यूपी- Explained: PCS, RO-ARO एग्जाम पर क्यों पीछे हटने को तैयार नहीं हैं छात्र, क्या है विवाद की जड़, क्या कहता है उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग? – INA
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 11 नवंबर को हजारों की संख्या में छात्र सड़कों पर उतर आए. दिनभर अपने कमरों में अखबार और किताबों की छांव में रहने वाले ये छात्र यूपी लोकसेवा आयोग के सामने अपनी मांग को लेकर पहुंचे. सिविल लाइंस, कस्तूरबा गांधी मार्ग पर भले ही करोल बाग, लखनऊ, मुखर्जी नगर और प्रयागराज के छात्रों की संख्या हजारों की रही हो, लेकिन शोर तो सिर्फ ‘वन डे वन शिफ्ट एग्जाम’ का ही सुनाई दे रहा. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सामने छात्रों के प्रदर्शन का आज दूसरा दिन है और वो अपनी इसी मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं.
सफलता की आस में अपना कीमती समय बचाने के लिए त्योहारों पर घर न जाने वाले ये छात्र प्रदर्शन करने पर आखिर क्यों मजबूर हो गए हैं? क्यों दो परीक्षाओं का शोर राजनीतिक गलियारों तक पहुंच गया है? नोटिफिकेशन आने के बाद इस परीक्षा में कितनी बार तरीखों को आगे बढ़ाया गया? सालों से जो परीक्षा एक शिफ्ट में होती आ रही, उसे दो शिफ्ट में कराने का नोटिफिकेशन और फिर नॉर्मलाइजेशन का जिक्र, आइए एक-एक करके सबकुछ समझते हैं.
किन दो परीक्षाओं का है ये मामला?
छात्रों की नाराजगी केंद्र में दो परीक्षाए हैं, पहली कंबाइंड स्टेट/ सीनियर सबऑर्डिनेट यानि पीसीएस प्रिलिम्स और दूसरी आरओ/ एआरओ यानि रिव्यू ऑफिसर और असिस्टेंट रिव्यू ऑफिसर की परीक्षा. इन दोनों ही परीक्षाओं का नोटिफिकेशन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग यानि UPPSC की तरफ से जारी किया जाता है.
पीसीएस प्रिलिम्स की परीक्षा
पीसीएस प्रिलिम्स परीक्षा के लिए 1 जनवरी 2024 को आयोग की तरफ से नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इस परीक्षा के लिए कुल 220 पदों का जिक्र किया गया. आयोग ने परीक्षा की तिथि 17 मार्च 2024 रखी थी, लेकिन इस डेट को परीक्षा नहीं हुई बल्कि स्थगित कर दी गई. उसके बाद 3 जून को इस परीक्षा के लिए एक और नोटिफिकेशन जारी किया गया और फिर से छात्रों को परीक्षा की एक नई तारीख दी गई. ये तारीख 27 अक्टूबर बताई गई, लेकिन इस बार भी आयोग ने परीक्षा को स्थगित कर दिया.
इतने बदलावों के बाद भी छात्रों के धैर्य का बांध बना रहा और फिर 5 नवंबर को आयोग की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया, जिसमें पीसीएस की इस परीक्षा को दो शिफ्ट में कराए जाने की नई बात सामने आई, जिसके लिए तारीख 7 और 8 दिसंबर बताई गई. पीसीएस परीक्षा में एक सामान्य अध्ययन और दूसरा सी-सैट का पेपर शामिल होता है. एक दिन में दो पालियों में ये परीक्षा आयोजित कराई जाती है. इसलिए आयोग ने इस परीक्षा के लिए अब दो दिन में दो शिफ्ट में परीक्षा कराए जाने का नोटिफिकेशन जारी किया.
आरओ/एआरओ की परीक्षा
आरओ/एआरओ परीक्षा का 11 फरवरी 2024 को एग्जाम कराया गया. छात्र परीक्षा देकर अपने-अपने घर पहुंचे ही थे कि शाम से ही सोशल मीडिया पर पेपर लीक की खबरें सामने आने लगीं. छात्रों की नाराजगी और विरोध के बाद 2 मार्च को इस परीक्षा को रद्द कर दिया गया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस परीक्षा को 6 महीने के भीतर कराए जाने का आदेश दिया.
6 महीने के भीतर ये परीक्षा नहीं हो सकी. इस परीक्षा के लिए भी 5 नवंबर 2024 को आयोग की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया, जिसमें परीक्षा की नई तारीख 22 और 23 दिसंबर दी गई. नोटिफिकेशन में इस परीक्षा को तीन शिफ्ट में कराए जाने की बात कही गई. पहले ये परीक्षा एक ही दिन में पूरी करा ली जाती रही है. लेकिन अब इसके लिए दो दिन तय किए गए हैं.
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने क्यों किया ऐसा?
आयोग ने इन परीक्षाओं को दो दिनों तक कराए जाने के पीछे कहा कि उनके पास परीक्षा के लिए पर्याप्त सेंटर नहीं हैं. आयोग ने 19 जून 2024 को आये एक शासनादेश का हवाला दिया, जिसमें परीक्षा केंद्रों के लिए दो कैटेगरी तय करने को कहा गया था. इसमें ‘कैटेगरी ए’ के अंतर्गत राजकीय इंटर कॉलेज, सरकारी डिग्री कॉलेज, राज्य और केंद्र के विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक इंजीनियरिंग कॉलेज और मेडिकल कॉलेज आएंगे. वहीं दूसरी ‘कैटेगरी बी’ में अच्छी छवि रखने वाले सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थान को रखा जाएगा.
इस परीक्षा के लिए प्राइवेट कॉलेजों को परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाएगा. इसमें वही कॉलेज परीक्षा केंद्र में होंगे, जिनकी बस स्टैंड/ रेलवे स्टैंड से दूरी 10 किलोमीटर की होगी. एक पाली में परीक्षा देने वाले छात्रों की अधिकतम संख्या 5 लाख हो. आयोग की ओर से कहा गया कि प्राइवेट संस्थानों को परीक्षा लिस्ट से बाहर करने के कारण परीक्षा केंद्रों की संख्या कम हो गई. ऐसे में उन्हें जरूरत से कम ही परीक्षा केंद्र मिल पाए. पीसीएस परीक्षा के लिए रजिस्टर्ड छात्रों की संख्या 5 लाख 76 हजार 154 है. वहीं आरओ और एआरओ परीक्षा में रजिस्टर्ड अभ्यर्थियों की संख्या 10 लाख से ज्यादा है.
क्या है छात्रों की चिंता?
दो शिफ्ट में एग्जाम कराए जाने के कारण एक ही प्रश्नों को दोनों शिफ्ट की परीक्षा में शामिल नहीं किया जा सकता है. ऐसे में परीक्षा के प्रश्न अलग होंगे तो उनका कठिन और सरल होने का स्तर भी अलग-अलग हो सकता है. अब इस परीक्षा की कठिनाई का एक सामान्य स्तर बनाने के लिए आयोग की तरफ से नॉर्मलाइजेशन कराने की बात कही गई है.
उदाहरण के तौर पर किसी एक शिफ्ट में छात्र को 80 नंबर मिले हैं और प्रश्नों का स्तर कठिन है तो सरल स्तर के साथ मिलाने के लिए उसके मार्क्स को और बढ़ाया जा सकता है. इसका पूरा अधिकार आयोग के पास ही है. छात्रों का कहना है कि आयोग ही प्रश्नों के कठिन और सरल स्तर को तय करेगा ऐसे में अलग-अलग शिफ्टों में परीक्षा आयोजित कराने के कारण किसी शिफ्ट में छात्रों के मार्क्स को बढ़ाया तो किसी में घटाया जा सकता है. ऐसे में परीक्षा में धांधली की संभावनाएं बढ़ सकती हैं.
ना बंटेंगे ना हटेंगे, डटे रहेंगे
परीक्षा को लेकर तरीख पर तारीख देखते-देखते प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेने वाले छात्रों का धैर्य टूट गया तो वो अपनी मांग लेकर लोक सेवा आयोग के गेट के सामने शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने के लिए पहुंच गए. पूरी रात वो अपनी मांग को लेकर धरना करते रहे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे बयान पर तंज कसते हुए छात्रों ने कहा कि ना बंटेंगे ना हटेंगे बल्कि अपनी मांगों को लेकर डटे रहेंगे.
प्र्दर्शन कर रहे छात्रों ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि हमारी मांग है वन डे वन शिफ्ट एग्जाम कराए जाने की, इसके लिए अगर आयोग अगर एक महीने भी लगाएगा तो हम डटे रहेंगे, लेकिन उन्हें हमारी मांगे पूरी करनी होंगी. छात्रों के प्रदर्शन के करीब 12 घंटे बाद उनसे मिलने के लिए डीएम, एसपी पहुंचे. उन्होंने छात्रों से ज्ञापन लिया. छात्रों का कहना है कि आयोग का कोई सदस्य उनसे मिलने के लिए आए और उनकी मांगो को मानने का आश्वासन दे.
राजनीतिक गलियारों तक पहुंची गूंज
इस मामले को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी बयानबाजी शुरू हो गई. सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा कि यूपीपीएससी के छात्र अपनी मांग लेकर आयोग के पास पहुंचे तो उनपर लाठी बरसाई गई. लाठी मारकर ये छात्रों को दबाना चाहते हैं. राज्य में भाजपा के जाने के बाद ही नौकरियां आएंगी. ये हास्यास्पद है कि देश-प्रदेश के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक हालातों को एब्नॉर्मल कर देनेवाले भाजपाई नॉर्मलाइज़ेशन की बात कर रहे हैं. ये युवाओं के आज के साथ भद्दा मज़ाक़ है, भविष्य की तो बात ही छोड़ दीजिए.
हो एक शिफ़्ट एक एग्जाम
यही एकजुट युवा की माँगये हास्यास्पद है कि देश-प्रदेश के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक हालातों को एब्नार्मल कर देनेवाले भाजपाई नॉर्मलाइज़ेशन की बात कर रहे हैं। ये युवाओं के वर्तमान के साथ भद्दा मज़ाक़ है, भविष्य की तो बात ही छोड़ दीजिए।
युवक-युवती कहे pic.twitter.com/EAp225RsPa
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 12, 2024
सोशल मीडिया एक्स पर राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने शेयर लिखा कि यूपी पीसीएस परीक्षा में एक से ज्यादा दिन की परीक्षा, प्राइवेट संस्थानों को केंद्र न बनाने और मानकीकरण प्रक्रिया को लेकर छात्रों की चिंताएं गंभीर और महत्वपूर्ण हैं. छात्रों की मांग है कि परीक्षाएं पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी हों, ताकि उनकी मेहनत का सम्मान हो और भविष्य सुरक्षित रहे.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
हाल ही में सुनाए गए एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी नौकरी में भर्ती आने के बाद उसके नियमों बदलाव नहीं किया जा सकता है. इसके लिए नोटिफिकेशन के समय ही छात्रों की इसकी सूचना दी जानी चाहिए. पूर्व सीजेआई ने कहा भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के पहले ही नियम को तय कर लिया जाना चाहिए.