खबर आगरा: आगरा नगर निगम को लगा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 58.39 करोड़ का जुर्माना – INA

आगरा में अनुपचारित सीवेज छोड़कर यमुना नदी को प्रदूषित करने के मामले में अब नगर निगम को जुर्माना अदा करना होगा। सोमवार को नगर निगम की अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 58.39 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा देने का आदेश दिया। न्यायालय ने नगर निगम की लापरवाही के कारण नदी में पर्यावरणीय गिरावट को गंभीरता से लिया।
शहर में दूषित यमुना नदी के मामले में डॉ. संजय कुलेश्रेष्ठ ने एनजीटी में याचिका दायर की थी। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने 24 अप्रैल के आदेश में आगरा नगर निगम को तीन महीने के भीतर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के पास क्षतिपूर्ति जमा करने का निर्देश दिया था। इसके खिलाफ नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सोमवार को नगर निगम की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने निगम के कथन पर असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि नगर निगम अथॉरिटी ने अनुपचारित अपशिष्टों को यमुना में बहाकर नरक बना दिया है। न्यायालय ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के अप्रैल के आदेश के निष्कर्षों का हवाला देते हुए, शीर्ष अदालत ने बताया कि नगर निगम पर्यावरण मानकों का पालन करने में विफल रहने के लिए जवाबदेही से बच नहीं सकते।एनजीटी ने आगरा में मौजूदा सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) की विफलता का लेखा जोखा दिया था। आगरा नगर निगम का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने तर्क दिया कि नए एसटीपी की स्थापना में देरी का कारण न्यायालय और एनजीटी के समक्ष चार सालों से लंबित पेड़ काटने के आवेदन हैं। उन्होंने कहा कि प्रदूषण को कम करने के प्रयास चल रहे हैं। पीठ ने अंतत एनजीटी के पर्यावरण क्षतिपूर्ति निर्देश के खिलाफ नगर निगम की अपील को खारिज कर दिया। जो धनराशि जमा कराई जाएगी उसका उपयोग पर्यावरण के उपचार और बहाली के लिए किया जाएगा।

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