खबर शहर , फ्लैट में गांजा की खेती: यू-ट्यूब से सीखा…तापमान मेंटेन रखने के लिए करता था ये काम; जानें क्या है कैनबिस ओजी – INA

फ्लैट में गांजे की खेती के बाद आरोपी डार्क वेब से इसकी सप्लाई में जुटा था। पुलिस आरोपी के मोबाइल में मिले सुराग और डार्क वेबसाइट के जरिये से आरोपी राहुल चौधरी से संपर्क करने वालों की तलाश में जुट गई है। 

जांच में पता चला है कि आरोपी ने गांजे की खेती के लिए फ्लैट किराये पर लेने वाले स्थान से करीब आठ किमी दूर किराये का फ्लैट लिया था। वह ऑनलाइन गांजा बेचने के अलावा स्थानीय स्तर पर भी इसकी सप्लाई में जुटा था। आरोपी स्कूली छात्रों, कंपनी में काम करने वाले लोगों को गांजा बेचता था। 

आरोपी जिस गांजे की खेती कर रहा था उसे तैयार करने में करीब 100 दिन लग जाते हैं। आरोपी के फ्लैट से मौके से गांजे के तैयार किए गए 80 पौधे गमले सहित बरामद हुए हैं। पुलिस आरोपी के रेंट एग्रीमेंट की भी जांच कर रही है। 

जांच में पता चला है कि मेरठ निवासी राहुल चौधरी सीसीएसयू मेरठ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विषय से परास्नातक है और इंटरनेट का अच्छा जानकार है। किराये पर लिए गए फ्लैट पर आरोपी अकेले आता-जाता था। पड़ोसियों को शक नहीं हो इसलिए आर्गेनिक खेती की बात करता था। 


वहीं इस घटना ने सोसाइटी की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। सोसाइटी में नियमित चेकिंग और सीसीटीवी कैमरों लगे होने के बावजूद आरोपी चार महीने ने ऑर्गेनिक खेती करने की बात कहकर सामान ला रहा था, लेकिन सोसाइटी के सुरक्षा कर्मियों ने उसे ऐसा करने से नहीं रोका। 

वहीं सोसाइटी के फ्लैट में खेती के लिए आरोपी जब खाद्य और अन्य सामान लाता था तो उसे सिक्योरिटी चेक के नाम पर ऊपरी तल पर ले जाने से नहीं ोका गया।


कोरोना काल में रेस्तरां बंद होने पर शुरू किया धंधा
राहुल ने कुछ साल पहले रेस्तरां शुरू किया था। कोरोना में बड़े नुकसान के बाद उसे रेस्तरां बंद करना पड़ा। इसके बाद उसने यू-ट्यूब और अन्य सोशल साइट्स पर गांजे की खेती की विधि जानी। फिल्मी अंदाज ने उसने परिवार के लिए ओमीक्रॉन-1 की सुपरटेक सीजार सोसाइटी में फ्लैट किराये पर लिया था।


100 दिन में कमाए 12 लाख रुपये
20 हजार रुपये प्रतिमाह पर चार बीएचके का फ्लैट किराये पर लेकर गांजे की खेती और तस्करी के आरोपी राहुल चौधरी ने 100 दिनों में ही 12 लाख रुपये की कमाई की थी। हाल में उसे 80 पौधे तैयार करने का ऑर्डर मिला था। जिसके एवज में उसे 48 लाख रुपये मिलने वाले थे। डार्क वेब से वह पौधों की सप्लाई करता था। आरोपी चार माह में गांजे की खेती कर रहा था। पुलिस आरोपी के रेंट एग्रीमेंट की भी जांच कर रही है।
 


पुलिस की प्राथमिक जांच में यह सामने आया है कि आरोपी ने यू-ट्यूब और सोशल साइट्स के जरिये गांजे की खेती सीखी थी। गांजे की खेती के लिए आरोपी ने ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट से खास तरह की लाइट मंगवाई थी। वहीं पौधों के लिए जरूरी तापमान बरकरार रखने के लिए फ्लैट में एसी लगवाया था। राहुल चौधरी सीसीएसयू मेरठ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विषय से परास्नातक है और इंटरनेट का अच्छा जानकार है। किराये पर लिए गए फ्लैट पर आरोपी अकेले आताजाता था। पड़ोसियों को शक नहीं हो इसलिए आर्गेनिक खेती की बात करता था। आरोपी अबतक करीब 20 पौधे बेचकर करीब 12 लाख रुपये कमा चुका है।


डॉर्क वेब के लिए चाहिए खास सॉफ्टवेयर 
डार्क वेब इंटरनेट का एक हिस्सा है जो सामान्य सर्च इंजन द्वारा एक्सेस नहीं किया जा सकता और इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है, जैसे कि टॉर (टीओआर) ब्राउज़र। इसे डार्क इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी सामग्री को सामान्य वेब पर खोजा नहीं जा सकता और इसे गोपनीयता के साथ एक्सेस किया जाता है। ऑनलाइन गतिविधियों में अपनी पहचान छुपाना चाहते हैं, वे इसे एक सुरक्षित माध्यम के रूप में उपयोग करते हैं।
 


बंगलुरू की घटना के बाद ग्रेटर नोएडा में खुलासा
गांजे की खेती और तस्करी के ऐसे ही मामले का खुलासा हाल ही में बंगलुरू में हुआ है। वहां भी दंपत्ती छोटे-छोटे वीडियो रील बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करते थे। ऐसे ही एक वीडियो में गमलों में गांजे के पौधे उगते हुए दिखाई दे रहे थे। सोशल मीडिया पर वीडियो देखकर किसी ने पुलिस को गांजे के पौधों के बारे में सूचना दी। इसके बाद पुलिस की एक टीम ने घर पर छापा मारकर दंपती को गिरफ्तार किया था। इस तरह की इनडोर फार्मिंग अपराध की एक नई प्रवृत्ति है, जिसमें अपराधी रिहायशी इलाकों में फ्लैटों का इस्तेमाल कर अवैध मादक पदार्थों की खेती और तस्करी कर रहे हैं।

 


क्या है कैनबिस ओजी
कैनबिस या ओजी कुश गांजा कैनबिस प्लांट की एक प्रजाति है, जो विशेष रूप से इसकी ताकत, प्रभाव और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। यह एक तरह का मारिजुआना है, जिसमें उच्च मात्रा में टीएचसी (टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल) होता है। टीएचसी कैनबिस का मुख्य साइकोएक्टिव घटक है, जो इसे नशीला बनाता है। (ओजी) को ऑरिजनल गैंगस्टर भी बोला जाता है। यह मूल रूप से कैलिफोर्निया में होता है।
 


मादक पदार्थों के खिलाफ अभियान चलाने के साथ ही लोगों को जागरूक किया जाएगा। हम लगातार अभियान चलाकर तस्करों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।- साद मियां खां, डीसीपी, ग्रेटर नोएडा


Credit By Amar Ujala

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