ्रूट की खेती
हरदोई के जिला उद्यान अधिकारी सुभाष चंद्र ने बताया कि सरकार ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए किसान को सब्सिडी भी दे रही है. ड्रैगन फ्रूट के एक पौधे से दूसरे पौध की दूरी 2 मीटर रखी जाती है. सही खाद पानी और रखरखाव से यह पौध कई सालों तक फल देती रहती है. पानी देने के लिए ड्रिप इरीगेशन विधि सबसे कारगर है. दैवीय आपदा का इस पर कम फर्क पड़ता है. इसे कम पानी की आवश्यकता होती है. 2 एकड़ में करीब 34 सौ पौध तैयार की जा सकती है.
इसमें भी है ड्रैगन फ्रूट की मांग
ड्रैगन फ्रूट का उपयोग वाइन, फेस पैक, जेली, आइस क्रीम बनाने के लिए किया जाता है. उन्होंने बताया कि यह काफी पौष्टिक फल है, देश के अलावा विदेश में भी इसकी अत्याधिक मांग है. दिल्ली, बरेली, कानपुर, आगरा समेत देश के कई शहरों में इसकी बेहतरीन मंडियां हैं, जहां इसका अच्छा मूल्य मिलता है. एक पौध में करीब 100 फल आते हैं और दो एकड़ में करीब 20 लाख की एक सीजन में कमाई होती है. यह किसान की आर्थिक स्थिति को बदलने वाली आधुनिक खेती है.
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